Monday, November 29, 2021

तुम कौन हो

तुम कौन हो मेरी ,
और क्या मैं तुम्हारी पहचान बताऊं ,
पहले मैं तो तुम्हें ,
तुम कौन हो ये जान जाऊं ।

तुमको मैं अपना सुकून कहूं ,
या फिर बेकरारी बढ़ाऊ ,
तुम्हारी मुस्कुराहट के बदले ,
मैं अपना सब कुछ लुटाऊ ।

तुम मेरी हर उलझन को ,
कैसी सुलझाने लगी हो ,
मुझ से भी बेहतर ,
तुम मुझे पहचानने लगी हो ।

तुम मेरे जिक्र में हो हर पल ,
पर फिक्र मेरी तुम्हें सताती हैं ,
बिना कुछ कहे लबों से अपने ,
तुम्हारी आखें सब कह जाती हैं ।

हर दफा गुजर कर जब भी तुम ,
मुझसे कही दूर जाती हो ,
अंजाने में ही सही ,
पर तुम मुझे बहुत सताती हो ।

तुम कौन हो भला ,
जरा खुल कर मुझे बताओ ,
मेरे ख्याल से निकल कर ,
कभी सामने आ जाओ ।

आओ ज़रा खुल कर महफ़िल में ,
सब इंतजार में बैठें हैं ,
तुम कौन हो भला ,
ये मुझसे पूछते रहते हैं ।

तुम मेरा सुकून , 
तुम मेरी खुशी हो ,
तुम मेरा आखिरी सच ,
तुम ही जिंदगी हो ।।

Wednesday, November 24, 2021

आखिरी सच

तुम मेरा आखिरी सच हो ,
जिसको मैं झुठलाऊंगा नहीं ,
बाहों में भर कर सुकून से ,
ले जाऊंगा कहीं ।

तुम मेरा वो सच होता ख़्वाब हो ,
जिससे जुड़ी पूरा कायनात हो ,
तुम मेरी सिर्फ़ खुशी हो ,
दुनिया मेरी जिसमें बसी हो ।

तुम्हारे चेहरे पर मुस्कुराहट ,
हर रोज़ मैं सजाऊंगा ,
वक्त के साथ हर खूबसूरत लम्हा ,
तेरे हिस्से कर जाऊंगा ।

तुम बन कर मेरा सच ,
हर ख़्वाब सजा जाना ,
गर लगा कभी उलझने ,
तो सुलझा जाना ।

आकर मेरी बाहों में ,
मेरा सुकून मुझे लौटा दो ,
लम्हों के मोहताज इस शख्स को ,
उसकी खुशी से मिलवा दो ।

Monday, November 22, 2021

मजबूर

मुझसे ऐसी क्या गलती हुई ,
जो तुम इतनी खफा हो गई ,
हर पल वफ़ा निभाने वाली जिंदगी ,
चंद लम्हों में बेवफ़ा हो गई ।

वादा ना कभी तोड़ा मैंने ,
ना कोई रास्ता मोड़ा मैंने ,
फिर भी क्यों तुम जुदा हो गई ,
किसी बात से तुम खफा हो गई ।

हर जिक्र तेरा मुझको ,
दिन रात अब सताने लगा हैं ,
वफ़ा निभाने पर भी तुझसे ,
मुझे बेवफ़ा बताने लगा हैं ।

ना याद हैं मेरी कोई कसम ,
ना सच तुम मनाने को तैयार हो ,
क्या सच में आज कल तुम भी ,
किसी और इश्क़ के लिए तैयार हो ।

तुम्हारे आने के बाद जिंदगी में ,
मेरे सब बदल गया था ,
पहले से भी ज्यादा ,
अब मैं संभल गया था ।

छोड़ कर बीच रास्ते मुझे ,
मुझसे क्यों तुम इतनी दूर हो गई ,
इश्क़ में भला किसके तुम ,
इतनी मजबूर हो गई ।।

बिंदी

कोई ख़्वाब देखा था मैंने ,
या मैं किसी सच से मिल रहा था ,
माथे पर अपने बिंदी से ,
जब मेरा मेहबूब सज रहा था ।

चांदनी रात में वो ,
किसी चांद सा चमक रही थी ,
अपने इस श्रृंगार से वो ,
खुद में जब वो उलझ रही थी ।

पलकें उसकी थम गयी ,
जब आईने में खुद को निहारा ,
और फ़िर अपने सच को ,
क्या खूब उसनें नकारा ।

मैं मंद मंद बस मुस्कुराता रहा ,
खुबसूरती उसकी झुठलाता रहा ,
निगाहों में बस चुके इश्क़ को ,
दिल में बसाता रहा ।

माथे से जब उसनें ,
बिंदी को हटा दिया ,
लगा किसी सच को 
एक पल में झुठला दिया l

Sunday, November 21, 2021

दिल के ज़ख्म

तुम ही मेरी हर खुशी ,
और हर गम का हिसाब थी ,
तुमसे जुड़ी हर बात ,
मेरे लिए पूरी कायनात थी ।

तुम थी मेरे दिल में ,
और धड़कनों को बढ़ाती थी ,
हर दफा खामोशी से ,
बहुत शोर कर जाती थी ।

तुमसे हर दफा गुजरने पर ,
मैं सुकून से जा मिलता था ,
जब कभी मेरी निगाहों से , 
तू बन कर अजनबी गुजरता था ।

तुमसे इश्क़ के बदले भला ,
कहां कभी कुछ भी मांगा था ,
मैंने तुम्हें ही अपना ,
आख़िरी मुकाम माना था ।

हर शाम के गुजरने पर ,
रात का इंतजार होता था ,
लम्हों के कुछ पल भी ठहरने पर ,
दिल बेकरार होता था ।

छोड़ कर मुसाफ़िर को ,
तुमने रास्ता बदल लिया ,
पलकों पर आंसू और 
दिल को जख्मों से भर दिया ।

क्या सच में इश्क़ में ,
अक्सर ऐसा ही होता हैं ,
सच्ची मोहब्बत करने वाले का दिल ,
जख्मों से भरा होता हैं ।। 

