Friday, December 31, 2021

तलाश

कोई तो होगा मुझ जैसा ,
जो मुझसे भी इश्क़ निभायेगा ,
हद से बेहद होते मेरे मन को ,
हर बार समझ पायेगा ।

मेरी हर फिक्र में जिसको ,
सिर्फ़ मोहब्बत नज़र आयेगी ,
सवालों के नहीं ,
एहसासों के फूल बरसाएगी ।

हर सुबह जिसका दीदार ,
मेरे आंख खुलने से पहले होगा ,
बंद आंखो में जिसके ,
सिर्फ मेरा जिक्र रहता होगा ।

मेरे उलझन के बढ़ जाने पर ,
हर दफा सुलझाएगी ,
थाम कर हाथ मेरा ,
हर बार मुझे गले से लगाएगी ।


कल्पना नहीं किसी रोज़ ,
वो मेरा सच बन कर आयेगी ,
मुझ जैसे वो भी मुझसे ,
हुबहु शिद्दत से इश्क निभायेगी ।

इंतजार में तब तक उसके ,
चलो मुसाफ़िर बन जाते हैं ,
हर सुबह पड़ कर इश्क़ में किसी के ,
शाम को किसी और से दिल लगाते हैं ।

सिर्फ़ इश्क़ करना नहीं  ,
मुझे इश्क़ में उसे जीना हैं ,
उसके नहीं आने तक तक जिंदगी में ,
हर गुजरते इश्क़ को खोना हैं ।।

मुसाफिर का सफर

ए जिंदगी जिस सफर पे ,
आज कल तू लेकर चल रही हैं ,
यकीनन कुछ तो खूबसूरत ,
बस होने को है ।

इंतजार हर शख्स में था जिसका ,
वो शायद मिलने को हैं ,
या फिर कोई उस जैसा ,
मिल कर बस बिछड़ने को है ।

जिंदगी ने चंद रोज़ में जो दिखाया ,
वो इतने सालो से क्यों गुम था ,
क्यों कुछ बेहतर की कोशिश में ,
हर कोशिश में कुछ कम था ।

जिंदगी और भी बहुत कुछ ,
अब तुझे दिखाना हैं ,
गर आज नहीं बेहतर तो क्या हुआ ,
कल खूबसूरत बनाना हैं ।

ख़्वाब था कल जो मेरा ,
आज वो सच होने लगा हैं ,
आज के सच को देख कर ,
कल के ख़्वाब सजोने लगा हैं ।

जिंदगी चल इस दफा ,
हम तुझे मुसाफिर बनाते हैं ,
बिना रुके किसी मंजिल पर ,
बस चलते जाते हैं ।

और तुम .. मुबारक हो ,
बेहतर कल की ख्वाइश में ,
आज भूल बैठे हो ,
क्या तुम भी खुद को ,
कोई मुसाफिर माने बैठे हो ।।

Thursday, December 23, 2021

तेरी गलियां

मुसाफ़िर के सफ़र में ,
उसका हमसफ़र उसे मिला था ,
पहली दफा उसकी गलियों से ,
जब वो गुजर रहा था ।

ना कोई ख्वाइश थी मुसाफ़िर की ,
ना वो कोई फरमाइश लेकर आई थी ,
जब दूसरी दफा इन्हीं गलियों में ,
फिरसे वो टकराई थी ।

सिलसिला मुलाकातों का ,
फिर से शुरू हो गया ,
पहली दफा किन्हीं रास्तों पर ,
जाकर मुसाफ़िर ठहर गया ।

ना कोई और रास्ता ,
ना गलियां अब दिखाई देती हैं ,
मुसाफ़िर को ठहर जाने की ,
वो हर रोज़ दुहाई देती हैं ।

इश्क़ भी मुकम्मल हुआ दोनों का ,
गुजरते दौर के साथ ,
मिल गई मंजिल भी उसे ,
उसकी गलियों से गुजरने के बाद ।

आखिर चलते चलते मुसाफ़िर ,
किसी एक रास्ते पर ठहर गया ,
उसकी गलियों से गुजरते गुजरते ,
उसके दिल में उतर गया ।

अब तो उसकी मंजिल भी एक ,
मोहबब्त भी एक हैं ,
क्या फर्क पड़ता गर ,
गली के आगे रास्ते अनेक हैं ।

ठहर गया मुसाफ़िर ,
ख़त्म उसकी तलाश हुई ,
जिस रोज़ इन गलियों में ,
जिंदगी से मुलाकात हुई ।।

Tuesday, December 21, 2021

एक सा इश्क़

चल दिल किसी और तरफ चल ,
दिल लगाने के लिए ,
मत ठहर उस गली और ,
खुद को सताने के लिए ।

बैठे हैं और भी दिल ,
तेरे दिल के इंतजार में ,
निभाने को बेहतर इश्क़ ,
पड़ कर तेरे प्यार में ।

