Thursday, June 30, 2022

इश्क़ के किस्से

इश्क में और भी गम ,
हमें हर रोज़ सताते हैं,
मरहम सोच कर जब वो ,
घाव को खरोचने लग जाते हैं।

उम्मीद लगा कर बैठे हम ,
जिसे हर रोज़ वो तोड़ जाते हैं ,
वादा आखिरी मंजिल का कर के ,
बीच रास्ते कहीं छोड़ जाते हैं ।

सिलसिला इश्क़ में बेवफाई का ,
अब बड़ा ही आम है ,
सुबह को है जो आप की जिंदगी ,
शाम में उससे जिंदगी अनजान हैं ।

इश्क़ में अकेला होना बेहतर है ,
तन्हां होने से ,
इश्क़ में ना होना बेहतर है ,
हर रोज़ रोने से ।

आप भी तो इश्क़ में हैं ,
या इश्क़ तलाश रहे हैं ,
आप का इश्क़ कैसा था ,
जिसके आप पास रहे हैं ।

Wednesday, June 29, 2022

दाग़

ये इश्क़ जिसमे दाग़ हैं,
वो इश्क़ में दिखता क्यों नहीं,
बिछड़ने पर महबूब के ,
कभी मिटता क्यों नहीं ।

ना होती उनसे कोई शिकायत ,
और ना जुल्म उनके नज़र आते ,
आते ही जिंदगी में किसी इश्क़ के ,
वो गुनेहगार बन जाते ।

साथ जो सुंदर और अटूट होता ,
कैसे मैला होकर छूट जाता हैं,
बदलाव के इस दौर में ,
शायद इश्क़ से मन भर जाता है ।

पर उन लम्हों का क्या ,
जो आज भी तन्हा बैठे हैं ,
आप के गुजर जाने के बाद भी ,
आप के इश्क़ को ही ,
जो सब कुछ मान बैठे हैं ।

किसी दाग को मिटा कर ,
कोई और दाग़ हम लगाते हैं ,
श्वेत चादर ओढ़े इश्क़ पे ,
अक्सर दाग़ छोड़ जाते हैं ।

पर कोई तो इस दाग को भी ,
खुद ही मिटाएगा ,
इश्क़ में सिर्फ किसी एक के ,
खुद को रंग जाएगा ।

कहीं वो आप तो नहीं ....!

Saturday, June 18, 2022

गुनाह

तुमको पाकर भी शायद ,
खो दिया है मैंने ,
बंद दरवाजों में बहुत ,
रो लिया है मैंने ।

इश्क़ निभाते निभाते ,
कब ज़ख्म कुरेतने लगे ,
फेरती उंगलियों से ,
अब गला रेतने लगे ।

तुम पर लूटा कर सब ,
मैं खुद लूट गया ,
महल के ख़्वाब देखते देखते ,
कहीं सड़क पर सो गया ।

वादा किया था निभाने का ,
वो भी तुम तोड़ गए ,
इश्क़ में तन्हाई मेरे हिस्से ,
तुम जाते जाते छोड़ गए ।

वक्त के साथ तुम ,
सब कुछ बदलने लगे हो ,
मुझे छोड़ कर ,
किसी गैर से मिलने लगे हो ।

खैर ,
इश्क में बहुत बदनाम सुने होंगे ,
पर बर्बाद कभी सुना है क्या ,
इश्क़ के बदले इश्क़ मांगना ,
कोई गुनाह है क्या ?!।