Tuesday, August 31, 2021

लबों पर जिंदगी

सब कुछ जिंदगी से ,
जब छुटने लगा था ,
मीत भी मेरा मुझसे ,
अब रूठने लगा था ।

हर रात लगती थी लंबी ,
और दिन आता ही नहीं था ,
आंखो में कभी बहते आंसू ,
कभी मैं पलके झुकाता ही नहीं था ।

पर आज का सूरज ,
एक तौफा लेकर आया है ,
तेरे झुमको सा शोर ,
इस दफा तेरे लबों ने मचाया है ।

लगा जैसे जिंदा लाश को ,
किसी ने कब्र से निकाला हो ,
और दूसरी दफा जिंदगी जीने का ,
हौसला दे डाला हो ।

ना ही कोई मंजिल ,
ना ही कोई मुकाम है ,
फिर भी ना जाने क्यों ,
वो चांद पर मेहरबान है ।

ये सिलसिला जो शुरू हुआ ,
अब कब्र से निकल तो जाऊंगा ,
पर गर ना मिली मंजिल कभी ,
तुझमें दफ्न हो जाऊंगा ।

कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते ,
कुछ रिश्ते आम नहीं होते ,
कुछ रिश्तों में जिंदगी होती है ,
कुछ रिश्तों में बंदगी होती है ।

ऐसे ही इश्क़ में लोग ,
बेवजह कुर्बान नहीं होते ,
हर दफा इश्क़ करने वाले ,
अजनबी और अंजान नहीं होते ।।

Sunday, August 29, 2021

श्रृंगार

मैं सज संवर कर ,
उनके लिए तैयार बैठी थी ,
माथे पर बिंदिया और 
हाथों में कंगन पहनी थी ।

जुल्फ़ भी खुली और सुलझी थी ,
और माथे पर टीके का श्रृंगार ,
संग जिसके एक लाल बिंदी थी ।

बस अगर कुछ अधूरा था ,
तो वो था उनका दीदार ,
और झुमके को उनकी मौजूदगी में ,
पहनने को था दिल बेकरार ।

खुद को कभी मैंने ,
ऐसे सजाया ना था ,
मेरे दिल को आज तक ,
आप सा कोई भाया ना था ।

अब मुझे आईने में ,
हम दोनों ही कैद लग रहे थे ,
मेरी आंखों में आप की तस्वीर ,
और उसके आगे हम सवर रहे थे ।

आप की फेरती उंगलियां ,
मेरे कानों पर ,
जुल्फ को हटा रही थीं ,
झुमके से जब मैं खुद को ,
सजा रही थी ।

मैं भी मचली मन भी मचला ,
इसमें कुछ नई सी बात थी ,
तेरे इस छूवन में ,
बिन मौसम बरसात थी ।

मैं सज संवर कर ,
अब बस तेरी हो जाऊंगी ,
अगली दफा तेरी मौजूदगी से ,
खुद को सजाऊंगी ।।

झुमके सा इश्क़

ये एहसास क्यों ,
कुछ नया सा शोर कर रहा ,
पहली दफा कोई अजनबी ,
हुबहू आप सा लग रहा ।

ना ही हुआ राब्ता ,
उनके हुस्न से हमारा कभी ,
इत्तेफ़ाक देखो छोड़ कर मुझे,
इस महफिल में उन्हें पहचानते सभी ।

बातों बातों में कुछ बातें ,
उस रोज़ हम उनसे कह गए ,
वो हमें सुनती रहीं खामोशी से ,
और हम दिल में शोर कर गए ।

गुजरते वक्त के साथ ,
दौर भी बदलने लगें ,
उनके झुमके भी धडकनों सा ,
अब कुछ शोर करने लगे ।

ना मिली निगाहें अब तक ,
ना ही दिलों के मिलने का इरादा है ,
अधुरा कुछ नहीं दर्मिया हमारे ,
आखिर फिर क्या आप का इरादा है ।

हुस्न से घायल और कितना करेंगी ,
जरा आप खुल कर बताइए ,
झुमको से मोहबब्त तो लाज़मी है ,
एक दफा झुमका बन कर दिखाइए ।

