Tuesday, June 30, 2015

बेपरवाह आशिक़ी

मेरे आंखो से छलकते मोती , 
बड़े हैरत से बहते जा रहे है ,
दिल जला जैसे ही मोम सा , 
पिघल कर पलकों को भीगा रहे है . 

बड़ी हैरत से हैरान हुए हम , 
बस एक लम्हे मे आप से अनजान हुए हम ,
कहा सोचा था दिल पे तेरे मेरा काबू है ,
कमबख्त दिल सोच कर उनको ,
तेरा हो उठा बेकाबू है .

बड़ी सिद्दत है चाहा है तुझे ,
बड़ी मुश्किल से पाया है तुझे ,
पर जाना तो हर किसी को है एक रोज़ ,
 फिर क्यों तुझे खोने से डरता है दिल हर रोज .

मैं जब संग उसके काफी दूर चल पड़ा था , 
ज़िन्दगी को सही रास्तो से जोड़ रहा था , 
तभी किसी अनजान डगर पर , 
वो अपने कल से जा टकराई ,
आशिक़ी मरती नहीं दूर जाने से ,
आंखो मे देख ख़ुशी उसके ,
ये बात समझ आई .

लगा मानो खो दिया हो ,
उसे बस एक पल मे ,
पर तभी झट से लौट मेरे पास आई ,
बाहो मे लपटी वो मेरे कुछ इस अंदाज़ मे ,
दिल के जज़्बात आंखो से बहते आंसू से समझ आई .

हम ने भी किया था किसी और से मोहब्बत , 
और शायद फिर से हो जाए ,
मिल कर अनजान रास्तो मे अपने कल से , 
कुछ वक़्त के लिए आज को भूल जाए . 

दिल तो रहता है एक , 
पर उसपर कब्जा अक्सर कई कर जाते ,
पर धड़कता दिल सिर्फ उनके लिए ,
जो सिद्दत से मोहब्बत कर ,
हर कदम पे आशिक़ी निभाते .

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