Saturday, November 20, 2021

लौट आओ

आज की सुबह ,
हर रोज़ जैसी ना थी ,
होठों पर मुस्कुराहट कम ,
आंखो में नमी थी ।

तुम थी बाहों में मेरे ,
पर दिल में क्यों नहीं थी ,
क्या सच में इश्क़ में मेरे ,
कोई कमी थी ।

रात भर ख़्वाब में ,
बस तुमको देखता रहा ,
सच मान कर ख़्वाब को ,
पलके भिगोता रहा ।

तुम मेरी खुशी हो ,
और मेरे सुकून का सबब ,
तुम हो कितनी अज़ीज़ ,
ये जानता हैं मेरा रब ।

लौट कर बाहों में मेरे ,
आकर फिर से बस जाओ ,
शिद्दत से मुझे भी ,
खुद जैसा इश्क़ सिखाओ ।

सुनो .. इधर आओ ,

ठहर कर इस दिल में ,
दिल को जरा धड़काओ ना ,
एक और दफा सुकून से ,
मेरी खुशी बन जाओ ना ।।

Friday, November 19, 2021

इश्क़ की प्याली

अगर मैं चाय होता ,
फुक फुक कर तुम ,
क्या मुझे भी होठों पर लाती ,
गले से उतारते हुए ,
अपने दिल में बसाती ।

मैं जलता हर दफा ,
तुमसे गुजरने को ,
तुम जैसी चाय से मोहब्बत ,
सिर्फ़ तुम से करने को ।

तुम जैसे शिद्दत से ,
प्याली को होठों पर लाती हो ,
क्या सच में मुझसे ज्यादा ,
तुम चाय से इश्क़ निभाती हो ।

जिसकी हर छुवन में ,
गर्माहट का एहसास होता हैं ,
बस कर लबों पर जो ,
हमेशा सुकून का आस होता हैं ।

खुशबू मेरे जाने के बाद भी ,
फिज़ा में महकती रहेगी ,
क्या किसी रोज़ तुम भी मुझसे ,
कड़क चाय सी मोहबब्त करोगी ।

चाय से दिल तो ,
हर शख्स लगता हैं ,
पर चाय सा इश्क़ ,
कहां सबको मिल पाता हैं ।

इश्क़ में हैं सब उसके ,
पर उसको सबसे इश्क़ कहां हैं ,
बस जाए जिसके भी रूह में ,
उसका तो घर बस वहां हैं ।

बाहों को समझ कर प्याली ,
क्या तुम मुझको उसमें भर पाओगी ,
उतनी ही तलब से ,
क्या मुझे भी होठों से लगाओगी ।।

तुम हो कौन

चांद हो तुम मेरा ,
या चांदनी रात हो ,
दूर हो कर भी ,
लगती बेहद पास हो ।

सर्द मौसम की गर्माहट ,
या बर्फीले पहाड़ हो ,
हर एहसास जो जुड़े तुमसे ,
वो बेहद कमाल हो ।

सुकून हो तुम मेरा ,
या चैन-ए-करार हो ,
पहली तो बिल्कुल नहीं ,
पर क्या आखिरी इज़हार हो ।

खुशी हो मेरी तुम ,
तुम ही मेरा इकरार हो ,
गुजरते लम्हों के बदले ,
मिला जैसे कोई उपहार हो ।

तुम हो कोई संगीत सी ,
धुन जिसका तैयार है ,
एक और जिंदगी जीने को ,
दिल जिसका बेकरार है ।

तुम से जुड़ी हैं जिंदगी ,
जिसका तुम आधार हो ,
चंद फासलों के बाद भी ,
बाहों में जिसके संसार हो ।।

Thursday, November 18, 2021

रंजिश

कुछ पल लगा जैसे वो ,
मुझसे बेहद खफा है ,
आज जब लगी वो दूर ,
मुझसे पहली दफा है ।

खता हुई क्या मुझसे कुछ ,
क्यों वो खामोश खड़ी है ,
क्यों नहीं बढ़ रहे कदम उसके ,
इतनी पीछे क्यों चल रही है ।

आंखो में दुनिया उसके ,
गालों पर सारा नूर हैं ,
बिखरी जुल्फ कांधे पर ,
होठों पर किसका कसूर हैं ।

सारे ख़्वाब और सच ,
सब एक पल में खोने लगे ,
लगा जैसे वो छोड़ कर हमें ,
किसी और के होने लगें ।

उसकी बातें और उसकी मुलाकाते ,
सब आंसू के साथ बह गए ,
जिस रोज़ एक आखिरी दफा ,
वो हमसे अलविदा कह गए ।

रंजिश इश्क़ में भला कभी ,
कहां कोई निभा पाता हैं ,
बिना धड़कन के दिल बेचारा ,
कहां जिंदा रह पता हैं ।

आ जाता हैं कोई और दिल ,
फिर से दिल लगाने को ,
रंजिश की आग बुझा कर ,
इश्क़ सीखना को ।।

Wednesday, November 17, 2021

आखरी आस

जिस करवट मुड़ रही हैं जिंदगी ,
मैं उस करवट हो लेता हूं ,
मुसाफ़िर के इस सफ़र में ,
किसी हमसफ़र को चुन लेता हूं ।

जो मेरा सुकून हो ,
और हो सिर्फ़ मेरी खुशी ,
उलझनों में उलझ कर भी ,
मुस्कुराती हो जिसकी ज़िंदगी । 

हर पल हर डगर जो मेरे साथ हों ,
अटूट जिसका विश्वास हो ,
पहली का तो पता नहीं ,
पर ताउम्र जो मेरी आखरी आस हो ।

नज़र हो जिसकी पारखी ,
और नज़रिया ईमानदार हो ,
पहली नज़र वाला इश्क़ ,
जो एक दम शानदार हो ।

उसका का तो पता नहीं ,
पर वो मेरा आखिरी प्यार हो ,
जिंदगी भर मैं उसके ,
और वो मेरे लम्हों का कर्ज़दार हो ।

ख़्वाब हैं जो आज मेरा ,
सच में उसका कभी दीदार हो ,
साथ मेरे पास मेरे जो रहे हमेशा ,
मन में न कोई सवाल हो ।।

