Saturday, June 16, 2012

मोहिनी ( कवित्री देवी )


मनमोहक है वह नन्ही सी कली ,
मुस्कान रहती है जिसके चहेरे पे हमेशा खिली ,
अपनों के बीच जो बड़े नाजो से है पली ,
हरकत जो है नटखट और चुलबुली  ,
ऐसी है वो मोहिनी नाम की कली  .

दर्द भरा है उसके भी दिल मे  ,
पर वो मुस्कान रूपी मुखोटे से ,
अपना दर्द छिपाती है ,
और तोह और वो टूटे दिल वालो  का ,
हौसला अफजाई कराती है .

जब भी देखो तस्वीरों मे  उसको  ,
अपने मोती रूपी दात वो सबसे छुपाती है ,
हँसती तो है अक्सर वो ,
पैर हंसते हुए कभी तस्वीरों  मे  नहीं  आती है .

उससे अल्फाजो के आदान प्रदान से ,
मुझमे एक जज्बा सा आ गया ,
उसके कुछ अपनेपन के शब्दों से ,
ज़िन्दगी का महत्व समझ आ गया .

स्वर उतने ही सुरीले है उसके ,
जितना दिल है उसका साफ़ ,
सुन ले जो सुर एक बार उसके ,
हो जाये वो उसका दीवाना अपने आप .

बात करे अगर लेखन की उसकी ,
तो वो लिखती है तेज़ तर्रार .
लिखती है वो उतनी अच्छी  ,
जितनी है वो खुद सच्ची .

मेरा रिस्ता तो कुछ ऐसा है उनसे ,
डरता हु लिखने मे जिनसे ,
जो लेखन से अपने  मंत्र मुग्ध कराती है ,
कवित्री देवी के नाम से वो जानी जाती है ,

हम भक्तो पर आशीर्बाद है उनका ,
दिल से वो बहुत दयालु है ,
सत्य तो ये है , उन्ही के आशिर्बाद से ,
हमारा यह लिखने का धंदा चालु है .!!!!!

----- शाशाकं विक्रम सिंह

Personally :-

बेसक बेफिक्र निरभीक निडर हो तुम ,
पैर यह वादा  है हमारा ,
चाहे हो जाये कुछ भी ,
पर अब आखिर दम तक ( मुश्किल वक्त मे  ),
साथ न छोडेंगे तुम्हारा !!!!!