Tuesday, July 30, 2019

बदनाम “मोहब्बत”

वक़्त के साथ रिश्ते बदल जाते है ,
आज इनसे , कल उनसे दिल लगाते है ,
वो हँसाती , हम रुलाते है ,
बस अक्सर यूही दीवाने हो जाते है ।

ना होती चाहत सच्ची वाली ,
ना ही वो होता आख़िरी बार है ,
लग जाये जहाँ दिल हमारा ,
हो जाता वहीं सच्चा प्यार है ।

जिसको समझ सच्ची मोहब्बत ,
ज़िंदगी उसके नाम कर दी ,
वक़्त के बदलें के साथ ,
सच्ची मोहब्बत बदनाम कर दी ।

कल तक वाली ज़िंदगी से बेहतर ,
आज ज़िंदगी लगने लगी ,
कंधो पर सुकून से रखते थे सर जिसके ,
‘आप कौन’ अब वो कहने लगी ।

क्यूँकि हम जीते हैं हर दफ़ा ,
अपनी ही शर्तों पर ,
बस वक़्त के साथ ,
चाहत बदल जाती हैं ।

कभी वक़्त के साथ वो मुकरती ,
कभी हम चले जाते है ,
बेवजह हर दफ़ा ,
बदनाम मोहब्बत को कर जाते है ||

Sunday, July 28, 2019

फूँल

तोड़ कर लाते है जान किसी की ,
किसी के ख़ुशी के लिये ,
बना गुलदस्ता उसके लाशों का ,
देते है अक्सर हम ,
किसी रिश्ते की ज़िंदगी के लिये ।

रंग उसके फिर भी नहीं बेरंग होते ,
ना ही मायूसी नज़र आती है ,
बिछड़ कर ज़िंदगी से अपने ,
ख़ुशियाँ हमें दे जाती है ।

मौक़ा हो ज़िंदगी का या मौत का ,
हर दफ़ा वो छोड़ अपनो का साथ ,
हमसे मिलने चली आती है ,
बिना उसके मौजूदगी के ,
कुछ कमी रह जाती है ।

काँटो से घिर कर भी ,
नहीं कभी घबराती है ,
मुश्किलों में भी हँसते रहना ,
हमें वो सिखाती है ।

ख़ुशबू से जिसके शमा ,
हर वक़्त महकता हैं ,
जो छोड़ कर अपनी धड़कन ,
दूसरों के लिये धड़कता है ।


मुर्झा जाती है मोहब्बत पहले ,
फूँल तो वक़्त लगाते है ,
अंग्रेज़ी वाले फ़ूल बन ,
हम फिर उन्हें तोड़ने आ जाते है ।

मालूम नहीं कोई अपनी मौत पर,
इस क़दर कैसे मुस्कुरा लेता है ,
ख़ातिर औरों के मोहब्बत की ,
ख़ुद को गवा देता है ।

Sunday, July 21, 2019

ख़्वाबों वाली मोहब्बत

कही हवा का शोर ,
कही दिलो का ज़ोर ,
उल्फ़त में उलझी ज़िंदगी ,
फैली चारों ओर ।

हर दफ़ा वाली मोहब्बत से ,
थोड़ी अलग बात थी ,
ना उलझे थे एहसास , ना जज़्बात ,
ना वो मेरे पास थी ।

इस दफ़ा उसकी मौजूदगी ,
बेहद ख़ास थी ,
अजब सी अदा और दीवानगी ,
जिसके आस पास थी ।

सिलसिला बिना निगाहों के हलचल के ,
धड़कनो को बढ़ा रहा था ,
तेरे लौट जाने का दर्द ,
अब सता रहा था ।

पड़े ख़ामोश अब तक जज़्बात ,
कुछ कहने को आ रहे थे ,
कम थी क्या क़ातिलाना मासूमियत ,
जिससे वो कहर ढा रहे थे ।

बस जो चले गये वो ,
मेरे होश में आते ही ,
क्यू आ जाते है लौट कर ,
मेरे ख़्वाबों  में जाते ही ।।

Saturday, July 20, 2019

अधूरी दास्ताँ

डरने को किसने कहा ,
जो इतना ग़म दिखा रहे हो ,
मोहब्बत थी मुझे भी तुमसे ,
ये क्यू नहीं बता रहे हो ।

जितना जता रहे आज दर्द ए दिल ,
कल गर थोड़ा भी निभा लिया होता ,
ना होती ये दूरियाँ ,ना होता दर्द ,
हम आज भी मुस्कुरा रहे होते ,
और शायद उसकी वजह तुम होते ।

किन राहों पर कर रहे इंतज़ार ,
ज़रा हमें भी बताओ ,
क्यूँकि मैं आज भी .. गुज़रती हु उन राहों से ,
एक दफ़ा हमारी राहों पर आओ  ।

हाँ मैं आज भी खाई क़समें निभा रही हु ,
बेहद मुस्कुरा रही हु ,
बस बदला है , तो वो तेरी अधूरी मौजदगी ,
जिसे मैं छिपा रही हु ।

बड़ा ख़ुशनसीब होता दिल मेरा ,
गर जो तू मुझे समझ पाया होता ,
मंज़िल भी मिल जाती मोहब्बत की ,
गर तूने साथ निभाया होता ।