Tuesday, November 16, 2021

कल बताऊँगा

तुमसे कहनी हैं एक बात ,
आज कह दूं क्या ,
या छोड़ कर कल पर ,
जिसे रहने दूं क्या ।

दिल से जुड़ा मेरा ,
एक खूबसूरत पैगाम हैं ,
लिखा जो मैंने सिर्फ ,
तुम्हारे नाम हैं ।

ना बात तुम्हारे हाथ ,
थामने से जुड़ी हैं ,
ना बाहों में भरने की ,
कोई मुझे हड़बड़ी हैं ।

आँखों में तुम्हारे ,
छिपा एक पैगाम है ,
लिखा उसमें लेकिन ,
किसी और का नाम है l

होठों पर ये हसीं नहीं ,
तुमने दुनिया बसाई हैं ,
इज़हार-ए -इश्क की दास्तान ,
पूरी कायनात को सुनाई है ।

मुझे भी तुम्हें कुछ,
बहुत जरूरी बताना हैं ,
अपने एक आंजने सच से ,
तुम्हें वाकिफ कराना हैं ।

चलो रहने देते हैँ,
कल पक्का बताऊँगा ,
फुर्सत से मिलने जब ,
तेरे घर आऊंगा ।।

साथ

तुम मेरी आदत नहीं ,
मेरी ताकत बनना ,
हर वक्त हर लम्हा ,
बस मेरे साथ चलना ।

ना कभी कोई दूरी ,
ना कभी कोई मज़बूरी ,
कुछ भी तो नहीं है ,
रिश्ते में इश्क़ से जरूरी ।

खुद को मेरी आंखो में ,
हर रोज़ ऐसे ही संवारना ,
अपनी तस्वीर मेरे दिल में ,
हर दफा ऐसे ही उतारना ।

बन कर मेरा सुकून ,
एक आख़िर सच बन जाना ,
हो चाहे कुछ भी ,
बस शिद्दत से साथ निभाना ।

तुम बस ऐसे ही पास मेरे ,
हमेशा हर पल साथ मेरे ,
मेरा साथ निभाना ,
फिर कभी इतना दूर मत जाना ।

ना मांगा कुछ भी तुमने मुझसे ,
ना मैं कुछ दे पाया हूं ,
सिवाए कुछ उलझन और सवालों के ,
क्या ही मैं तेरे हिस्से कर पाया हूं ।

फिर भी ,
रहोगी ना हर पल .. 
हर लम्हा साथ मेरे ?? 
.... बोलो !!!

हुआ क्या हैं ?

मुझे हुआ क्या हैं आज कल ,
ये हर कोई सोच रहा हैं ,
फिर भी भटके मुसाफ़िर से रास्ता ,
अपनी मंजिल का पूछ रहा है ।

पर तुम भी ये सवाल पूछोगी ,
मैंने कभी ऐसा सोचा ना था ,
इस तरह कभी बीच रास्ते ,
मुझे किसी ने पहले रोका ना था ।

हाल दिल का मेरा तुमसे बेहतर ,
भला और कौन जान पायेगा ,
क्या है इजाज़त किसी और दिल को ,
जो हमसे कोई दिल लगाएगा ।

तुम्हारा असर इस दिल पर ,
देखा कितना होने लगा हैं ,
होश में होकर भी महफ़िल में ,
बस तुझमें खोने लगा हैं ।

हर अल्फाज़ से तुम सजी हो ,
और हर कहानी तुम्हारी हैं ,
जिक्र में भला आएगा कैसे ,
जब इश्क़ रूहानी हैं ।

हुआ कुछ भी नहीं मुझे ,
बस अब तुम्हें और जीने लगा हूँ ,
हर बार और शिद्दत से ,
हर रोज़ मिलने लगा हूँ ।।

दीदार

जब कुछ पल के लिए तुम ,
मुझसे दूर जाने लगी थी ,
थाम कर हाथ मेरा ,
मेरे पास आने लगी थी ।

आज वक्त की सुई गुजरने में ,
कितना वक्त लगा रही हैं ,
इंतजार तेरे दीदार का ,
हर गुजरते पल में बढ़ा रही हैं ।

आखिरी दफा हैं इस जिंदगी में ,
जब तुम मुझसे इतनी दूर हो ,
अपनी निगाहों में उलझन ,
और उसकी मौजूदगी से मजबूर हो ।

देख रहा तुम्हारी आंखों में जो ,
कहीं उसको किसी का दीदार ना हो जाए ,
कर रहा इंतजार जो सिर्फ तुम्हारा ,
कहीं उसकी झलक वो ना पा जाए ।

दिल की धड़कन का हाल ,
अब ये कैसा हो रहा हैं ,
बदलने लगा हैं शोर जिसका ,
जबसे तू मुझसे दूर हो चला हैं ।

बैठा हैं जो थाम कर हाथ तुम्हारा ,
हर पल हर लम्हा तुम्हारे इंतजार में ,
क्या बंद आंखो को आया ख्याल मेरा ,
या जिक्र तुम्हारे किसी सवाल में ।।

Monday, November 15, 2021

सच

तुम मेरा सुकून ,
तुम ही मेरा करार हो ,
पहला नहीं पर आखिरी ,
मेरी ख्वाइशों का संसार हो ।

इज़हार-ए-इश्क़ तुमसे भला ,
हम कहां कभी कर पायेंगे ,
दूर हो कर भी पास तेरे ,
हर वक्त जिक्र में लाते आ जाएंगे ।

देख कर आंखो में तुम्हारे ,
अब हम खोने लगे हैं ,
हर दिन हर रात बस तेरे ,
अब हम होने लगे हैं ।

होठों पर हसीन शरारत तुम्हारी ,
जब गालों पर आकर बस जाती हैं ,
ना चाह कर भी हर दफा ,
मेरी बेकरारी बढ़ जाती है ।

जुल्फ जब कभी तुम्हारे ,
चेहरे को आकर ढकते हैं ,
फेर कर उंगलियां अपनी ,
हम जुल्फ हटा दिया करते हैं ।

