Tuesday, December 6, 2011

ज़िन्दगी बेवफा हो गई

आज पहली बार एहसास हुआ की ज़िन्दगी का कोई भरोशा नहीं वोह कभी भी साथ छोड़ के जा सकती है , कभी भी धोखा दे सकती है . कितना अजीब है ना हम हर पल अपनी ज़िन्दगी को खुश रखने के लिए ढेरो प्रयास करते है पर कभी नहीं सोचते यह कभी भी हमे चोर सकती है .यह कुछ पंक्तिया है जिनसे मै आप को अपने ज़िन्दगी के खोने के दर्द को बताना चाहता हु .


यह ज़िन्दगी भी ,आज मुझसे ख़फा हो गई ;
वोह भी औरो की तरह , बेवफा हो गई ;
मुझसे बिन कुछ कहे , वो  जुदा हो गई ;
न जाने क्यु , मेरी ज़िन्दगी मुझसे ख़फा हो गई .

हर रोज़ तुझे जीने की आदत हो गई ,
तेरी हर अदा से चाहत हो गई ,
पल पल जिता था , जिस ज़िन्दगी के लिए
न जाने वोह कहा खो गई .

उस स्पर्श को , दिल पाने को बेक़रार है ;
तू ही मेरा जीवन संसार है ;
एक तू ही तो मेरा जीने का आधार है ,
क्यु भी गई ए ज़िन्दगी , तू ही मेरा प्यार है .

सीढियो की हर टक टक पे ,
तू आ रही है ,
ऐसा हो रहा आभास है ,
नज़र उठाते ही दिल टूट जाता ,
फिर भी तेरे आने की आस है .

क्या गुनाह है मेरा ,
यह तो  बतलाती जा मुझे ,
शायद कल तक ना मिले तू मुझे ,
व्यर्थ मेरा प्रयास है ,
सब खत्म हो गया फिर भी ,
ए ज़िन्दगी तेरा स्पर्श मेरे साथ है .

धड़कन भी खामोश हो जाएगी ,
अब शायद ज़िन्दगी ना वापस आएगी ,
बेताब मन अब शांत होता जा रहा है ,
ए ज़िन्दगी तेरा दूर होना मुझे अब भी सता रहा है .


यह ज़िन्दगी भी ,आज मुझसे ख़फा हो गई ;
वोह भी औरो की तरह , बेवफा हो गई ;