Wednesday, August 31, 2022

खैर छोड़ो

क्या गुजरना है तुम्हें ,
किसी अनछुए शोर से ,
इस दफा गुजरने देना ,
दोनों ही ओर से ।

तुम रोक कर मुझको ,
अब और कितना जलाओगी,
खाक में मिलाते मिलाते मुझे ,
मुझमें ही मिल जाओगी ।

सब्र का बाढ़ तोड़ कर ,
हद से बेहद हो जाओ ,
एक और दफा शिद्दत से ,
पहेली बन जाओ ।

चंद लम्हों में पूरी जिंदगी ,
इस दफा जी आते हैं,
बन कर कोई ख़्वाब,
तुझसे गुजर जाते हैं ।

हां इस दफा .. थोड़ा ,
खैर छोड़ो,
कुछ नहीं ..
हम लौट जाते हैं ।।