थाम कर हाथ मेरा ,
क्यों रुक नहीं जाती हो ,
हर गुजरते लम्हों में आकर भी पास ,
क्यों दूर चली जाती हो ।

तुम मेरा वो सच बन गई हो ,
जिसका पता अब सबको हैं ,
क्यों नहीं पता तुम्हें ,
जो पता मेरे रब को हैं ।।

सोचो अगर

सोचो अगर किसी रोज़ ,
मैं कही सच में खो गया ,
अपने सुकून की जगह ,
किसी और का हो गया ।

सोचो अगर किसी रोज़ ,
तुम मुझसे खफा हो गई ,
या पल भर के लिए ,
बेवजह ही जुदा हो गई ।

सोचो अगर किसी रोज़ ,
कोई तुम्हें मुझसे चुरा ले गया ,
मेरे सुकून को एक पल में ,
हर पल के लिए अपना कह गया ।

सोचो अगर किसी रोज़ ,
कोई मुझे तुमसे चुरा ले गया ,
क्या मुझे ढूंढने तुम आओगी ,
या बिन ढूंढे आगे बढ़ जाओगी ।

क्या तुम भी छोड़ कर मुझे ,
किसी और का हो जाओगी ,
बताना जरूर क्या कभी मुझे ,
किसी और से बांट पाओगी ।

या फिर ,
बन कर मेरा सुकून ,
हर वक्त ऐसे ही उलझाओगी ,
भर कर बाहों में अपने ,
सिर्फ़ अपना कर जाओगी ।

बताना जरूर ........
क्या कभी तुम मुझे ,
किसी और से बांट पाओगी ।।

Sunday, November 14, 2021

एक ख़्वाहिश

तुम्हारे हिस्से इस जिंदगी की ,
वो कौन सी खुशियां कर जाऊं ,
ना रह कर भी इस जहां में ,
जिंदगी तुम्हारी खुशियों से भर जाऊं ।

हर दर्द और हर गम का खज़ाना ,
जिसे तुमने आज भी कहीं छिपा रखा है ,
क्या सच में तुमने मिटा दिया सब ,
या आज भी कहीं लिखवा रखा है ।

आंखो में देख कर तुम्हारे ,
बस सोचता हूं कह दूं हर बात ,
लौटा दू हर एक लम्हा ,
और गुजरी अधूरी रात ।

इश्क़ के मायने और मतलब ,
तुम सब बदलने लगी हों ,
गुजर कर निगाहों से मेरे ,
जबसे दिल में उतरने लगी हो ।

थाम कर हाथ तुम्हारा जब भी बैठता हूं ,
मानो उस पल में ही ठहर जाता हूं ,
करती हो बात जब कभी जाने की ,
हर दफा सोच कर जिसे डर जाता हूं ।

तुम हो सुकून मेरा हर पल ,
तुम्हारा सुकून मेरा बनना बाकी हैं ,
जिस पल भी गुजरों तुम मुझसे ,
मुझ जैसा सुकून मिल जाए तुमको ,
मेरे लिए बस यही काफी है ।।

Saturday, November 13, 2021

तेरी आंखे

पहली दफा निगाहों से तुम्हारे ,
जिस रोज़ मेरी बात हुई ,
पहली दफा हम दोनों की ,
खुल कर मुलाकात हुई ।

तुम खामोश हो कर बस मुझे ,
शिद्दत से निहार रही थी ,
दूरियों को मिटा कर ,
मेरे बाहों में आ रही थी ।

चांद आसमान में रौशन ,
और तारे भी चमक रहे थे ,
दो अजनबी आज पहली दफा ,
एक दूसरे से मिल रहे थे ।

थाम कर हाथ तुम्हारा ,
जब मैं कुछ दूर चलने लगा ,
तुमने मुझको रोक दिया ,
ना जाने क्यों बीच रास्ते टोक दिया ।

पहला स्पर्श और उसकी खुमारी ,
अब तो बस चढ़ने लगी थी ,
जिंदगी जब पहली दफा ,
जिंदगी से मिलने लगी थी ।

सुकून तेरी आँखों में है,
या है मेरी नज़रों की तस्वीर में,
या फिर उलझने लगा है दिल,
हमारी उलझी तक़दीर में ll

ठहरने आना

वक्त होता नहीं पास कभी ,
वक्त निकालना पड़ता हैं ,
ठहर कर निगाहों में तुम्हारे ,
दिल में तुन्हें उतारना पड़ता है ।

करता हूं कोशिश हर दफा ,
जब भी तुम्हें करीब लाने की ,
ले आती हो जिक्र वक्त के ,
चंद पल में ख़त्म हो जाने की ।

सच कहूं तो सुकून के सिवा ,
कुछ भी और देख नहीं पाता हूं ,
हर दफा जब सुकून की तलाश में ,
तुम्हारे निगाहों में डूबने आता हूं ।

फेर कर उंगलियां चेहरे पर तुम्हारे ,
हर बार जब जुल्फ को सुलझाता हूं ,
हर एक स्पर्श से तुम्हारे ,
मैं ख़ुद ही उलझ जाता हूं ।

थाम कर हाथ मेरा जब सुकून से ,
अपने गालों पर रोक लेती हो ,
मानों जैसे किसी मुसाफ़िर को ,
रास्ते में उसके टोक देती हो ।

फासला अब मिटने लगा हैं ,
और फ़ैसला हमें मालूम नहीं ,
भर कर बाहों में सुकून से ,
ले जायेंगे उन पहाड़ों पे कभी ।

कभी तुम आना फुर्सत से ,
अपना वक्त देने के लिए ,
चंद पल में गुजर जाने नहीं ,
जिंदगी भर ठहरने के लिए ।

कभी आना फुर्सत से तुम ,
सिर्फ मेरी होने के लिए ।।

Friday, November 12, 2021

घड़ी

रंगो में उलझी जिंदगी का श्रृंगार ,
भला बेरंग कैसे कर पायेगा ,
जब तक उसके हिस्से वक्त ,
सही वक्त नहीं लेकर आयेगा ।

देखा जब पहली दफा तुम्हें ,
तबसे ही दिल बेकरार हैं ,
मालूम नहीं इंतजार किस घड़ी का ,
दिल तो हर वक्त तैयार है ।

