Thursday, July 21, 2022

सौदेबाज का इश्क़

क्यों नहीं ठहर कर ,
थोड़ा आराम करते हो ,
एक से ही सही ,
इश्क़ खुलेआम करते हो ।

दिल की धड़कनों का सौदा ,
सरेआम करते हो ,
दाम लगा कर इश्क़ का ,
उसे नीलाम करते हो ।

क्यों करते हो इश्क़ ऐसा ,
जिसमे कत्लेआम करते हो ,
कत्ल तुम करो किसी का ,
पर इल्ज़ाम उसके नाम करते हो । 

इश्क़ के किस्सों में ,
जो इश्क़ को बदनाम करते हो ,
किसी गैर की मोहबब्त ,
किसी गैर के नाम करते हो ।

क्या इश्क़ में सीखा यही ,
या किसी ने दिल दुखाया है ,
इश्क़ में पड़ कर भी ,
क्यों इश्क नहीं मिल पाया है ।।

तुम्हारी कहानी

ख्वाइशों में कैद जिंदगी जिसकी ,
ख़्वाब भी उसके अधूरे हैं ,
मिला सब कुछ बिखरा जिसको ,
फिर भी कहते हम पूरे हैं ।

उंगली थाम कर अपनी ,
जिसने चलना सीखा है ,
बचपन में खुद को ,
बड़ा होते देखा है ।

ना साथ मिला कभी ,
ना कोई साथी बन पाया ,
मतलब होते पूरा ,
हर किसी ने उसे गैर बनाया ।

आज भी घर की तलाश में ,
वो कैद हो जाते हैं,
किसी और पिछड़े में जाकर ,
अनजाने में फस जाते हैं ।

मंजिल की तलाश और घर ,
वक्त आने पर मिलेगा ,
किसी रोज़ कोई अजनबी ,
जब उसे अपना कहेगा ।

बाकी और भी जंग ,
अभी बाकी है ,
रखना भरोसा ,
तू खुद में काफी है ।।