Monday, August 7, 2023

आज झूट जीत गया

सच का वादा कर के वो,
हर सच को झुठला गया,
वफ़ा के बदले हर दफा,
बेवफ़ाई निभाता गया ।

हर सितम को जिसके हम,
दुनिया से छिपाते रहें,
बहते आंसुओं की वजह,
हर दफा काजल को बताते रहें।

ख्वाबों की दुनिया छोड़,
जब सच से सामना होने लगा,
इश्क़ मेरा छोड़ कर दामन,
किसी और का होने लगा ।

ख़त्म कर के सिलसला इश्क़ का,
किसी और को वो बर्बाद करने निकल पड़ा,
छोड़ कर दामन जब आंचल का,
किसी के पल्लू में था लिपट पड़ा ।

सच घुटने टेके,
और झूठ सीना तानें देखो खड़ा है,
सच में सच से कहीं ज्यादा,
इश्क़ में झूठ लगता बड़ा है ।

एक और दफा ,
झूठ और सच के जंग में ,
देखो आज झूठ फिरसे जीत गया,
जिस पल इश्क़ "रूह" से छूट गया ।।