सुकून के पल से जिंदगी तुम्हारी ,
अब थोड़ी गुजरने लगी हैं ,
जबसे वक्त के सुई सी मोहब्बत  ,
बिना रुके तुमसे मिलने लगी है ।

मैं देख कर तुम्हें होते जुदा खुदसे ,
फिर भी देखो मुस्कुरा रहा हूं ,
वक्त के साथ बदलते एहसास पर ,
कुछ नया लिख कर सुना रहा हूं ।

तुमसे जुड़ा हर रंग और उसका एहसास ,
वक्त भला कहां मिटा पायेगा ,
देखना गुजरते वक्त के साथ ,
ये रिश्ता और भी गाढ़ा हो जायेगा ।

चढ़ेगा रंग इस दफा इश्क़ का कुछ ऐसा ,
तेरी खुशबू फिज़ा में हर ओर महकेगी ,
देखना एक रोज़ खुद इस घड़ी से ,
रुक जाओ .. तुम कह दोगी ।

उतार कर घड़ी हाथों से अपने ,
जब वक्त किसी के हिस्से करने आओगी ,
देखना वक्त के गुजरने से पहले ,
दिल में उसके बस जाओगी ।

हर रोज़ इश्क़


उसका बदला मिजाज़ और सच ,
अब सब बदलने लगा हैं ,
जबसे किसी अजनबी से ,
वो हर रोज़ मिलने लगा है ।

मेरी बातें और अनगिनत मुलाकाते ,
क्या वो सब भूल जायेगा ,
या फिर एक और दफा ,
उससे भी मेरे जैसे कसमें खायेगा ।

चंद लम्हों में मुकम्मल इश्क़ को ,
जिंदगी भर का साथ बतायेगा ,
किसी रोज़ उसको भी वो ,
सब ख़त्म कह कर चला जायेगा ।

अजनबी जिसकी पहचान से ,
वो आज तक खुद भी अंजान हैं ,
कहता हैं आज कल सबसे ,
वो अजनबी ही उसकी जान हैं । 

हर दिन और हर रात ,
अब उसके ही किस्से सुनाता हैं ,
भला एक सी बात एक सा इश्क़ ,
कैसे वो हर किसी से कर पाता है ।

मेरे हिस्से की हर खुशी ,
और उसके हिस्से का गम ,
वक्त के साथ सब कम होने लगा हैं ,
जबसे अजनबी को अपना कहने लगा है ।

हर इश्क़ करने वाले की ,
अधूरा इश्क़ ही कड़वी सच्चाई हैं ,
आज तक जिंदगी भर खुशी ,
किस खुशनसीब को मिल पाई है ।।

Wednesday, November 10, 2021

सब ख़त्म

मेरी भीगी पलकों पर तेरा तोहफ़ा ,
इश्क़ सा गुजरने लगा हैं ,
आज कल तो दिन रात ,
किसी नदी सा बहने लगा है ।

जिंदगी भर का साथ ,
एक पल में खत्म हो गया ,
जिस पल "सब खत्म" कह कर ,
वो मुझसे गुजर गया ।

था नहीं मालूम खुशी जिंदगी से ,
कुछ इस अंदाज में जायेगी ,
बन कर चंद लम्हों की खुशी ,
ताउम्र का गम छोड़ जायेगी ।

ना पता अब दिन का मेरे ,
ना रात का ठिकाना हैं ,
जिंदगी तो बस जी रहा ,
मौत को भी आना हैं ।

जिस रोज जिंदगी मुझसे ,
सब ख़त्म कहने आयेगी ,
तुझ जैसे मेरी रूह भी ,
एक पल में इस जिस्म को छोड़ जायेगी ।

वादे , इरादे , कसमें और साथ ,
भला कैसे सब एक पल में ,
कोई तोड़ कर जिंदगी से जाता हैं ,
क्या सच में यही इश्क़ सिखाता है ।

It's Over

Once in Moon light ,
Darkness entered through the door ,
I was not prepared for it ,
So ran away to close the door .

She rested in my arms every night ,
And I held her very tight ,
She Refused to sleep ,
And said "I don't want be your peace" .

I was all shattered and lost ,
Almost felt I died ,
No one was around to listen ,
How much I tried .

She fought but came back ,
Every time more stronger ,
Never knew she'll go ,
And will never return after .

I cried I begged for peace ,
But she clearly denied ,
She said "it's over" ,
That one dark night .

My arms are still longing for her ,
I wonder if she'll return ever ,
Holding me tightly in her arms ,
And all to be mine forever .

Even if she'll not come back ,
I will love her forever ,
My heart says ,
Babe it's not Over .

बेवजह

वजह क्या हैं जो तुमको ,
हम हर रोज़ उलझाते हैं ,
मालूम नहीं पता तुम्हारा ,
फिर भी घर तक आते हैं ।

ना पता मंजिल का मुझे ,
ना मेरे पीछे कोई हुजूम है ,
सुकून हो तुम मेरे लम्हों की ,
बस इतना ही मालूम है ।

मिट रहे फासले यकीनन ,
पर कदम सिर्फ़ मैं बढ़ा रहा ,
तुम तो अब भी हो वही खड़ी ,
बस मैं पास आ रहा ।

तुमसे मिल कर बिछड़ने का ,
डर अब सताने लगा हैं ,
हर रात जबसे ख्वाबों में भी ,
तू मेरे आने लगा है ।

हर पल का इंतजार तेरा ,
किसी इजहार सा लगता है ,
दूर हो कर भी जो मेरे ,
हर वक्त पास सा लगता है ।

पहली दफा गुजर रहा मैं ,
किसी ऐसे अजनबी से हूं ,
लग रहा जैसे मैं गुजर रहा ,
अपने जिंदगी से हूं ।

तुम हो सुकून मेरी और ,
तुम ही हो मेरी हर वजह ,
क्या सच में नहीं होता क्या ,
कुछ भी बेवजह ।।

Monday, November 8, 2021

तुम कहो


तुम कहो तो तुम पर ,
एक किताब लिख दूँ ,
पूरी की पूरी अपने हिस्से की ,
कायनात लिख दूँ ।

