Thursday, September 7, 2023

उसके जाने के बाद

उसके जाने के बाद,
वो इश्क़ किससे निभायेगी,
मांग से मिट चुके सिंदूर को,
फिर कैसे लगायेगी ।

क्या यादों को मिटा उसके,
फिरसे लम्हें जीने लग जायेगी,
तोड़ कर सारे कसमें वादे ,
क्या फिरसे वो इश्क़ निभायेगी ।

काँधे पर सिर रख कर जिसके,
क्या किस्से फिर सुनाएगी,
चाय के चुस्कियों की लत,
क्या उसे भी लगाएगी ।

क्या जुल्म खुद के दिल पर,
किसी के जाने के बाद जरूरी हैं,
इश्क़ में नहीं पड़ना किसी के,
शायद सात फेरों की मजबूरी है ।

पर क्या जिस्म से निकल ,
रूह ने इश्क़ निभाया है क्या,
मौत के बाद फुरसत से मिलने,
कभी वो आया है क्या ?

सुनो ..

आज़ाद कर के उन लम्हों को,
अब उसे उड़ जाने दो,
दो पल की इस जिंदगी को,
किसी और का हो जाने दो ।

क्योंकि मौत के आने से पहले,
इश्क़ को आ जाने दो,
रकीब एक और दफा,
इश्क़ को मोहब्बत में बन जाने दो ।

और हां 

क्या उस जैसा बदनसीब इश्क़,
किसी और को भी नसीब होगा,
जिसके जाने के बाद उसकी यादें,
उसकी मोहब्बत का रकीब होगा ।।