Wednesday, October 11, 2017

काजल ... आँखो का



यूँ जो तनहा सा किसी कोने में ,
एक दिल पड़ा था ,
जा जिससे मेरा दिल मिला था ।

आँखो से होती थी बातें ,
वादों से होती थी मुलाक़ातें ,
ये सिलसिला बस चलने ही लगा था ,
उनका दिल कहीं और चल पड़ा था

जो तमन्ना थी मेरी ,
वो अधूरी रह गई ,
दिल से मिला दिल उनका ,
मेरी आँखे देखती रह गई ।

चल पड़ा ये सिलसिला ,
अब बड़ता जा रहाँ था ,
डूब कर वो इश्क़ के समुन्दर में ,
उन्हें , उनके और क़रीब ला रहाँ था ।

एक रोज़ अनजान राहों पर ,
निगाहे टकरा गई ,
आँखे देख मायूस उनकी ,
बात समझ आ गई ।

दिल का दर्द पिघल गया ,
आँसु काजल लिए साथ बह गया ,
फिर एक दफ़ा ये निगाहे ,
उनकी आँखो में डूब कर देखता रह गया ।।