Tuesday, November 6, 2018

महल - ऐ - दिल

दिल पे पत्थर रख कर ,
हम एक महल बना रहे थे ,
हीरों से सज़ा कर ,
उसे दुल्हन बना रहे थे ।

कुछ दूर नो निकले थे अभी ,
हम पीछे आ रहे थे ,
धड़कनो को महल की ख़ातिर ,
आहिस्ता से धड़का रहे थे ।

तभी शाम होने को आ गई ,
अँधेरा संग जो ला गईं ,
लगा अब वो जगमगा उठेगी ,
रोशन इस पल को ख़ुद करेगी ।

तभी ज़ोर का एक झटका आया ,
दिल से टूट कंकड़ , जा महल से टकराया ,
हीरा नहीं शीशा था वो ,
तब जा कर ये दिल समझ पाया ।

आज भी जब कही अंधेरे में ,
कुछ भी चमकता पाता हु ,
टूटना मत ऐ दिल ,
बस यही समझाता हु ..।।

फिर हर बार की तरह ,
दिल पर पत्थर रख महल बनता हु ..!!

Thursday, November 1, 2018

ज़िक्र

उठ कर बस अभी कुछ दूर ,
जब मै चला था ,
जा उसी पल कल से ,
मै मिला था ।।

आज भी निशा क़दमों के तेरे ,
नज़र बहुत ख़ूब आते है ,
जब भी उन रास्तों पर ,
हम निकल जाते है ।।

अब ना आती है ख़ुशबू शमा में ,
ना ही होता वो गुलज़ार ,
चंद गिरे पत्ते और ख़ामोश तितलियाँ ,
कर जाती दिले इजहार ।।

रुक जाते अब हार कर ,
बस जो तेरा ज़िक्र ना आता ,
खोने को बहुत है अब भी ,
जो ये दिल ना समझाता ।।

और जब गुफ़्तगू करने लगी ज़िंदगी ,
फिर एक बार ,
हुआ ज़िक्र उनका ,
जिसने कर दिया मोहब्बत को गुलज़ार ।।

लेकिन अब भी ..,
ज़िक्र जब भी तेरा आता है ,
इश्क़ करने को ,
ये दिल चला जाता है ..।।

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Wednesday, October 3, 2018

भूल

पहली दफ़ा चला था दिल ,
थाम उसके धड़कनो का साथ ,
रुकते रुकते रुकने लगी ,
ज़िंदगी और लौटं आने की आस ॥

लगा सब ख़त्म होने को तयार है ,
झूठा उसका प्यार है ,
और फ़रेबी मेरा भी दिल हो चला ,
ना जाने किन राहों पे खो चला ॥

बस अब और इंतज़ार नहीं होता ,
भूल से भला कौन दिल रोता ,
मोहब्बत उसकी रची कहानी थी ,
सच्ची थी मेरी , मुझे निभानी थी ।

आज भी हर दिल में ,
तेरे धड़कन को ही पाती हु ,
भूल से भी भूल कर ,
भूल नहीं उस भूल को भूल पाती हु ॥

कई दफ़ा मिला इन धड़कनो को साथ ,
था जिनमे एक ख़ुशनूमा एहसास ,
पर फिर मैं भूल कर गयी ,
अंजाने में उस एहसास से दूर रह गई ॥

Thursday, September 20, 2018

कल आज कल

आज लग रहा है ,
कल आया ही क्यूँ था ,
खोने को साथ ,
सब कुछ लाया ही क्यूँ था ।

कही हर कोई चिल्ला रहा है ,
कही जायज़ गरिया रहा है ,
कही कोई मुस्कुरा रहा है ,
बस हालात को ये दिल समझ नहीं पा रहा है ।

लग रहा मानो सब छूट गया ,
रिश्ता ज़िंदगी से रूठ गया ,
हाल कर बैठे मोहब्बत में ऐसा ,
देखा भी ना जाये जैसा ।

अब तो कोई मनाने भी नहीं आता ,
नींद से जागने भी नहीं आता ,
बस ख्याल मे अकसर मिल जाते है ,
बस फिर कही हम उठ पाते है ।

ख़त्म कर तो हम एक पल में दे दास्ता ..
पर हार नहीं माना है ,
जीत कर आज कल को ,
फिरसे मुस्कुराना है .. ।।

Tuesday, September 11, 2018

खौफ

मुश्किलों के दौर से ,
चल रही थी ज़िन्दगी ,
थक रही थी .. रुक रही थी ,
दौड़ रही थी ज़िन्दगी .

कल से हर पल जा ,
मिल रही थी ज़िन्दगी ,
थोड़ी सहमी , थोड़ी डरी ,
कही जा पड़ी थी ज़िन्दगी .

खौफ के मंजर से ,
जब भी हो रहा था वास्ता ,
मानो खो जा रही थी ,
ज़िन्दगी अपना रास्ता .

वो रात वो दिन ,
आज भी डराते है ,
सोच जिसके चंद लम्हो को ही ,
हम सहम जाते है .