कितना शोर होगा उस रोज़ ,
जब कभी हवा के झोंके ,
आप से टकराएंगे ,
महकती खुसबू फिज़ा में आप की ,
हमें खामोश कर जायेंगे ।।

Thursday, August 26, 2021

बेखबर

मुझसे भी जादे इश्क़ करने वाला ,
कोई शख्स मुझे मिला था ,
पागल , झल्ला और दीवाना ,
जो लग रहा था ।

उसकी हर एक अदा में ,
अनगिनत कहानियां छिपी थी ,
लबों से रह गई अधूरी बातों को ,
आंखो से जो वो कह रही थी ।

चंद रातों की बातें ,
अब जज़्बात बनने लगे थे ,
अंजाने में ही हम दोनों ,
एक जुल्म कर रहे थे ।

तुमने खाई थी कसम ख्वाबों में ,
सच में जिसे निभा रही थी ,
हो ना जाए इश्क़ मुकम्मल कहीं ,
इस लिए दूर जा रही थी ।

मैं तो इस सच से ,
अब तक था बेखबर ,
लगा छोड़ क्यों गया ,
बिन कुछ कहे हमसफ़र ।

वादा तो किया था उसने ,
ताउम्र साथ निभाने का ,
पर था नहीं तब डर ,
सच में इश्क़ के हो जाने का ।

पर अब कोई शिकायत नहीं ,
ना ही किसी ओर शोर है ,
हम दोनों का ही रास्ता ,
और मंजिल कोई और है ।।

आखिरी तारा

आसमां में एक तारा था ,
चांद का जो सहारा था ,
अब वो भी कही खो गया ,
शायद आकाश गंगा का हो गया ।

ना कभी टूटा वो आसमां में ,
ना कही पर बिखरा था ,
शायद चांद और तारे के बीच ,
आ गया कोई तीसरा था ।

बदलते वक्त और जज़्बात का ,
देखो ये कैसा खेल है ,
तारे की चमक से दोस्ती ,
ना जाने क्यों लग रही बेमेल है ।

एक ही तो था अनगिनत में ,
चांद जिस तारे को पहचानता ,
ठुकरा कर अपनी ही पहचान ,
कह दिया मैं नहीं इस तारे को जानता । 

उस भीड़ में वो तारा ,
ना जाने क्यों गुम हो गया ,
शायद चांद मोहबब्त निभाने में ,
इस दफा पीछे रह गया ।

कम चमकना चांद का ,
तारों को भाता है ,
चांद के फीका पड़ने पर ,
तारा और टिमटिमाता है ।

बदल कर पहचान अपनी ,
तुमने ये क्या कर दिया ,
भीड़ का हिस्सा बन कर ,
चांद को तन्हां कर दिया ।।

Wednesday, August 25, 2021

आखिरी रात

आ ही गई वो रात भी ,
जिसका हमें डर था ,
कल्पना के इस सफ़र में ,
अब मेरा ना कोई हमसफ़र था ।

छोड़ गई मेरे हाल मुझे ,
वक्त पर बुला कर ,
क्या तोहफ़ा दिया उसने हमें ,
एक पल में भुला कर ।

ना अब वो रात हैं ,
ना ही उसमें वो बात है ,
खूबसूरत गुजरते वक्त का ,
कैसा ये सौगात है ।

बढ़ते इंतजार के साथ ,
एहसास क्यों नहीं गुजर रहें ,
हो कर भी जुदा उससे ,
उसे हम अपना क्यों कह रहें ।

ना ही कोई खोज ना खबर ,
ऐसा जुल्म-ए-सितम क्यों ए हमसफ़र ,
क्या तुम लौट कर नहीं आओगी ,
हमें तन्हा यूंही छोड़ जाओगी ।

ना अब कोई खूबसूरत रात होगी ,
ना जिंदगी भर जिंदगी मेरे साथ होगी ,
मालूम नहीं मेरे हिस्से लिखी ,
कौन सी आखिरी रात होगी ।।

Monday, August 23, 2021

डोर

सज संवर कर तुम ,
कल जब सामने आई थी ,
गुजरे वक्त की यादें ,
मेरे जहन में लौट आई थी ।

तेरी आंखो में बसी मेरी तस्वीर ,
बिंदी में सजी मोहब्बत ,
झुमके का शोर और ,
चूड़ियों की खनखनाहट ।