क्यूँकि मेरी पहली , मेरी आख़िरी ,
मोहब्बत तुम हो ,
कैसे तुम्हें बताऊँ ,
मेरी धड़कनो को कैसे तुम्हें सुनाऊँ ।

इतना वक़्त क्यूँ लगा रहे ,
क्यूँ नहीं उन रास्तों पर लौट आ रहे ,
क्यूँ इस दिल को तड़पा रहे ,
क्यूँ नहीं एक दूजे के हो जा रहे ।

तेरे इंतज़ार में और कितना इंतज़ार होगा ,
ना जाने कब फिर तुझसे प्यार होगा ,
हो वक़्त गर , उन राहों पर लौट आना,
एक दफ़ा फिर मेरे हो जाना ।।

Thursday, July 18, 2019

प्यार बाटने चला

बस डरता हु ..
आज भी दिल लगाने से ,
एक दफ़ा फिरसे टूट जाने से ,
मोहब्बत में फ़ना हो कर ,
रूठ जाने से ।।

तेरा इंतज़ार बड़ी शिद्दत से कर रहा ,
मैं आज भी उन रहो पर ,
जहाँ साथ चलने को तू आई थी ,
उम्र भर साथ रहने की कसमें खाई थी ।

शायद तू आज भी वो क़समें निभा रही होगी ,
होगी जहाँ भी मुस्कुरा रही होगी ,
बस बदला होगा कुछ तो वो मेरा साथ होगा ,
मेरे बदले थामा तूने किसी और का हाथ होगा ।

बड़ा ख़ुशनसीब होगा दिल वो ,
जिसपर तू क़ुर्बान हो गई ,
मंज़िल भी मिल गई होगी मुक़्क़दर की ,
शायद  मेरी ज़िंदगी तुझसे अनजान हो गई ।

क्यूँकि मानता था पहली मोहब्बत को ,
आख़िरी मैं आज तक ,
मेरी साँसे नीलाम हो गई ,
जिस पल वो अनजान हो गई ।

उन राहों से गुज़रना जो कभी ,
मेरी रूह का एहसास पाओगी ,
सच्ची मोहब्बत बँटती नहीं ,
शायद तब समझ पाओगी ।

ख़ैर , गर भूल गये होंगे वो रास्ते ,
कैसे हमें जान पायेंगे ,
गर ना होगी उनसे उसको सच्ची मोहब्बत ,
ख़ुद बख़ुद एक रोज़ समझ जायेंगे ।।

Tuesday, July 16, 2019

पापा


होता वक़्त कम पास जिसके ,
मुझे सीने से लगाने को ,
आती नहीं अदाईगी जिसे ,
मोहब्बत जताने को ।

करते नहीं बया अपनी ख़ुशी ,
ना दर्द दिखाते है ,
देख ले सुकून से जो सपने हम ,
चैन से हमें सुलाते है ।

होती है बातें थोड़ी कम ,
पर बहुत कुछ सिखाते है ,
चंद आँखो की हरकत और
इशारों से हम समझ जाते है ।

मालूम नहीं होता उनके भूख का ,
पर हमें भर पेट खिलाते ,
कभी प्यार कभी फटकार से ,
अपना एहसास छोड़ जाते ।

बस इंतज़ार होता उन्हें एक लम्हे का ,
कब मेरे नाम से वो जाने जाये ,
ज़िंदगी भर के इस उम्मीद को ,
उतार सिने से मुझे गले लगाये ।

पापा  अभिमान है ,
पापा सम्मान है ,
पापा  गौरव और ,
पापा  ही ज्ञान है ।

Friday, July 12, 2019

सहमी आँखे


वो सहमी सी आँखे ,
होंठों पे नज़र का टिका ,
बिखरी ज़ुल्फ़ें ,
निगाहों को मेरा था जिसने रोका ।

अजब सी बेताबी ,
और बढ़ती बेचैनी ,
कैसे निगाहो को उलझा रही थी ,
दिल के धड़कनो को बड़ा रही थी ।

हर दफ़ा जब भी देखता उसको ,
नज़रें चुरा लेती ,
थमते धड़कनो के एहसास को ,
फिरसे बढ़ा देती ।

हर लम्हा अब ,
दिन सा लगने लगा ,
दरमियाँ जो थी हलचल हमारे ,
जब वो थमने लगा ।

रुकने को था सफ़रनामा ,
निगाहों के इस शोर का ,
बस तभी हुआ कुछ ऐसा ,
जिस पर नहीं उनका कोई ज़ोर था ।

वो मुस्कुराई ,थोड़ा शर्मआई ,
पहली दफ़ा जब कुछ कहने को आई ,
लगा अब दरमियाँ इश्क़ होने को हैं ,
जिसमें दिल खोने को है।

पर वक़्त को कुछ और था मंज़ूर ,
एक पल में जाने लगा जब वो दूर ,
मैं रोक नहीं पाया ,
दरमियाँ हो रही हलचल,
रुकने को था तब आया ।

चलो इस मोहब्बत को ख़्वाब समझ ,
हम भूल जाते हैं ,
एक दफ़ा फिर इन निगाहों से ,
इश्क़ करने जाते है ।।