जंग हार कर भी ,
जी रही है ज़िन्दगी ,
जबसे हो रही धीरे धीरे ,
हिम्मत से उसकी बंदगी ..II

Sunday, August 12, 2018

तमन्ना .. लाडली की

भगवान करे लाड़ली ,
तुम मेरे घर आओ ,
औरों के लिए श्राप ,
मेरे लिए वरदान बन जाओ ।।

तेरी आवाज़ आज भी ,
कानो में फुसफुसाती है ,
मानो चंद अल्फ़ाजो में ,
सारे दर्द बया कर जाती है ।

बंद होते ही आँखों में ,
तेरी तस्वीर उभर आती ,
हर दफ़ा जहेंन में ,
वो हुबहु उतर जाती ।।

आज भी तुझे माँ से बाते करते ,
कई दफ़ा पाता हु ,
बस फिर ना मिटा दे तुझे कोई ,
सोच घबराता हु ।

तुम मेरी ताक़त मेरी ज़िंदगी होगी ,
हर पल मेरे संग साथ खड़ी होगी ,
जब तक ना आयेगी लाडली ,
ये तमन्ना अधूरी होगी।  

लाडली .. मेरी ज़िंदगी मेरी ख़ुशी होगी ..!!

Thursday, June 28, 2018

बारिश

ये हल्की हल्की हवा ,
और बारिश की बूँदे ,
सब ख़ामोश खड़ी है ,
जिस पल जा हमसे वो मिली है ।।

नज़र मिला तो बस थम गया ,
मानो अँधेरा अब टल गया ,
तभी रोशनी मुस्कुराई ,
बड़ी ज़ोर से खिलखिलाई ।।

थोड़ा सर्द होते मौसम का ,
अब मिज़ाज बदल रहा था ,
जो था दूर ..
बहुत पास चल रहा था ।।

गिरी बूँद जब ऊपर से ,
आ कर गालों पर टूट गई ,
मानो भीगने की बारिश मे ,
ख़्वाहिश छूट गई ।।

तभी ज़ुल्फ़ों पर बन मोती ,
वो जगमगाने लगी ,
मेरी आँखों मे देख नग़मा,
वो गुनगुनाने लगी ।।

बारिश मे भीग कर ,
हमें भिगाने लगी..
ये रात पहली दफ़ा ,
अल्फ़ाज़ चुराने लगी ।।

ज़िंदगी मुस्कुरा के भीग जाने लगी ...!!


Wednesday, May 9, 2018

आँखें .. नम सी क्यूँ है

अभी बस नज़रें उठी ही थी ,
थम गई किसी ओर ,
होंठों पे थी हँसी ,
छिपा रही थी जो कोई शोर ।

जाने अनजाने हम सब जान गये ,
छिपे राज पहचान गये ,
शोर अब बस होने को था ,
वो पलके अपनी भिगोने को था ।

तभी एक सन्नाटा सा आया ,
आँखे में मोती टिमटिमाया ,
हल्के हल्के अब बारिश हो रही थी ,
पलकों से गिर गालों को भिगो रही थी ।

पूछ बैठी वो हमसे ,
क्या आँखो से पड़ पाते हो ,
कह दिया झट से हमने ,
वही जो दिल में छिपाते हो ।

अनजान सा रिश्ता है हमारा ,
तुम्हें जो नहीं है गवारा ,
फिर भी निभाते हो ।

वो अलग बात है ,
हर रोज़ बिन कुछ कहे ,
ख़्वाबों से मिल आते हो ,
क्यूँ निगाहों को मेरे .. अक्सर
नम कर जाते हो ।।

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Saturday, March 31, 2018

आँखे

कही किसी मोड़ पर ,
जा जब मिली थी निगाहे ,
थम सा गया था वक़्त ,
और रुक गई थी फ़िज़ाये ।

आँखो में देखा जिस पल ,
वो लम्हा ही काफ़ी था ,
एक तरफ़ा मोहब्बत को ,
मिल गया साथी था ।

माना की सूरत पर ,
हम क़ुर्बान होते ,
क्या पता था कल तक ,
आँखो से भी लोग जान लेते ।

तेरी आँखों में दर्द से मोहब्बत ,
और मोहब्बत से दर्द कई दफ़ा देखा है ,
आज कल तो हटती नहीं निगाहे तुझसे ,
फ़ुर्सत से जब भी उन्हें देखा है ।

काजल आँखों का नूर होती हैं ,
ज़िंदगी में हो जिसके , नज़र दूर होती है ,
पाक सीरत से मोहब्बत है आज भी ,
फिर भी आँखों से मोहब्बत ज़रूर होती है ।

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Monday, January 1, 2018

शराब

तूने लब को छूआ ही था मेरे ,
दिल पिघल गया ,
मचला था ना मन जैसे पहले कभी ,
वैसे मचल गया ।

पहली ही घुट में ,
प्यार ऐसा आया था ,
लगा जैसे कोई बिछड़ा ,
यार मिलने आया था ।

जाम पे जाम हम लगा रहें थे ,
तुझसे करते हैं मोहब्बत कितनी ,
ये बता रहें थे ।

खो चुका था सब कुछ ,
फिर भी तू आया ,
पहली ही मुलाक़ात में ,
क्या जी भर कर वक़्त बिताया ।

कौन कहता हैं तू ख़राब हैं ,
तेरे बिन ज़िंदगी बरबाद हैं ,
तू तो हर मर्ज़ की दवा हैं ,
बदनाम बेवजह हैं ।।

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