Monday, April 26, 2021

पैग़ाम

मेरी बंद आंखो में भी ,
तेरी ही तस्वीर नजर आती है ,
ख्वाबों में जाते ही मेरे ,
तुझसे दूरियां मिट जाती है ।

इश्क का इजहार हुआ नहीं कभी ,
नफरत का पैग़ाम छोड़ आए ,
यकीन मानों मंजूर नहीं कोई और ,
जिन रास्तों को तेरे नाम कर आए ।

मेरी आंखों से बहते सैलाब को ,
एक किनारा चाहिए ,
हर पल तुझे खो देने के डर से ,
छुटकारा चाहिए ।

तेरी गैर मौजूदगी में भी ,
तेरा एहसास तेरी मौजदगी बताता है ,
हर दफा जितनी बढ़ती है दूरियां ,
दरमियान हमारे ...
तु और करीब आता है ।

तुम्हें खुशियां देने के लिए ,
चलो सरल बन जाता हु ,
गर नहीं मंजूर चांद आसमां में ,
तो तारा बन जाता हु ।

Monday, April 19, 2021

खो जाओ

कितनी उलझन है उनकी बातों में ,
सहमी है जो जज्बातों में ,
जो है बेकरार एक दफा उड़ने को ,
कैद में बैठी है खामोश रहने को ।

शाम के बाद का हो अंधेरा ,
या दिन का हो उजाला ,
देखा है हर दौर उसने ,
पर लौटा नहीं कोई दोबारा ।

कहती नहीं बाते अपनी ,
अपनो से भी छिपाती है ,
दर्द है अनगिनत लम्हों के ,
मरहम उनपर उम्मीदों के लगाती है ।

अदा है खूब लाजवाब जिसकी ,
हुस्ने दीदार है ,
है मौजूद मोहब्बत चौतफा जिसके ,
अधूरा तब भी ऐतबार है ।

लम्हों में खोने को होती तैयार वो ,
फिर लौट कर पिंजरे में आ जाती है ,
आ कर आसमां में एहसासों के ,
उड़ना भूल जाती है ।

हो सके तो खुद से खुद को ,
चंद लम्हों के लिए जुदा कर जाना ,
गर रह जाए अधूरी कोई ख्वाइश ,
अजनबी ढूंढ लाना ।

भूल कर मौजूद उलझनों को ,
संग लम्हों के उड़ जाना ,
कुछ वक्त ही सही ,
खुद में खो जाना ।

Wednesday, April 7, 2021

कह दिया होता

तुम खुश हो यही काफी है ,
किसी और के साथ ही सही ,
क्या फर्क पड़ता है ,
हमें एक दफा कह दिया होता ,
कोई और तेरे दिल मे रहता है ।

तू खुश है साथ उसके ,
और हमें क्या चाहिए ,
वक्त के साथ करें खुदा ,
मिले वो हर खुशी जो तुझे चाहिए ।

कह दिया होता बस एक दफा ,
हम खुद ही कही गुम हो जाते ,
चंद रोज के खुबूसरत यादों के संग ,
जैसे अब .. वैसे तब भी मुस्कुराते ।

लगा था नहीं यूं कभी जाओगी ,
पहली दफा कही बातों को झुठलाओगी ,
पर क्या ही फर्क पड़ता है ,
दिल लगाने से कौन डरता है ।

मोहब्बत सच्ची हो हमेशा पूरी ,
ये जरूरी नहीं ,
हम जैसा ही चाहिए मोहब्बत उन्हें ,
ये कोई मजबूरी नहीं ।

बनाना था जिंदगी भर का जिसे ,
जिंदगी भर के लिए दूर हो जाऊंगा ,
मैं एक और आखिरी दफा ,
अलविदा कहने जरूर लौट कर आऊंगा ,
जिस रोज आसमां में तारा बन जाऊंगा ।

मैं जा रहा हू लौट कर अपने रास्तों पर ,
फिर अजनबी बन जाऊंगा ,
है उम्मीद वो तेरी हर उम्मीद पूरी कर जाए ,
तेरे हिस्से बस अब सिर्फ खुशियां आए ।

कह दिया होता ,
गर इतनी सी बात थी !!

