Saturday, November 29, 2025

मासूम दिल

किन्हीं किस्सों में उसके,
उसके हिस्से की बात भी होगी,
संग अक्सर होते सब उसके,
पर खुद से उसकी मुलाकात कब होगी ?

जिसकी बातों में आकर उसने,
सब कुछ अपना कुर्बान किया,
वक्त आने पर उस कमबख्त ने,
उसे खुद से भी अंजान किया ।

आज मुसाफ़िर आया है,
चेहरे पर उसके मुस्कान लाने,
सजा कर अल्फ़ाज़ को,
लम्हों को उसका बनाने ।

कहा कभी आंखों को किसी ने,
उसके जैसे वो भी मासूम हैं,
दिल के जख्मों को छिपाने में,
वो भी उस जैसे मशहूर हैं ।

होठों पर उसके ये जो मुस्कान,
अब लौट कर आई है,
बस इतनी थी कोशिश,
देखो शायद जो रंग लाई है।

इश्क़ के श्वेत रंग में,
वो इंद्रधनुष बन कर आई है ,
अरसों बाद ... आज फिर ,
खिल खिलाकर मुस्कुराई है ।।