Tuesday, July 7, 2015

ख़ुशी

कल तक ना थी ज़िन्दगी मे ख़ुशी ,
पर आज वो आ गयी ,
गम के चादर को हटा कर ,
लम्हे को खुशनुमा बना गयी .

पहली दफा जो मिली थी मुझे ,
उस गमे हाल मे ,
सवार दिया ज़िन्दगी मेरी खुशियो से ,
उसने हर हाल मे . 

मैं अब जब कभी लड़खड़ाता ,
वो झट से संभाल लेती ,
छिपा कर अपना हर दर्द ,
मेरी खातिर मुस्कुरा देती .

मेरे गुस्से को सहेती ,
मेरी वजह से अक्सर उलझन मे रहती ,
फिर भी नहीं कुछ कहने को आती ,
देखते ही मुझे .. भुला कर सब ..
झट से मुस्कुराती .

मैं जाहिर नहीं करता हर वक़्त ख़ुशी से ,
पर महसूस हर सांस मे उसे करता हु ,
ख़ुशी की पड़ गयी है आदत कुछ ऐसी ,
ज़िन्दगी भर खुशियो की खातिर ,
बन बैठा ख़ुशी का गुलाम हु .

यु तो वक़्त के साथ ,
एक रोज़ तुझे भी जाना है ,
पर वादा है ख़ुशी तेरी मुस्कान की खातिर ,
हमे आज भी और कल भी मुस्कुराना है .

कर लो मोहब्बत तुम भी ख़ुशी से ,
इस गम से भरे जमाने मे ,
वरना कौन जानता है ,
कितने पल की ख़ुशी लिखी है ,
हर एक के मुस्कुराने मे . 

Dedicated to you zindagi ..