ना कोई फरियाद होगी जहां ,
और ना एक तरफा एहसास होगा ,
हर पल हर लम्हा , 
दोनों का खूबसूरत और खास होगा ।

गम में आंसू भी साथ बहेंगे ,
मिल कर दोनों साथ हसेंगे ,
जी भर कर बाते होंगी ,
अनगिनत मुलाकाते होंगी ।

हर दिन में कुछ नई बात होगी ,
हर रोज़ एक नई शुरुआत होगी ,
हर रोज़ कई नए किस्से होंगे ,
जो दोनों के हिस्से होंगे ।

मिलेगा एक रोज़ तुमसे भी दिल ,
जो तुम जैसा धड़कता होगा ,
दूर जाने पर इश्क़ के ,
जो तुम जैसा तड़पता होगा ।

छोड़ दो उस दिल को ,
जो दिल किसी और को दिए बैठा हैं ,
शायद तुम जैसे वो भी ,
एक तरफा इश्क़ में पागल रहता है ।

Tuesday, December 14, 2021

बेशरम

शाम के इस अधेरे से ,
अब डर लगने लगा हैं ,
ना जाने क्यों आसमां ,
अब बादलों से घिरने लगा हैं ।

हर सच और विश्वास ,
एक झूठ से बिखरने लगे हैं ,
हमें छोड़ कर जबसे ,
वो किसी गैर से मिलने लगे हैं ।

ना वास्ता मेरी मोहबब्त का ,
ना मेरे शिद्दत भरे एहसास का ,
ना ही किसी रकीब की खातिर ,
टूटे किसी अटूट विश्वास का ।

बना कर रखा था जिसको ,
मैंने अपना आखिरी आस ,
देखो मज़ाक जिंदगी का ,
उसे आ गया कोई और रास ।

छोड़ कर चला गया मुसाफ़िर ,
अंजना किसी राहों में ,
जा कर होगा पड़ा ,
किसी और की बाहों में ।

मैं फिर भी खोल कर बाहें ,
बेशर्मी अपनी दिखाऊंगा ,
रकीब का जूठा ,
अपने होठों से लगाऊंगा ।।

शिकायत

ए इश्क़ मुझसे तू ,
जरा किसी रोज़ ,
फुर्सत से मिलने आना ,
छोड़ कर सारा बहाना ।

बैठ कर उस रोज़ ,
हम दोनों बातें करेंगे ,
एक दूसरी के खिलाफ ,
मिल कर लिखेंगे ।

और भी बातों का कारवां ,
हम दोनों जारी रखेंगे ,
बस इस दफा दिल की भी ,
एक बारी रखेंगे ।

क्यों सच देकर तुझको ,
मैंने सिर्फ झूठ पाया ,
क्या तूने मुझसे भी पहले ,
किसी की मोहब्बत को था झुठलाया ।

क्या दिल लगाने की सजा ,
तू सिर्फ़ मुझे देने आया हैं ,
या फिर तू ये जुल्म ,
पहले भी कर आया हैं ।

दिल के टूट टुकड़ों से ,
इस दफा फिर मिलेंगे ,
आना कभी फुर्सत से ,
थोड़ी और बातें करेंगे ।।

Tuesday, December 7, 2021

अहमियत

किसी एक शख्स के आने पर ,
आप सब कुछ छोड़ देते होंगे ,
जिंदगी से मंजिल तक के ,
हर रास्ते को मोड़ देते होंगे ।

हर दुख हर सुख जिससे ,
आप का जुड़ने लगता होगा ,
खामोश पड़े धड़कनों को ,
जो शोर से भरता होगा ।

जिसकी पल भर की मौजूदगी भी ,
एक जिंदगी सी लगती होगी ,
दूर जाने पर जिसके ,
मौत भी कम लगती होगी ।

जिसके नज़रंदाज़ करने भर से ,
आप कही गुम हो जाते होंगे ,
आखिर भीड़ में हो कर खड़े ,
खुद की मौजूदगी जताते होंगे ।

आप की नज़र और नज़रिया ,
दोनों ही सच बताते होंगे ,
छोड़ कर उस शख्स को ,
हर किसी को झुठलाते होंगे ।

हर दफा जब अंजाने में ,
कोई और आप से टकराता होगा ,
दिल घबरा कर आपका ,
उस शख्स की याद दिलाता होगा ।

आप किसी को अपनी ,
अहमियत जताते होंगे ,
वो किसी और को ,
अपने जिंदगी बताते होंगे ।

कुछ ऐसे ही दौर से ,
दिल हर रोज़ गुजरता होगा ,
जब किसी के इंतजार में ,
दिल बेकरार रहता होगा ।।

Monday, December 6, 2021

हुस्न को नहीं समझते

रूह में जीने वाले ,
हुस्न कहां देख पाते हैं ,
दो घड़ी की चाहत नहीं ,
ताउम्र साथ निभाते हैं ।