Monday, April 5, 2021

तिल

तेरे लब जो बोले तो छिपे जो ,
तेरे होठों पर दिखे जो ,
जो है तेरी खुबसूरती का राज ,
आओ बताए दुनिया को आज ।

मेरी नज़र जब जब पड़ी ,
मैं ठहर सा गया ,
हटाने से नहीं हटी निगाहें ,
जब जब मैं देखता गया ।

रंग है काल जिसका ,
पर क्या खूब खिलता है ,
तेरे कांधे का वो तिल ,
तुझपर क्या खूब जचता है ।

है तो अनगिनत निशां मौजूद ,
तेरे खूबसूरती बताने को ,
पर है खास बहुत तिल ,
तेरी मुस्कुराहट सजाने को ।

मेरे शब्द भी घबरा रहे ,
अल्फाजों में जिन्हें सजा रहे ,
हैं तो हुस्न का समंदर वो ,
तिल बन लहर जिनमें ,
कहर बरपा रहें ।

गर कभी कोई पूछे मुझसे ,
क्या खुबसुरत तुम्हें बनाता है ,
तिल की मौजूदगी खुद बखूद ,
वो जवाब बयां कर जाता है ।


खूबसूरत सीरत तेरी तो रहेगी ,
हमेशा मेरे लिए सबसे अहम ,
तोड़ देना गर पाला है ,
खूबसूरती का कोई और वहम ।

Sunday, April 4, 2021

जिंदगी और मौत

जिंदगी और मौत 


दिन था शनिवार और आज सुबह काफी पहले हो गई थी शायद 5 बजे से भी पहले और चांद धीरे धीरे आसमां में कही गुम हो रहा था । राहुल रोज की तरह आज भी सुबह सुबह उठ कर नाश्ता बना कर अपने ऑफिस के लिए निकल ही रहा था की अचानक ... उसकी नजर उसके फटे हुए चप्पल पर पड़ी .. जो कभी भी उसका साथ छोड़ने वाली थी । 


राहुल सोचने लगा आखिर आज ये हो क्या रहा है .. पहले सुबह का जल्दी आना और अब ये चप्पल , अभी तो आधे हिंदुस्तान ने जगना भी नहीं शुरू किया होगा , मैं मोची कहा से ढूंढ कर लेकर आऊ ।।


बहुत ही थक हार कर उसने फैसला किया की आज वो इन्हीं चपल्लो में ऑफिस जायेगा । जैसे जैसे वो आगे बढ़ रहा था वैसे वैसे उसकी चप्पल कमजोर पड़ रही थी लेकिन जैसे तैसे वो 7 बजे तक अपने ऑफिस पहुंच गया । 


उस एक घंटे के सफर में अनगिनत सवाल और टूटने के डर ने ... उसे उसके चप्पल में ही उलझा कर रखा था और इसी भागम भाग में वो अपना नाश्ता घर पर ही भूल आया था और तो और स्वभाव से बेहद ही कंजूस राहुल किसी भी हाल में अब बाहर से तो लंच मंगाने ही वाला नहीं था ऐसे में वो अपने लंच के उम्मीद में अपने टूटे चपल्ल के साथ फ्लोर पर इधर से उधर , उधर से उधर ठहलने लगा की तभी उसकी निगाह फ्लोर के कोने में फाइनेंस डिपार्टमेंट की नई इंटर्न श्रेया पर पड़ी ( जो की उस पीले सूट में एक दम परी मालूम पड़ रही थी ) जो कभी किबोर्ड पर हाथ मार रही थी तो कभी लैपटॉप के स्क्रीन पर । दिल से बेहद मासूम राहुल बिना अपने टूटे चपल्लो की परवाह किए हुए दौड़ पड़ा .... जैसे लगा हो श्रेया लैपटॉप को नहीं खुद को ज़ख्म दे रही हो ।


