Thursday, November 2, 2017

तुम

अभी बस हम ख़ुशी से हटे थे ,
जा जब तुझसे मिले थे ,
सोचा ना था यादें से उनके निकल ,
तेरे हो चले थे ।।

ना तेरा मेरा कोई रिश्ता था ,
ना थी कोई पहेचान ,
थे कल तक जो अजनबी ,
अब नहीं थे अनजान ।।

तुम से मिलकर ... तुम से मिला था ,
अजनबी अब अनजान ना रहाँ था ,
हो रहीं थी बातें बेशुमार ,
होने लगीं थी मोहब्बत फिर एक बार ।।

तभी मधुशाला ने क्या खेल खिलाया ,
गड़ा मुर्दा जाग आया ,
देख जिसे , ख़ुद को तुमने ,
ज़िंदा लाश बनाया ।।

खो दिया तुम को मैंने ,
अब कहाँ तुम आओगी ,
वक़्त के साथ ,
एक हसीन याद बन जाओगी ।।

पर फ़र्क़ होगा थोड़ा ,
और को हम लिखकर सुनाते ,
तुम पर हम लिखते जाते ,
पड़ जिसे वो भी ‘तुम’ से मोहब्बत कर जाते ।।
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