Saturday, July 25, 2020

ख़ुशनसीब

मैं ख़ुशनसीब हूँ आज मालूम पड़ा ,
जब मौत चौखट पर थी आ खड़ी ,
जाने की बेला अब थी पास आ रही ,
ज़िंदगी से कही दूर मुझे ले जा रही । 

बस पलट कर देखा उन चेहरों को ,
बग़ैर मेरे कैसे वो मुस्कुराएँगे ,
छूट कर जब इन ज़ंजीरों से ,
हम किसी और शहर निकल जायेंगे ।

क्या मालूम है इन्हें भी ये सच ,
शायद हाँ , पर शायद बिलकुल नहीं ,
एक रोज़ मौत इनके भी चौखट पर आयेगी ,
छोड़ यादें , लम्हे , वादे संग इन्हें ले जायेगी ।

क्या ये चेहरे तब भी यूँ मुरझाये होते ,
आँखों में आँसु , दिल में दर्द दबाये होते ,
मैं तो ख़ुश हुँ मेरे जाने का ऐलान हुआ है ,
बेवक्त नहीं कोई आख़िरी फ़रमान सुना है ।

वरना कहाँ मौत बता कर ,
ऐसे चौखट पर आती है ,
ना सुनती कोई कहानी ,ना वक़्त दे पाती है ।
बस एक पल में लेकर रूह ,कहीं गुम हो जाती है ।।

मैं ख़ुशनसीब हु आज मालूम पड़ा ..!!

Tuesday, July 21, 2020

शोर

मालूम नहीं ज़िंदगी को , मंज़ूर क्या ,
पर कुछ तो , ख़ाली ख़ाली सा लग रहा ,
रात के अंधेरे में , चमकते थे जुगनू कभी ,
अब हर ओर अँधेरा बस रहा । 

पास हैं सब मेरे दिल और जज़्बात के ,
फिर भी कुछ , कमी सी लग रही ,
ख़ामोशी और अंधेरे में ,
जल्दी आने की ,जंग चल रही  ।

वक़्त भी हर रोज़ ,एक सा ही गुज़र रहा ,
कभी मुस्कुरा , कभी गुम रहा ,
मालूम नहीं इतनी क्या है उलझन ,
जो कभी दिल सहम , तो कभी ठिठुर रहा ।

ख़्यालों मे शोर इतना की , सब सुनाई देता है ,
बेवजह ही अक्सर , वो रास्ते मोड़ लेता है ,
ना होती कोई मंज़िल , ना कोई मुसाफ़िर ,
फिर भी अनजान रास्तों पर , चल देता है ।

ना होता पता मंज़िल का ,
और ना ही होता है कोई ठिकाना ,
लोगों से भरा ये शहर ,
लगता है ना जाने क्यूँ वीराना .. अनजाना ।।

Monday, July 20, 2020

हिचकी

मुझसे जुड़ी एक ज़िंदगी ,
और भी है साथ मेरे ,
छिपते छिपाते चलते मेरे अपने ,
है जो हर पल खुलेआम पास मेरे ।

कभी वो ज़िंदगी रंगो में उलझ जाती ,
कभी वो ख़्वाबों के टूटने पर बिखर जाती ,
कभी तुम्हें मंज़ूर नहीं होती वो साथ मेरे ,
कौन बताये ,
ज़िंदगी भर वो रहेगी थामे हाथ मेरे ।

क्या दिल भी देखता है कोई ,
दिल लगाने के लिये ,
ज़िंदगी भर साथ निभाने के लिए ,
संग मेरे ,
मेरी ज़िंदगी को भी अपनाने के लिए ।

माना की आसान नहीं होता सफ़र ,
तीन जिंदगियों का हर बार ,
पर क्यूँ भूल जाती है ये दुनिया ,
इश्क़ है सबका आधार । 

मुझमे है कमी बस इतनी सी ,
और इतनी सी ही है ताक़त ,
हो मंज़ूर तो ले चलो साथ ,
ना कोई हिचकी ना कोई आफ़त ।

मुझसे जुड़ी है एक और ज़िंदगी ,
ज़िंदगी भर के लिये ।।

Wednesday, July 15, 2020

जंग

ये जंग है ख़्वाबों की ,
ख़्वाबों के संग ,
टूटते बिखरते बिछड़ते ,
बदलते कई रंग ।

हौसला भी है वही ,
और जज़्बा भी ख़ूब ,
मौजूद हर मोहरा मैदान में ,
कोई घोड़ा कोई ऊँट ।

क्यूँकि जीतनी है जंग ,
हर बार हार कर भी ,
बस मैदान में है डट जाना ,
मुश्किल मगर मुमकिन है निशाना ।।

हर सुबह उठ कर ,
ख़्वाबों की ओर दौड़ जाते है ,
क्या हुआ जो नहीं मिली मंज़िल ,
ढूँढने रास्ता फिर सो जाते है ।

बस रहा भरोसा ख़ुद पर ,
हौसला नहीं डगमगायेगा ,
ख़्वाबों को सच होने से ,
कौन रोक पायेगा ।