हर पल हर लम्हा ,
भूल पाना मुश्किल लग रहा ,
पहली सी मोहब्बत ,
अब मैं तुमसे कर रहा ।

इतना श्रंगार कर के ,
जब तुमने खुद को सजाया था ,
सच बताना क्या जिक्र ,
सिर्फ मेरा आया था ।

क्योंकि आंखो में तस्वीर मेरी ,
कुछ धुंधली नजर आ रही ,
होठों पर सजी मोहब्बत ,
कुछ और ही बता रही ।

क्या तुम मुझसे भी जादे ,
अब किसी को चाहने लगी हो ,
हर शाम बाहों में बस कर जिसके ,
दुनिया बसाने लगी हो ।

गर हां तो भला मुझसे ,
खुशनसीब कौन होगा ,
तेरी बाहों से बेहतर ,
जन्नत का सुकून और कहां होगा ।

ताउम्र हम दोनों बंधे है ,
एहसासों के डोर से ,
खो कर एक दूजे में ,
दोनों ही ओर से ।।

Saturday, August 21, 2021

कल्पना

देखो मेरे जिंदगी में ,
खूबूसरत कल्पना बन कर ,
ये कौन आया है ,
जो ढेरों खुशियां लाया है ।
 
सुबह भी उसका ही दीदार होता ,
हर शाम उसी से दिले इज़हार होता ,
मेरे गम भी उसके ही होते ,
खुशियों में भला वो क्यों ना होते ।

ना हम करते बातें बहुत ,
ना वो कुछ कहने को आते  ,
हर दफा जब कभी हम ,
जज्बातों में उलझ जाते ।

थाम कर हाथ उसका पहली दफा ,
हम जब उसके करीब आए थे ,
आंखो की शरारत और मुस्कुराहट के ,
असल मायने समझ पाए थे ।

आज वो पहली दफा ,
जब मेरी बाहों में थी ,
ना जाने क्यों लौटने की जिद्द ,
उसके राहों को थी ।

गुजरते वक्त के साथ ,
सब खूबसूरत लगने लगा है ,
कल्पना वाली इस मोहबब्त से ,
इश्क़ होने लगा है ।।

तुम्हारा साथ

तुझमें कुछ तो अलग सी बात है ,
यूहीं नहीं मिला तेरा साथ है ,
शब्दों के इस सौदागर को ,
मिल गई खुशियों की सौगात है ।

अब डर नहीं लगता मुझे ,
तुझे दुनिया को दिखाने में ,
हाले दिल इस दुनिया को ,
खुल के सुनाने में ।

गुजरते वक्त के साथ ,
रिश्ता गहरा होने लगा है ,
बढ़ती दूरियों के साथ ,
वो मेरा होने लगा है ।

महफिल में तेरी मौजूदगी से ,
देखो सब बदल सा जाता है ,
खामोश रहने वाला लब ,
अब शोर मचाता है ।

लड़ते झगड़ते और तुम पर मरते ,
देखा कितना वक्त गुजर गया ,
हर दफा बिखरने पर ,
रिश्ता और जुड़ गया ।

तुम अगर साथ हो मेरे ,
और भला मुझे क्या चाहिए ,
कितनी है मोहब्बत मुझसे ,
जरा खुल कर बताइए ।।

Thursday, August 19, 2021

और तुम

कुछ देर से लौटा था घर मैं ,
और कुछ देर से तुम जागे थे ,
कितने नाजुक से रिश्तों को ,
मजबूती से तुमने बांधे थे ।

मैं हर रोज़ कर के वादा ,
साथ निभाने का ,
हर शाम तोड़ जाता हू ,
हर दफा दस्तक दरवाज़े पर ,
जब बे वक्त दे आता हू ।

तुमने मांगी नहीं कोई ,
और खुशियां मुझसे ,
बस वक्त ही तो मांगा है ,
देखो ना मज़ाक जिंदगी का ,
बस वक्त ही तो आधा है ।

कल जब तुमसे मैं मिला ,
शायद कई अधूरे अंधेरे के बाद ,
अधुरा कुछ नहीं था हमारे दरमियां ,
सिवाए बिखरा मैं और जज़्बात ।