वक्त के साथ एहसास और इजहार ,
दोनों ही बदल जाते हैं ,
जब कभी निभाने वाले ,
उसे शिद्दत से निभाते हैं ।


जिंदगी भर वो दिल ,
किसी एक से लगाते हैं ,
बेहद ही सादगी से ,
वो उस दिल में उतर जाते हैं ।

जिंदगी भर का जिसे ,
आखरी सच वो बताते हैं ,
छोड़ कर जाने पर जिंदगी के ,
वो उसे छोड़ पाते हैं ।

क्या कमाल की मोहब्बत ,
वो दुनिया को सिखाते हैं ,
लगता हैं जैसे कोई सच नहीं ,
सिर्फ़ ख़्वाब में ही आते हैं ।

हुस्न को समझने वाले नहीं ,
हम तो रूह में बसने वालों में आते हैं ,
भला हम क्या जाने ,
हुस्न को समझने वाले क्या समझ पाते हैं ।।

बर्बाद

जब भला मैं सारे सच ,
बिना कहे जान गया था ,
तो इस अधूरे सच से ,
कैसे अंजान रह गया था ।

सच और झूठ के बीच ,
आज झूठ पहले आया था ,
उसके हर एक बदले अंदाज में ,
जिसे मैं देख पाया था ।

ना वो कशिश थी रोज़ सी ,
ना रोज़ जैसा मिजाज़ था ,
पहुंचा तो बेशक मुझतक वो ,
पर कुछ बदला वो आज था ।

वक्त का पहिया घूम कर ,
आज मेरे हिस्से सब ला रहा ,
मैंने जैसे सताया था उसे ,
आज मुझे वो सता रहा ।

तोड़ कर भरोसा उसने ,
मुझे आज़ाद कर दिया ,
शुक्रिया बहुत उसका ,
जो उसने शुक्रिया कह दिया ।

कभी किसी रोज़ कोई ,
सिर्फ़ रूह में बसने आयेगा ,
मुझसे भी बेहतर जो ,
मुझसे इश्क़ निभायेगा ।

इंतजार में बस उसके ,
हम ऐसे ही इश्क़ लुटाएंगे ,
होंगे कभी खुद बर्बाद ,
कभी किसी और को कर जाएंगे ।।

शायद

आज फुर्सत से कुछ पल ,
वो मेरे सामने बैठा था ,
खामोश कर के लब अपने ,
आंखो से कुछ कह रहा था ।

देख कर रंग झुमकों का ,
सब याद ताज़ा हो गए ,
मानो जैसे लौट कर हम ,
फिर से उन रास्तों पर लौट गए ।

माथे पर बिंदी उसके ,
क्या खूब जचती हैं ,
हर दफा जब किसी एक रंग से ,
वो अक्सर ऐसे ही सजती हैं ।

दिल कुछ और दिमाग कुछ और ,
उसकी कहानी बता रहें हैं ,
नज़रे फेर कर हमसे ना जाने ,
वो क्या क्या छिपा रहे हैं ।

फेर कर उंगलियां लटों पर अपने ,
वो अपने चहरे से जुल्फ हटा रही थी ,
गालों पर बसे उस मुस्कुराहट को ,
खुल कर दिखा रही थी ।

और भी जज़्बात जुड़े हैं तुमसे ,
वक्त आने पर बताएंगे ,
लिख दिया जो लिखना था ,
बाकी दिल की धड़कनों से सुनाएंगे ।

हैं फासल जो दूर इतना ,
वक्त के साथ मिट जाएगा ,
थाम कर हाथ किसी रोज़ ,
चंद कदम वो चलने को आयेगा ।।

... शायद !!

Wednesday, December 1, 2021

इंतजार रहेगा

गुजरा वक्त लम्हों में ,
कितना लंबा लग रहा हैं ,
मानो जैसे इस फ़रियाद को ,
एक अरसा हो चला हैं ।

बहुत से एहसास और अल्फाज़ ,
हमने मिल कर सजाएं हैं ,
दूर हो तुम मुझसे तो क्या ,
हम कहां तुम्हें भूल पाएं हैं ।

तुम मेरे हर सच को ,
हमेशा जिंदा कर देती हो ,
फुर्सत के दो पल जब भी ,
अपने हिस्से कर लेती हो ।

तुम अक्सर छोड़ कर जब ,
महफ़िल से जाया करती थी ,
इंतजार रहेगा सुनने के इंतजार में ,
रुक जाया करती थी ।

पर कहां अब जाने को ,
तुम महफिलों में आती हो ,
कर के पराया अपने ही घर को ,
किसी और का घर बसाती हो ।

रहेगा इंतजार लौटने का तुम्हारे ,
लौटने पर और शब्द सजाएंगे ,
बाकी रहे जज़्बात तुमसे ,
फिर कभी और बताएंगे ।।