प्रिय नींद ,
मेरी पहली मोहब्बत हो तुम ,
जो अक्सर दूसरी मोहब्बत के आते ही ,
कहीं खो जाती हो ।
अक्सर रातों को तुमसे लड़कर ,
कहीं तुम तक पहुँच पाते है ,
कभी आ जाती हो वक़्त पर ,
कभी हम बुलाते है ।
आज तो मानो रुठ कर बैठ गई हो ,
कुछ इस क़दर ,
बेख़बर है हम वजह से ,
और हो रही , हर कोशिश , बेअसर ।
ना दूसरी मोहब्बत ने आज दस्तक दी ,
ना ही दी किसी ने दग़ा ,
बेवजह क्यूँ ग़ायब हो आज ,
कोई तो बताये वजह ।
उड़ी उड़ी सी तुम कही ,
बतला दो अपना पता ,
कोई तो ले उड़ा है ,
मेरी पहली मोहब्बत बेवजह ।
अब और नहीं होता इंतज़ार ,
मिलने को तुझसे आँखें बेक़रार ,
दिल भी धड़कना छोड़ रहा है ,
ख़ामोशी की चादर वो ओढ़ रहा है ।
लौट आओ वक़्त से ,
कही देर ना हो जाये ,
पहली मोहब्बत अंजाने में ,
मौत ना बन जाये ।
आओ फिरसे तेरी दुनिया में ,
हम लौट जाते है ,
पहली मोहब्बत में डुब कर ,
ख़्वाबों से मिल आते है ।।
मेरी पहली मोहब्बत हो तुम ,
जो अक्सर दूसरी मोहब्बत के आते ही ,
कहीं खो जाती हो ।
अक्सर रातों को तुमसे लड़कर ,
कहीं तुम तक पहुँच पाते है ,
कभी आ जाती हो वक़्त पर ,
कभी हम बुलाते है ।
आज तो मानो रुठ कर बैठ गई हो ,
कुछ इस क़दर ,
बेख़बर है हम वजह से ,
और हो रही , हर कोशिश , बेअसर ।
ना दूसरी मोहब्बत ने आज दस्तक दी ,
ना ही दी किसी ने दग़ा ,
बेवजह क्यूँ ग़ायब हो आज ,
कोई तो बताये वजह ।
उड़ी उड़ी सी तुम कही ,
बतला दो अपना पता ,
कोई तो ले उड़ा है ,
मेरी पहली मोहब्बत बेवजह ।
अब और नहीं होता इंतज़ार ,
मिलने को तुझसे आँखें बेक़रार ,
दिल भी धड़कना छोड़ रहा है ,
ख़ामोशी की चादर वो ओढ़ रहा है ।
लौट आओ वक़्त से ,
कही देर ना हो जाये ,
पहली मोहब्बत अंजाने में ,
मौत ना बन जाये ।
आओ फिरसे तेरी दुनिया में ,
हम लौट जाते है ,
पहली मोहब्बत में डुब कर ,
ख़्वाबों से मिल आते है ।।