पहली दफा देख जिसे ,
दिल अपना कह बैठा था ,
जा रही थी दूर वो भी ,
जब ख़ुदा हमसे रूठ बैठा था .
जिसकी मुस्कान हमे हसाती थी ,
आँखे जो भर आये उसकी ,
मेरी जान निकल जाती थी ,
आज बहुत रोई ,
पूरी रात नहीं सोई .
कल तक हाथो मे हाथ डाले ,
हम यु ही चला करते थे ,
खींच के ले आते थे पास ,
जो कभी वो दूर जाया करते थे .
आज एक दफा फिर ,
वो लौट कर आई थी ,
साथ अपने अंगूठी लाई थी ,
देख जिसे मैं थोड़ा घबराया ,
पर कुछ कह नहीं पाया .
वो झट से मेरे करीब आई ,
आँखे थी उसकी भर आई ,
देखते ही नम आँखों को उसके ,
हां वो जायेगी ..
ये बात समझ आई .
चल पड़े एक दफा फिर तलाश मे उसके ,
शायद कही नजर आ जाये ,
मोहब्बत थी नहीं इतनी भी कमजोर हमारी ,
की वो नजर ना आये .
दिल को था पता ... हां वो जायेगी ,
पर समझा नहीं पाया ,
अंजान रहो मे ढूंढने उसे चला आया .