Saturday, December 30, 2023

वफा से बेवफाई

मुझसे इश्क़ की कवायद कर के,
तुम किससे इश्क़ निभाने लगे,
हर बढ़ते कदम को मेरे,
तुम अजनबी बन कर मिटाने लगे । 

मायूस दिल को मेरे,
जब उलझनों ने घेर लिया,
तुमने भी बन कर गैर कोई,
मुझसे मुंह फेर लिया ।

क्या वादे और क्या कसमें,
तुम हर रोज़ खाते रहे,
कर के वादा वफ़ा का मुझसे,
बेवफाई तुम निभाते रहे ।

क्यों ठहर कर मुझ पर ही,
मुझसे इश्क़ निभाया नहीं,
क्यों खुद जैसा मुझको भी,
इश्क़ में फरेबी बनाया नहीं ।

हर सुबह को शाम कह कर,
तुम सूरज को चांद बतलाते रहे,
वफा के बदले बेवफाई देकर,
मुझसे इश्क़ जताते रहे ।

तोड़ कर टुकड़ों में दिल मेरा,
तुमने और कितनो को बर्बाद किया,
मुझ जैसे इश्क़ का वादा,
और कितनो के साथ किया ?!

सुनो..

इश्क़ में बर्बाद होना छोड़ने पर,
तुम किसे बर्बाद कर पाओगे,
उस रोज़ इश्क़ की तलाश में,
खुद ही तड़पते रह जाओगे ।।

Monday, October 30, 2023

पहली नजर

चांद से मिल कर सोया ही था,
ख्वाबों में अब तक खोया ही था,
की एक तस्वीर से जा टकराया,
पहली दफा जब वो मेरे सामने आया ।

आंखों में जिसके सवाल कई,
होठों पे उलझन भरी मुस्कान थी,
गालों के डिंपल में छिपी खूबसूरती,
और मायूस दिल से दुनिया अनजान थी।

देख कर जिसको निगाहें मेरी,
शब्दो को उलझाने लगें,
एक और बार किसी अजनबी को,
उसके किस्से हम सुनाने लगें ।

इंतज़ार किस्सों के पूरे होने का,
अब थोड़ा बढ़ने लगा,
जब छोड़ कर मैं उसे,
अपनी मंजिल को ओर बढ़ने लगा ।

एक और दफा वो जाकर,
पहाड़ों पर मुझसे से टकरा गया,
अरसों बाद लगा कोई निगाहों से,
उतर कर मेरा दिल धड़का गया ।

सुकून की तलाश में हम दोनों,
अब आज़ाद हो कर घूम रहे थे,
एक और दफा शिद्दत से,
इन लम्हें को संग जी रहे थे।

अपने टूटे दिल के दर्द को,
किस्सों से तुमने मिटाया हैं,
बहुत सा ज़ख्म आज भी,
तुमने दुनिया छिपाया हैं ।

मुस्कुराहट का श्रृंगार तुम पर,
पहाड़ों के सुकून सा खिलता है,
बड़ी मुश्किल से ऐसा श्रृंगार,
किसी "कोहिनूर" को मिलता है ।

Thursday, October 12, 2023

दो ज़िंदगी और एक लाश

एक जिंदगी का लूट चुका सब,
एक जिंदगी आज़ाद हो गई,
दोनों की लाश से आखिर,
आखिरी मुलाकात हो गई ।

एक ने रोका बहुत दूर जाने से,
एक ने दूर किया जमाने से,
एक के मांग में सिंदूर भरा,
दूसरे के जीवन में था रंग चढ़ा ।

अब तक होने वाली आबाद ,
देखो अब बर्बाद हो गई,
अब तक होने वाली बर्बाद ,
आखिरकार आबाद हो गई ।।

दो जिंदगी के बीच पड़ी लाश,
बस तमाशा देख रही हैं ,
फरेबी और नकाबपोश से,
वो आज पहली बार मिल रही है।

जिसको सब दिया वो पीछे खड़ा ,
जिसका हक लिया वो लिपटा पड़ा,
अब भला और क्या खोने को है,
लाश तो राख होने को है ।

लिपटे लाश पर खुशबू उसकी,
शमा को महका रही हैं,
मानो संग लाश के,
आत्मा उसकी जा रही है ।

आज दोनों में फर्क ,
देखो बेहद बड़ा है,
एक हाथ जोड़े.. ,
दूसरा सब लुटाए लाश पर पड़ा है।

लाश को सिर्फ एक मलाल हैं,
और उसका एक सवाल है ,
कौन जुल्मी ज्यादा बड़ा है,
वो जो हाथ जोड़े खड़ा है,
या जो कफ़न में लिपटा पड़ा है ?!