तुम कहो तो तुम पर ,
सारी खुशियां लूटा दूँ ,
हर एक पल का कर्ज ,
बस एक पल में चुका दूँ ।

तुम कहो तो तुम पर ,
एक ग़ज़ल बना दूँ ,
अल्फाज़ के श्रृंगार से ,
तुमको सजा दूँ ।

तुम कहो तो तुम पर ,
एक नया धुन बना दूँ ,
तुम जैसे उसको भी ,
दुनिया को सुना दूँ ।

तुम कहो तो तुम पर ,
एक तस्वीर बना दूँ ,
हर रंग से भर कर जिसको ,
तेरी पहचान बता दूँ ।

तुम कहो तो तुम पर ,
अपना सब लूटा दूँ ,
होकर सिर्फ तुम्हारा ,
तुम्हें तुमसे चुरा लूँ ।

एक दफा कहो ना ,
तुम पर क्या बना दूँ ?

तुम पर चाँद सजा दूँ ,
या कायनात झुका दूँ ,
बस एक दफा कहो ,
तुम पर क्या बना दूँ ?

Saturday, November 6, 2021

तेरा इंतजार

शुक्रिया आप का ,
मुझे मेरे सुकून से मिलवाने के लिए ,
चंद लम्हों में अरसे भर की ,
खिलखिलाहट दे जाने के लिए ।

इन लम्हों को अब मैं ,
अपने पास सजा कर रखूंगा ,
तेरे लौट आने तक ,
दुनिया से छिपा कर रखूंगा ।

रहेगा इंतजार अब मुझे ,
तेरे लौट आने का ,
बेवजह ही किसी गैर को ,
मेरा अपना बताने का ।

वक्त ने आज मेरे हिस्से ,
कुछ वक्त दिया तो हैं ,
तेरी गैर मौजूदगी में भी ,
किसी ने तेरा जिक्र किया तो है ।

जिक्र मैंने भी किया है किसी का ,
पर वो जिक्र आज तेरा नहीं है ,
किस्से कहानियों में हैं जरूर वो ,
पर तुझ जैसे वो मेरा नहीं है ।

सवाल फिर तेरे जहन में आज ,
अनगिनत आ रहे होंगे ,
आखिर तुम्हें छोड़ कर हम भला ,
किसकी कहानियां सुना रहे होंगे ।

रहेगा इंतजार तेरे सवालों का ,
जो इस बार हम दोनों को उलझाएंगे ,
शायद बढ़ती दूरियां और मजबूरियां ,
दर्मियाँ हम दोनों के मिट जाएंगे ।।

तेरी बिंदी

तुम ख़्वाब में आई जब मेरे ,
माथे पर तुम्हारे बिंदी सजी थी ,
मेरे ख्वाइश को तुम ख़्वाब में ही सही ,
पूरा कर रही थी ।

तौफा मिला मुझे वक्त का तुम्हारे ,
पर बदले में मैं क्या दे गया ,
अपने दिल में छिपे कुछ राज़ ,
अनजाने में तुमसे कह गया ।

तुम सुकून हो मेरा या फिर ,
मेरा नींद उड़ाने आई हो ,
क्यों लगा कर माथे पर बिंदी ,
होठों पर मुस्कान लाई हो ।

हर सवाल का जवाब सच रहा ,
पर सवाल क्यों मुझे अधूरे लगे ,
तेरी मेरी बातों से तो हम दोनों ही ,
कुछ हद तक पूरे लगे ।

तुमको याद हर किस्सा है मेरा ,
और मुझसे जुड़ी हर बात ,
कह दे कोई ये ख़्वाब नहीं ,
सच में थी तुम मेरे साथ ।

हां ख़्वाब में ही सही ,
पर अपनी इस बदले श्रृंगार से ,
अब तुम और उलझाने लगी हो ,
जबसे माथे पर बिंदी लगाने लगी हो ।

ख़्वाब जब टूटेगा ये ,
जिंदगी मुझसे रूठ जाएगी ,
मालूम नहीं फिर लगा कर बिंदी ,
तुम मेरे ख़्वाब में कब आओगी ।।

तेरा जाना

आकर जो गई तुम मुझसे ,
लगा जैसे कोई खुबसरत लम्हा खो गया ,
मिलते ही जो एक पल में ,
अगले ही पल गुम हो गया ।

तेरे सुकून की तलाश में ,
वक्त उलझने भी बढ़ाता है ,
हर दफा जब वक्त देकर ,
तेरा वक्त बट जाता है ।

मेरी जिस खता से आज तुम ,
मुझसे खफा हो गई हो ,
कुछ हद तक लगा जैसे ,
मुझसे जुदा हो रही हो ।

ना लफ्ज़ सज रहे मेरे ,
ना तुम्हारा दीदार हो रहा ,
इंतजार का हर एक पल ,
मुझपर ही सवाल उठा रहा ।

तुमसे माफ़ी मांगना मेरा ,
आज काफ़ी नहीं होगा ,
मायूस दिल की खामोशी में ,
मेरा कोई साथी नहीं होगा ।

हर जुल्म हर सजा दे दो मुझे ,
मैं सबके लिए तैयार हूं ,
बस लौटा दो अपनी मुस्कुराहट मुझे ,
मैं जिसके लिए बेकरार हूं ।।

Friday, November 5, 2021

तेरा सवाल

ये सवाल पूछ कर तुमने ,
मेरे सच को झुठला दिया ,
तुम पर सजे शब्दों को ,
तुमने किसी और का बता दिया ।

माना की श्रृंगार में बिंदी ,
तुम माथे पर लगाती नहीं ,
खुद को आईने में भी ,
बिंदी से सजाती नहीं ।

हां ख्वाइश भर होने से ,
वो पूरा नहीं हुआ करता ,
जब तक ख्वाइश करने वाला ,
दिल में नहीं रहा करता ।

तुम्हारे झुमके तुम्हारी जुल्फ ,
और होठों की मुस्कान ,
काफी हैं तुम्हें सजाने के लिए ,
मेरे हिस्से की ख्वाइश मिटाने के लिए ।

