Thursday, April 28, 2022

खुद सा इश्क़

एक अनजान सी लड़की ,
जो खुद से अजनबी बन कर बैठी हैं,
तन्हाइयों से कर के बातें,
खुद को कोसती रहती है ।

हर रोज़ थामती दामन उस सच का ,
जो खुद को झुठलाता हैं,
चंद पल की रौशनी के बाद ,
अंधेरों से घिर जाता है ।

उम्मीद के टूटते ही ,
वो खुद बिखर जाती हैं ,
हर किसी को अपना मान ,
सब से दिल लगाती है ।

वो ख्वाइशों से निकल कर ,
जब आजमाइशों से गुजरती है ,
खुद के नफ़रत से भी ,
वो इश्क़ करने लगती है ।

चंद पल में हमसफर बनते ,
अगले ही पल रास्ते बदल जाते हैं ,
छोड़ कर मुसाफिर जब उसे ,
किसी और रास्ते निकल जाते हैं ।

दिल लगाने ही किसी दिल से ,
दिल साथ छोड़ जाता है ,
इश्क़ शिद्दत से निभा कर भी ,
उसे सुकून कहां मिल पाता है ।

बन कर मुसाफ़िर सा ,
अजनबी रास्तों पर भाग रही है ,
वो आज भी खुद सा इश्क़,
हर इश्क़ में तलाश रही हैं ।।

Friday, April 15, 2022

इश्क़ में शर्त

क्या बगैर इश्क़ के भी ,
कहीं इश्क़ होता है क्या ,
इश्क़ की चाहता में ,
कभी कोई इश्क़ में रोता है क्या ?

ना पता होता इश्क़ के खुशबू का ,
ना वो कोई श्रृंगार से सजता है ,
इश्क़ में इज़हार का पता नहीं ,
हर दफा इनकार ही मिलता है ।

वक्त को पिंजड़ों में कैद ,
जज़्बातों को जो झुठलाता है ,
महबूब को छोड़ कर सबसे ,
शिद्दत से इश्क़ निभाता है ।

बेहद इश्क़ में होकर भी ,
जो इश्क़ की हदें बताता हैं ,
इश्क़ दिल की धड़कनों से कम ,
आंखों से ज्यादा बहाता है ।

क्या कभी इश्क़ में ,
अधूरा इश्क़ भी रह जाता है ,
सच्चे इश्क़ की दास्तां ,
एक पल में झुठलाता है । 

क्या सच में इश्क़ ,
इश्क़ की शर्ते बताता है ,
बेवजह बेमतलब इश्क़ ,
किस्मत वालों को मिल पाता हैं ?

खैर ,
इश्क मुबारक इश्क़ को ,
और आप को मुबारक उसकी आशिकी ,
इश्क़ के बगैर देखो ज़रा,
कितनी खूबसूरत है मेरी जिदंगी ।

Sunday, April 10, 2022

पेशेवर आशिक़

कभी किसी के इश्क़ से ,
इश्क़ कर देखना ,
वो तुमसे इश्क़ करने लगेगा ,
गर इश्क़ में वो अधूरा रहेगा ।

लगेगा जैसे इश्क़ लौट कर ,
अब फिर से जिंदगी में आने को है ,
छोड़ कर इश्क़ को अपने ,
तुमसे दिल लगाने को है ।

पल भर में जिंदगी ,
जहन्नुम से जन्नत लगने लगेगी ,
जिस रोज़ शिद्दत से आकर ,
इश्क़ करने को वो कहेगी ।

लौट कर जिंदगी में उसके ,
फिर कोई नया शख्स आयेगा ,
तुमसे भी बेहतर जो ,
उससे इश्क़ निभायेगा ।


अभी तो ठीक से उसे ,
मैंने जाना भी नहीं था ,
या फिर उसने मुझे,
कभी अपना माना ही ना था ।

क्योंकि पेशेवर आशिक़ तो ,
ऐसे ही इश्क़ निभाते हैं,
किसी नए के आने पर ,
फिर से इश्क़ में पड़ जाते हैं ।।

Wednesday, April 6, 2022

चलो कुछ बात करो

माना की वक्त नहीं पास तुम्हारे ,
ना ही वक्त बैठा है साथ तुम्हारे ,
फिर भी थोड़ा तुम साथ चलो ,
चलो कुछ बात करो ।

जिंदगी दौड़ी नहीं फिर भी थकान हैं ,
हलचल के बाद भी सब सुनसान है ,
फिर भी थोड़ा तुम दौड़ पड़ो ,
चलो कुछ बात करो ।

बारिश को आ जाने दो ,
जी भर कर भीग आने दो ,
अब और उलझन में ना फसो ,
चलो कुछ बात करो ।

उलझी हुई पहेली को अब सुझाते हैं ,
अल्फाज़ से चलो मिल कर आते हैं ,
बस तुम पीछे ना मुड़ो ,
चलो कुछ बात करो ।

रात तो ऐसे ही रुक जाने को ,
चांद को बादलों में छिप जाने दो ,
बस तुम ऐसे ही रहो ,
चलो अब बस तुम कहो ।

सुनो ...चलो कुछ बात करो ।।

Friday, April 1, 2022

अधूरा इश्क़

हर रोज़ इश्क़ के जंग में ,
कुछ तो नई बात होती है ,
मुश्किलों से घिरी जिंदगी ,
फिर भी मेरे साथ होती है ।

सपने जिसके चांदनी रात से ,
मैं उसका अमावस की रात ,
बन कर जिंदगी में आया हूं ,
संग सिर्फ़ अंधकार लाया हूं ।

नाज़ुक कड़ियों को जोड़ कर ,
एक रास्ता दोनों ने बनाया है ,
पर फुरसत के दो पल भी ,
कहां नसीब हो पाया है ।

हर रोज़ छूटने के डर से ,
अब और सताने लगा हूं ,
जिंदगी के आंसुओ से ,
खुद को भीगाने लगा हूं ।

खुश किस्मत होंगे चंद मुझ जैसे ,
जिन्हें तुम जैसा कोई मिलता होगा ,
हर रोज़ ज़ख्म खा कर भी ,
जो दूसरों के जख्म भरता होगा ।

अब तुमसे मेरी सुबह ,
और तुमसे ही शाम है ,
इश्क़ तुमसे ए जिंदगी ,
अब खुलेआम है ।।