Thursday, June 20, 2024

दिलरुबा

उसकी आंखों से गुजरी निगाहें मेरी,
पूरे संसार को मैंने उसमें पा लिया,
होठों से गुजरी निगाहें जब,
उसकी मुस्कान को दिल में बसा लिया ।

उसकी बिखरी जुल्फों में,
जब मैं खुद को उलझाने लगा,
दिल की धड़कनों के शोर को,
उससे भी छिपाने लगा ।

सुलझा कर लटों को अपने,
वो मुझे झुठलाने लगी,
बिखरे रिश्तों के किस्से को,
अपनी नम आंखों से बताने लगी ।

इश्क़ के गज़ब किस्से सुने आज तक,
पर ये किस्सा थोड़ा खास था,
बहुत बिछड़ों का बना जो आसरा,
दिलबर नहीं इस दिलरुबा के पास था ।

जंग इश्क़ में जो जायज़ हैं,
उसे हम हर रोज़ लड़ते रहेंगे,
दिलबर बन कर दिलरुबा के,
इश्क़ में आहिस्ता आहिस्ता पड़ते रहेंगे ।।

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