देखे बगैर लिखा मेरा ख्याल ,
मेरी दिले ख्वाइश थी ,
देखने के बाद लिखा शब्द ,
लम्हों की फरमाइश थी ।

आप से तुम का सफ़र ,
बड़े शिद्दत से आया था ,
आज फिर एक सवाल ने ,
मुझे तुम से आप बनाया था ।

माना की है दायरा तुम्हारा ,
और तुम्हारी अपनी ही उलझन ,
पर पढ़ तो लेती वो किताब भी ,
लिखा था जिसमे मेरा मन ।

कहना तो बहुत कुछ है मुझे ,
तेरा पता मिल जाने पर ,
था नहीं मालूम पूछोगी सवाल ,
जवाब आ जाने पर ।।

भाभी


आईं बन कर लक्ष्मी घर की ,
हम सबकी प्रेरणा बन गईं ,
अंधकार से भरे आँगन को ,
देखो रौशन कर गईं ।

मकान को घर बना कर ,
सबके भीतर का भेद मिटाया ,
सबसे उसका दुःख दर्द बाँटकर ,
साहस देकर फ़र्ज़ निभाया ।

ठोकर लगे रास्तों में कितने ,
रिश्ते भी अक्सर उलझ गए ,
पर ना हिली नज़र मंजिल से ,
उलटे पुल्टे पर सुलझ गए ।

हिम्मत ना हारीं हार ना मानी,
पग पग पर साहस वो देतीं हैं ,
अपनो की खुशियों का ही शृगार,
सदा वरण वो करती हैं ।

आज वक्त उन्हें सब लौटा रहा ,
हर त्याग परिश्रम का फल बता रहा ,
उनके हिस्से की सारी खुशियां ,
उनके झोली में ला रहा ।

आसान नहीं था सफर जिंदगी का ,
लड़ कर उसे आसान बनाया हैं ,
हर उलझन को जिसने ,
खुद ही सुलझाया है ।

फटकार भी जिनकी हर वक्त सदा ,
प्यार दुलार सी लगती है ,
कड़वी कड़वी पर सख़्त बात भी ,
माँ के प्यार सी लगती है ।

हर माँ के लिए छवि हैं आप ,
और हर पत्नी के लिए विश्वास ,
करुणा और प्रेम से पूर्ण ,
हमारी ताउम्र रहेंगी आखिरी आस ।।

उलझन

तुम और तुम्हारी नज़रंदाजी ,
आज भी मुझे उलझाते हैं ,
जब कभी मेरे पते पर ,
तेरा कोई तौफा लेकर आते हैं ।

तंग मैंने तुमको किया कहां ,
वो तो बेवजह एक शरारत हैं ,
पहले रोज़ से आज तक ,
तुम्हारे लहज़े की नजाकत है ।

हर रोज़ मिलना और बिछड़ना ,
तुम्हें क्या खूब भाता हैं ,
आने से पहले ही जो अक्सर ,
जाने का वक्त बताता हैं ।

दिल का हाल भला तुम्हारे ,
तुमसे बेहतर कौन ही जानता होगा ,
हर किसी के दिल में ,
जो अपनी तस्वीर मानता होगा ।

सबसे अलग सबसे खुबसूरत ,
तुमसा ही एक गहना हैं ,
आज तक जिसे कभी तुमने ,
अपने माथे पर नहीं पहना हैं ।
 
भला अपने सुकून को तंग कर के ,
मुझ जैसे कौन चैन से सोया होगा ,
ना जाने कितनी दफा किसी सन्नाटे में ,
मेरे आसुओं ने तकिया भिगोया होगा ।
 
इंतजार में तुम्हारे और कितना ,
खुद को ऐसे उलझाऊंगा ,
एक रोज़ तो तुम्हारा भी ,
वो "कल" सामने ले आऊंगा ।।

तेरा झुमका

बदला कुछ भी नहीं ,
आज भी तेरे श्रृंगार में ,
तरस रही मेरी निगाहें ,
आज भी तेरे दीदार में ।

फर्क बस इस दफा ,
लिबास में नजर आया ,
रंग काला हाथों पर ,
जिस्म श्वेत से ढका पाया ।

झुमके तो आज भी ,
हुबहू पहले से लग रहे थे ,
शायद इस दफा मुझे छोड़ ,
किसी और से कुछ कह रहे थे ।

हम तो आज भी उन झुमकों से ,
दिल लगाए बैठे हैं ,
उन झुमकों सा खुबसूरत ,
उसे भी मान बैठे हैं ।

बताओ ना और क्या छिपा हैं ,
जो तुम्हारी खूबसूरती बताता हैं ,
रंग श्वेत हो या हो काला ,
सब तुम पर खिल जाता है ।

आज फिर जब देखा तुम्हें ,
बस तुम्हारे झुमके नज़र आए ,
इस दफा थे वो मिलने ,
थोड़ी फुर्सत से आए ।

पता नहीं और कितने ,
तुम्हारे झुमकों पर मरते होंगे ,
हम जैसे शायद वो भी ,
इन झुमको से इश्क़ करते होंगे ।

अच्छा सुनो .. 

खूबसूरत तुम भला कितनी भी हो ,
झुमके की खूबसूरती से हार जाओगी ,
देखना कभी अपनी तस्वीर मेरे निगाहों में ,
बस झुमके ही देख पाओगी ।।

तेरा पता

अपना पता बताने के लिए ,
दुनिया को मेरा पता बता रही थी ,
उस रोज़ जब दुनिया को ,
अपने तौफे के किस्से सुना रही थी ।

पता करू मैं किसका पता ,
पता नहीं किसको क्या क्या पता ,
ये कैसा पता मुझे उलझा रहा है ,
दिल मेरा तेरे पते पर आ रहा है।

उफ्फ .. इसका पता मुझे भी ,
तुम्हारे दिल से पता चला है ,
लेकिन मेरे दिल का पता ,
अब तक तुम्हें कहां पता है ।

तुम्हारा वो पता जिसका पता ,
सिर्फ मुझको पता है ,
कल खामोश क्यों था मैं ,
ये सिर्फ़ हम दोनों को पता है ।

