क्यों नहीं ठहर कर ,
थोड़ा आराम करते हो ,
एक से ही सही ,
इश्क़ खुलेआम करते हो ।
दिल की धड़कनों का सौदा ,
सरेआम करते हो ,
दाम लगा कर इश्क़ का ,
उसे नीलाम करते हो ।
क्यों करते हो इश्क़ ऐसा ,
जिसमे कत्लेआम करते हो ,
कत्ल तुम करो किसी का ,
पर इल्ज़ाम उसके नाम करते हो ।
इश्क़ के किस्सों में ,
जो इश्क़ को बदनाम करते हो ,
किसी गैर की मोहबब्त ,
किसी गैर के नाम करते हो ।
क्या इश्क़ में सीखा यही ,
या किसी ने दिल दुखाया है ,
इश्क़ में पड़ कर भी ,
क्यों इश्क नहीं मिल पाया है ।।