Thursday, June 28, 2018

बारिश

ये हल्की हल्की हवा ,
और बारिश की बूँदे ,
सब ख़ामोश खड़ी है ,
जिस पल जा हमसे वो मिली है ।।

नज़र मिला तो बस थम गया ,
मानो अँधेरा अब टल गया ,
तभी रोशनी मुस्कुराई ,
बड़ी ज़ोर से खिलखिलाई ।।

थोड़ा सर्द होते मौसम का ,
अब मिज़ाज बदल रहा था ,
जो था दूर ..
बहुत पास चल रहा था ।।

गिरी बूँद जब ऊपर से ,
आ कर गालों पर टूट गई ,
मानो भीगने की बारिश मे ,
ख़्वाहिश छूट गई ।।

तभी ज़ुल्फ़ों पर बन मोती ,
वो जगमगाने लगी ,
मेरी आँखों मे देख नग़मा,
वो गुनगुनाने लगी ।।

बारिश मे भीग कर ,
हमें भिगाने लगी..
ये रात पहली दफ़ा ,
अल्फ़ाज़ चुराने लगी ।।

ज़िंदगी मुस्कुरा के भीग जाने लगी ...!!