सुबह के करीब 8 बज चुके थे और अभी भी कुछ चुनिंदा "मजबूर मजदूरों" को छोड़ कर पुरा ही फ्लोर खाली पड़ा था ऐसे में राहुल तो वहा तक पहुंचने में सिर्फ कुछ 2 ही मिनट  लगे । 


डू यू नीड एनी हेल्प ( क्या आप को किसी मदद की आवश्यता है ऐसा राहुल ने पूछा ) .. श्रेया ने बेहद ही हैरान निगाहों से पहले तो राहुल की तरफ देखा और फिर अचानक से कुर्सी छोड़ कर खड़ी हो गई । बोली नहीं सर कोई प्राब्लम नहीं है मैने आईटी में फोन कर के बोल दिया है और बस कोई ना कोई आने ही वाला होगा । "थैंक्स फॉर योर कंसर्न" 


जिस तरीके से उसकी आंखे चसमे के ऊपर वाले हिस्से से राहुल को देख रही थी उससे राहुल को एक बात तो समझ में आ गई थी की उसके इस कदम से श्रेया बिल्कुल खुश नहीं है .... ऐसे में उसने ना आओ देखा जा ताओ झट से मुस्कुरा कर पलटा की अचानक तभी पीछे से आवाज आई एक्सक्यूज मी सर .. ऐसा लगा मानो आज के सुबह के जल्दी आने की , चप्पल के टूट जाने की और लंच बॉक्स के छूट जाने की वजह मिल गई हो । खुद को संभालते हुए और बेहद ही एटीट्यूड वाले भाव में बोला "यस टेल मी" , श्रेया बोली सर क्या कोई और सिस्टम मिल सकता है मुझे क्लाइंट को बहुत ही अर्जेंट मेल करना है ।


राहुल के चेहरे की चमक एक अलग ही कहानी बयां कर रही थी उसने थोड़ा रुक कर बोला हां बिलकुल ( उंगलियों से इशारा करते हुए ) तुम मेरा सिस्टम यूज कर सकती हो । 


जैसे जैसे श्रेया आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे राहुल के कदम और तेज़ी से उन टूटे चपल्लो की बिना परवाह किए साथ साथ बढ़ रहे थे और आखिरकार श्रेया ने आसानी से अपना काम खत्म किया और वापिस अपने वर्क प्लेस पर चली गई लेकिन राहुल मानो एक अलग दुनिया में जा चुका था ।


दोपहर के कुछ 1:30 बजे होंगे और अब वक्त था लंच ब्रेक का .. हर कोई व्यस्त था अपने अपने गैंग के साथ खाने खाने में और अगर कोई खाली बैठा था तो वो था राहुल ... की तभी अचानक से कही बहुत दूर से आवाज आई सर क्या हुआ लंच नहीं कर रहे आप ... नहीं भूख नहीं है और तुमने क्यों नहीं किया इधर से राहुल ने बेहद ही सहमी आवाज़ में बोला .. बस सर मैं डाइट पर हू बाकी would you mind if I ask you to join me for a cup of tea ... राहुल ने बोला श्योर और उसके बाद वो दौड़ पड़ा ।।


जब दोनों बाहर चाय पी रहे थे तभी अचानक श्रेया की नजर राहुल के टूट चुके चपल्लो पर पड़ी और बोली सर ये कैसे टूट गई है और खिलखिला कर हंसने लगी .. उसकी हसी के साथ उम्मीद को जिंदगी मिली और श्रेया के पीछे दौड़ते हुए पहले से ही टूटे हुए चप्पल को मौत .. क्या लगता है राहुल इस मिली जिंदगी से खुश होगा या अब तक साथ निभाने वाले चप्पल के मौत से दुःखी ।। बताइएगा जरूर