जवाब मिलने से पहले ,
लाश राख हो गई,
दो जिंदगी के किस्सों को,
वो साथ ले गई ।।

Thursday, September 7, 2023

उसके जाने के बाद

उसके जाने के बाद,
वो इश्क़ किससे निभायेगी,
मांग से मिट चुके सिंदूर को,
फिर कैसे लगायेगी ।

क्या यादों को मिटा उसके,
फिरसे लम्हें जीने लग जायेगी,
तोड़ कर सारे कसमें वादे ,
क्या फिरसे वो इश्क़ निभायेगी ।

काँधे पर सिर रख कर जिसके,
क्या किस्से फिर सुनाएगी,
चाय के चुस्कियों की लत,
क्या उसे भी लगाएगी ।

क्या जुल्म खुद के दिल पर,
किसी के जाने के बाद जरूरी हैं,
इश्क़ में नहीं पड़ना किसी के,
शायद सात फेरों की मजबूरी है ।

पर क्या जिस्म से निकल ,
रूह ने इश्क़ निभाया है क्या,
मौत के बाद फुरसत से मिलने,
कभी वो आया है क्या ?

सुनो ..

आज़ाद कर के उन लम्हों को,
अब उसे उड़ जाने दो,
दो पल की इस जिंदगी को,
किसी और का हो जाने दो ।

क्योंकि मौत के आने से पहले,
इश्क़ को आ जाने दो,
रकीब एक और दफा,
इश्क़ को मोहब्बत में बन जाने दो ।

और हां 

क्या उस जैसा बदनसीब इश्क़,
किसी और को भी नसीब होगा,
जिसके जाने के बाद उसकी यादें,
उसकी मोहब्बत का रकीब होगा ।।

Monday, August 7, 2023

आज झूट जीत गया

सच का वादा कर के वो,
हर सच को झुठला गया,
वफ़ा के बदले हर दफा,
बेवफ़ाई निभाता गया ।

हर सितम को जिसके हम,
दुनिया से छिपाते रहें,
बहते आंसुओं की वजह,
हर दफा काजल को बताते रहें।

ख्वाबों की दुनिया छोड़,
जब सच से सामना होने लगा,
इश्क़ मेरा छोड़ कर दामन,
किसी और का होने लगा ।

ख़त्म कर के सिलसला इश्क़ का,
किसी और को वो बर्बाद करने निकल पड़ा,
छोड़ कर दामन जब आंचल का,
किसी के पल्लू में था लिपट पड़ा ।

सच घुटने टेके,
और झूठ सीना तानें देखो खड़ा है,
सच में सच से कहीं ज्यादा,
इश्क़ में झूठ लगता बड़ा है ।

एक और दफा ,
झूठ और सच के जंग में ,
देखो आज झूठ फिरसे जीत गया,
जिस पल इश्क़ "रूह" से छूट गया ।।

Sunday, January 29, 2023

समर्पण


यू तो इश्क़ में आज़ाद होकर ,
तुमने मुझसे इश्क़ किया है,
बदले में मैंने तो सिर्फ तुम्हें,
किसी पिंजड़े में कैद किया है।

तुमने देखा है दिन का उजाला,
और रात का अंधेरा भी,
भीगी हो बारिश में,
कई दफा बादलों ने घेरा भी ।

हर मुश्किल को आसान बना कर,
सब कुछ तुमने कुर्बान किया,
इश्क़ के बदले मिली जिंदगी,
वो भी तुमने मेरे नाम किया ।

आखों में तस्वीर मेरी ,
कैसे दुनिया को दिखा देती हो,
अनगिनत लिए जख्म गहरे,
कैसे तुम मुस्करा लेती हो।

ना कभी शिकवा काई,
ना कोई फरमाइश ,
तुमने तो खो कर बस मुझमें,
पूरी कर दी हर ख्वाइश ।

इतनी शिद्दत से भला,
कैसे तुम इश्क़ निभाती हो,
बिना पाने की ख्वाइश में,
सब लूटा जाती हो ।।