Saturday, September 9, 2017

अनजान निगाहें




यू जो हम ढूँढ रहे थे उन्हें ,
कही किसी राहों में ,
जा टकराई निगाहे मेरी ,
किसी अनजान निगाहों से ।

मैं चलता कुछ आगे ,
उससे पहले ही निगाहे थम गई ,
रुक गया 'वक़्त' भी ख़ातिर मेरे ,
देख जिन्हें वो थोड़ी सहम गयी ।

अभी जो शुरू ही हुआ था ये सिलसिला ,
आँखों से ख़ुशी होंठों पे आ गई ,
दिल में थी कसक जो मेरी ,
उन्हें वो पूरा करा गई ।

ख़ूबसूरत होगी शायद सूरत उनकी ,
पर सीरत दिलदार है ,
टूटा है दिल उनका .. , मगर ,
निगाहों में आज भी प्यार है ।

यू तो अब भी मेरी तलाश अधूरी हैं ,
निगाहे में छिपी मोहब्बत अधूरी हैं ,
अनजान राहों पे ,
मिले जो कभी किसी दफ़ा ,
फिर बतलाएँगे ।

हुआ क्या था हाले दिल ,
देख अनजान निगाहों को ,
ये आप को समझाएँगे ।

निगाहे होती अगर अबतक अनजान ,
तो शायद ये दिल उसपर आ जाता ,
ढूँढ रहा था जिसे वो ,
शायद वो मिल जाता ।।



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