Thursday, September 20, 2018

कल आज कल

आज लग रहा है ,
कल आया ही क्यूँ था ,
खोने को साथ ,
सब कुछ लाया ही क्यूँ था ।

कही हर कोई चिल्ला रहा है ,
कही जायज़ गरिया रहा है ,
कही कोई मुस्कुरा रहा है ,
बस हालात को ये दिल समझ नहीं पा रहा है ।

लग रहा मानो सब छूट गया ,
रिश्ता ज़िंदगी से रूठ गया ,
हाल कर बैठे मोहब्बत में ऐसा ,
देखा भी ना जाये जैसा ।

अब तो कोई मनाने भी नहीं आता ,
नींद से जागने भी नहीं आता ,
बस ख्याल मे अकसर मिल जाते है ,
बस फिर कही हम उठ पाते है ।

ख़त्म कर तो हम एक पल में दे दास्ता ..
पर हार नहीं माना है ,
जीत कर आज कल को ,
फिरसे मुस्कुराना है .. ।।

Tuesday, September 11, 2018

खौफ

मुश्किलों के दौर से ,
चल रही थी ज़िन्दगी ,
थक रही थी .. रुक रही थी ,
दौड़ रही थी ज़िन्दगी .

कल से हर पल जा ,
मिल रही थी ज़िन्दगी ,
थोड़ी सहमी , थोड़ी डरी ,
कही जा पड़ी थी ज़िन्दगी .

खौफ के मंजर से ,
जब भी हो रहा था वास्ता ,
मानो खो जा रही थी ,
ज़िन्दगी अपना रास्ता .

वो रात वो दिन ,
आज भी डराते है ,
सोच जिसके चंद लम्हो को ही ,
हम सहम जाते है .

जंग हार कर भी ,
जी रही है ज़िन्दगी ,
जबसे हो रही धीरे धीरे ,
हिम्मत से उसकी बंदगी ..II