Saturday, October 31, 2020

फ़िक्र

कभी दूर हो कर भी साथ होते थे ,

हाथो में थामे हर पल हाथ होते थे ,

होती थी लम्बी लम्बी बाते ,

छोटे छोटे ख्वाब होते थे। 


निगाहे तो मिलती थी नहीं ,

अलफ़ाज़ भी लिख कर जाते थे ,

लिखी दास्तने दिल की बातो को ,

अपने लबों से वो पढ़ पाते थे। 


दौर बदला बदली मोहब्बत ,

साथ होना पास होना और बाबू सोना ,

वक़्त के साथ इश्क़ और उसकी वजह ,

दोनों बदल जाते है ,

इस झूठे सच को ,

छोड़ हमें सब मान जाते है। 


बुनते नहीं कोई ख्वाब अब ,

और ना ही इश्क़ में फ़ना हो पाते है ,

सच्चा समझ आज के इश्क़ को ,

कुछ वक़्त के बाद खुद उसे झुट्लाते है। 

 

फ़िक्र होती मुझे उस रांझे की ,

जिसकी हीर कही खो गई ,

बदलते दौर में बदली नहीं मोहब्बत ,

बस उसकी मोहब्बत किसी और की हो गई।

Saturday, October 10, 2020

इश्क़ तो है

माना की इश्क़ में मुश्किलें है बहुत ,

पर करना भी ज़रूरी है ,

ख़ातिर रखने को किसी का दिल ,

किसी का तोड़ना भी ज़रूरी है ।


है एतबार इश्क़ पर उसके इतना ,

हम सब लूटा बैठे है ,

तोड़ कर अपनी ही ख़्वाहिशों को ,

उसकी ख़ुशियों को ही ख़्वाहिश बना बैठे है ।


ना रास्तों का पता ,ना ही कोई ठिकाना ,

अजनबी से लोग और दिल अंजाना ,

फिर भी पैरों के निशा तलाश कर ,

ढूँढ रहा दिल कोई अपना दीवाना ।


ग़ौर से ग़ैर को देख कर भी ,

नज़रें अक्सर लड़ा लिया करते है ,

अजनबी है बहुत महफ़िल में ,

अक्सर दिल चुरा लिया करते है ।


इश्क़ में उलझ कर हर एक दिल ,

किसी रोज़ क़ुर्बान होता है ,

किसी से होती है बेपनाह मोहब्बत ,

तो कोई इश्क़ बेवफ़ा , बदनाम होता है ।


इश्क़ तो हर दिल को होता ,

कभी हँसता कभी रोता है ।।