जिस पते पर हो तुम अभी ,
उस पते का पता मुझे पता है ,
पर क्या उस पते पर ,
मेरा कोई तौफा पड़ा है ।

गर नहीं तो ढूंढ लेना उस पते को ,
जो की तुम्हें पता है ,
मेरा पता भी शायद ,
वही पता है ।

वो शहर कौन सा है ,
जिस शहर से तेरा पता जुड़ा है ,
रास्ता जिस शहर का ,
तेरे पते से जाकर मुड़ा है ।

पता नहीं और कौन सा पता ,
दिल को पता लगना बाकी हैं ,
क्या पता दोनों का पता ,
एक हैं .. गर दिल राज़ी है ।।

Thursday, November 4, 2021

इज़हार सा इनकार

हर हां में उसने जब मुझे ,
अपनी पहली ना से मिलवाया ,
लगा जैसे मेरा कोई ख़्वाब ,
सच होने को है आया ।

उसकी मौजूदगी मेरी जिंदगी में ,
अब कुछ हद तक बढ़ने लगी हैं ,
मुझ जैसे शरारत वो भी ,
अब मुझसे करने लगी हैं ।

उससे जुड़े मेरे अल्फाज़ ,
हर किसी को अपने से लगते हैं ,
पर ना जाने क्यों मेरा हर सच ,
उसे किसी झूठे सपने से लगते हैं ।

वो मेरा कल का हिस्सा नहीं ,
पर कल का हर जवाब होगी ,
पते का चलने पर पता ,
जब हमारी पहली मुलकात होगी ।

हर गुज़ारिश को नामंजूर करके ,
देखो वो क्या जाता रही हैं ,
पास तो थी नहीं कभी मेरे ,
पर अब मुझसे दूर जा रही है ।

उस जैसा सुकून जिंदगी में ,
जिंदगी से अब तक क्यों दूर हैं ,
उसके इज़हार से इनकार में भी ,
छिपा किसी इश्क़ का फितूर है ।।

Tuesday, November 2, 2021

एक सफ़र

मिला था मैं किसी ऐसे सच से ,
जिसको सब झूठ पता था ,
सच मेरे हिस्से का जो  ,
अब तक दुनिया से छिपा था ।

बेहद उलझन के बाद ,
कुछ शोर मुझ तक आया था ,
खामोशी को छोड़ कर अपने ,
वो पहली दफा कुछ कहने आया था ।

रात के सन्नाटे और मेरा सच ,
अब वो दोनों जान रही थी ,
बड़ी उलझन भरी निगाहों से ,
खुद को आईने में देख रही थी ।

मेरे हर शब्द में कुछ सच ,
और कुछ छिपे एहसास थे ,
पहली दफा दूर होकर भी ,
लग रहे जो मेरे पास थे ।

मुझको रोका नहीं उसने ,
पर मैं खुद रुक गया ,
कहते कहते सच अपना ,
एक झूठ कह गया ।

खूबसूरत लम्हों की सौगात ,
जो खामोश रह कर दे आई ,
अपनी मौजदगी से उन लम्हों को ,
तुम खुशियों से भर आई ।

हो गया सफ़र शुरू हमारा ,
जो अब तक ना हो सका था ,
मेरे आप से तुम के उलझन में ,
जो आज तक रुका था ।।

तेरा तौफा

तौफा मिला मुझे आज ,
जब उसने आने में वक्त लगाया ,
देने को तैयार खड़ा था पता मैं ,
पर वो पूछने कहां आया ।

लगा जैसे पहली बार ,
कोई बिना मांगे कुछ देने वाला है ,
था नहीं मालूम मुझे ,
वक्त नहीं था ऐसा कुछ कहने वाला है ।

पल भर की ख़्वाब वाली खुशी ,
कैसे ताउम्र का गम बन जाती हैं ,
इंतजार में जिंदगी किसी तौफे के ,
बिना मिले ही कट जाती है ।

अब मुश्किल और उलझन से ,
गुजरते तो अरसा हो चला हैं ,
शुक्र है वक्त का मेरे ,
जो अब आगे बड़ चला है ।

कोई कहता हमें तौफा नहीं ,
आप कोई सज़ा सुनाई ,
कौन बताए उनको ,
की एक दफा सज कर तो आइए ।

आप के गुनेहगार भला ,
क्या ही तौफा ले पायेंगे ,
हमेशा की तरह आप के हिस्से ,
वो चंद अल्फाज़ छोड़ जायेंगे ।

देखते हैं ख़त्म करके

देखते हैं ख़त्म करके ,
तुमसे जुड़ी बातें ,
वो चंद मुलाकाते ,
चांद और तारों के संग ,
कटने वाली वो रातें ।

देखते हैं ख़त्म करके ,
तुमसे जुड़े जज़्बात ,
बदलते हमारे हालत ,
और अधूरे किस्सों की ,
एक खूबसूरत सौगात ।

देखते हैं ख़त्म करके ,
तुमसे जुड़े अल्फाज़ ,
जो खूब बखूद बन जाते हैं ,
हर दफा जब भी ,
तुझे खुद से जुड़ा पाते हैं ।

देखते हैं ख़त्म करके ,
तुमसे जुड़ा सवाल ,
जो आज भी मुझे उलझाता हैं ,
हर दफा खामोश लब पर शोर ,
और धड़कने बढ़ाता है ।

देखते हैं ख़त्म करके ,
तुमसे जुड़ा हर जिक्र ,
जो तस्वीर मेरे आंखों में सजाता है ,
हर किसी चेहरे में मुझे ,
बस तेरा ही चेहरा नजर आता है ।

देखते हैं ख़त्म करके ,
तुमसे जुड़ी जिंदगी ,
जो अब तक हमें जिंदा रखे थी ,
तुम्हारे खिलखिहट को आज तक ,
ताउम्र का सच मान बैठी थी ।

देखते हैं ख़त्म करके ,
तुमसे जुड़ी अनगिनत कहानियां ,
जो हम दुनिया को सुनाते थे ,
हर दफा घर छोड़ कर जब ,
तुम किसी और घर चले जाते थे ।

चलो अब सब कुछ ,
ख़त्म करके देखते हैं ।।