Thursday, March 31, 2022

कागज़ के फूल

और जब निगाहें मेरी ,
उनके दीदार को तरस रही थी ,
हर दफा गुजर कर भी हमसे ,
एक पल भी वो ना ठहर रही थी ।

कागज़ का फूल ओढ़े ,
वो मेरे अरमानों को कुचल रही थी ,
मानों छोड़ कर मुझे ,
किसी और से मिल रही थी ।

देखा जब एक और दफा ,
निगाहों ने दम तोड़ दिया ,
इश्क़ की इजाज़त नहीं ,
बस ये जानते ही ,
दिल ने धड़कना छोड़ दिया ।

कागज़ के फूल सा ,
अब कोई और उसे छिपा रहा है ,
पूछने पर पहचान जो ,
उसका महबूब बता रहा है ।

टूट कर दिल मेरा ,
काग़ज़ के फूल से साथ पड़ा हैं ,
मेहबूब जिसका ,
हम दोनों को कुचलने को ,
राहगीर बन कर खड़ा है ।

क्या हर इश्क़ करने वाले को ,
ऐसे ही सताया जाता है ,
बना कर महबूब शिद्दत से ,
रकीब के हाथों कत्ल कराया जाता है ।

कागज़ के फूल सा दिल मेरा ,
पड़ा हैं सुख कर जलने को ,
छोड़ कर महबूब का दामन ,
ख़ाक में मिलने को ।।

Wednesday, March 30, 2022

कंधा

देख कर तेरी आंखों में ,
वो कल याद आने लगा ,
बीता हर पल संग तेरे ,
अब मुझे सताने लगा ।

चंद पल के साथ में ,
जिंदगी भर का एहसास था ,
दूर हो कर भी मुझसे ,
तेरा हर एक लम्हा मेरे पास था ।

देखती निगाहें तेरी मुझे ,
आज फिर पुकार रही हैं ,
नजरों में बसा कर अपने ,
दिल में उतार रही हैं ।

आसमान में तारे आज कुछ ,
कम टिमटिमा रहें है ,
चांद से शायद ,
तुझ जैसे वो भी शर्मा रहें हैं ।

आंखो से बहते आंसू ,
मोती बन कर गालों पे आ रहें ,
और फेर कर उंगलियां जिनपर ,
हम हाथों से सहला रहें ।

किस्सा एक और दर्द का ,
वो मुझे सुना रही है ,
छोड़ कर अपनी मोहब्बत को ,
मेरे पास आ रही है ।

इश्क़ में अक्सर कंधा ,
बेहतर इश्क़ निभाता है ,
चंद पल के साथ में ,
जिंदगी भर का एहसास छोड़ जाता है ।

इश्क़ की किताब

मेरे इश्क़ के किताब के ,
महज़ एक शब्द से ,
कब वो किताब बन गया ,
मेरे हर गम हर खुशी का ,
अब वो हिसाब बन गया ।

था नहीं मालूम सफ़र का मुझे ,
फिर भी मुसाफ़िर खुद को ,
मैं बुलाता था ,
बिना मंजिल के भी ,
अजनबी रास्तों पर रुक जाता था ।

ठहर कर मुसाफ़िर ने ,
खुद के सच को झुठला दिया ,
पड़ कर शिद्दत से मोहब्बत में उसके ,
खुद को भी भुला दिया ।

क्या इश्क़ में हर कोई ,
ऐसे ही सब लुटाता हैं ,
या फिर इश्क़ में मुसाफ़िर सा ,
हर कोई ठहर जाता है ।

इश्क़ के किताब का शब्द ,
अब खुद किताब बन गया ,
इश्क़ में हो कर भी बर्बाद ,
इश्क़ को आबाद कर गया ।

इश्क़ की दास्तां बन कर मुसाफ़िर ,
मैं दुनिया को सुना रहा हूं ,
किताब के हर शब्द को ,
सिर्फ़ अपना बता रहा हूं ।