तुम्हारी फेरती उंगलियां ,
और एक नज़र से मुझे निहारना ,
कातिल निगाहें और मुस्कुराहट  ,
खुद को जिनसे संवारना ।

ये सब छूट सा गया था ,
शायद मीत मेरा रूठ सा गया था ,
पर अब और नहीं सताऊंगा  ,
हर दफा अब वक्त पर लौट आऊंगा ।

और तुम .. 
बस ऐसे ही रहना ,
मेरी बाहों में सुकून बन कर ,
जिंदगी भर की खुशियां ,
और मेरी जिंदगी बन कर ।।

शब्दों के सौदागर

मेरे शब्द मेरा जिक्र और मैं ,
सब तो तुम्हारे हो चुके हैं ,
सौदा दिल का अपने ,
हम शब्दों से कर चुके हैं ।

पढ़ना तुम्हें आसान नहीं ,
फिर भी हम पढ़ते जाते हैं ,
बिना इजाज़त के भी ,
अक्सर दिल लगाते हैं ।

क्या कहना है तुमसे मुझे ,
तुमको मुझसे क्या सुनना है ,
बड़ी मुश्किल में है अल्फाज़ मेरे ,
पता नहीं जिन्हें कब तक छुपे रहना है ।

तुम्हें खो जाने के लिए नहीं ,
खुद से मिलवाने के लिए आया हु ,
देखो ना शब्दों के इस शहर में ,
सौदागर बन कर आया हु ।

रौशनी के तलाश में ,
देखो कितना अंधेरा छाया है ,
चांद भी आज आसमां में ,
छिपने को आया है ।

मैं नहीं मेरे शब्द तुमको ,
अक्सर चुरा कर ले जाते है ,
दिल के सौदागर आज कल ,
क्या खूब मोहबब्त निभाते है ।

शब्दों के सौदागर बन कर ,
फिर तेरे शहर में आएंगे ,
इस दफा चांद से रौशनी ,
तारों से मोहबब्त चुरा लायेंगे ।

दिल ने ये भी कहा है दिल से ,
किसी रोज़ दिल तेरा भी ,
हम चुरा कर ले जाएंगे ,
बस रखना यकीन इस सौदागर का ,
लौट कर फिर जरूर आयेंगे ।।

Tuesday, August 17, 2021

साज़

तेरी आवाज़ ही तेरा साज़ है ,
खूबसूरत अल्फाज का राज़ है ,
तेरी बिंदिया ही तेरा गहना है ,
बाकी तेरा क्या ही कहना है ।

तुम पर जचती है खुशी ,
पर रुक नहीं पाती ,
गम से भागती हो दूर ,
पर अक्सर थक जाती ।

है किस्से कहानियां तुमसे भी जुड़े ,
हुए हैं तुम्हारे भी दिल के टुकड़े ,
पर आज भी तो दिल लगाती हो ,
हर दफा जब इश्क़ निभाती हो ।

सुकून के तलाश में ,
हर दफा उसे बेचैनी ही मिली है ,
इश्क़ का मुकम्मल ना होना ही ,
शायद उसकी जिंदगी है ।

रात के अंधेरे से क्या ही डरे वो ,
दिन के उजाले का अंधेरा डराता है ,
हर दफा जब रूह में बसने वाला ,
सिर्फ उसका जिस्म छू कर चला जाता है ।

तू लड़ रही है जिंदगी से ,
या जिंदगी तुझसे लड़ रही ,
खामोशियों के घर में भी ,
तू इतना शोर क्यों कर रही ।।

डिंपल सी मोहबब्त

हम मिले थे बस किस्मत से ,
किस्मत की लकीरें मिटाने को ,
चंद रोज़ की जिंदगी को ,
ताउम्र निभाने को ।

पहली दफा हो या आखिरी ,
सब कुछ नया सा लगता था ,
जब बन कर मेरा साया ,
हर वक्त मेरे साथ तू चलता था ।

आई मुश्किल बहुत और मुसीबत भी ,
पर हाथ कभी हमनें छोड़ा नहीं ,
खाई कसम साथ निभाने की ,
आज तक मुंह जिससे मोड़ा नहीं ।

मांग मेरी सिंदूर से नहीं ,
तुम्हारे रक्त से भरी है ,
चले गए बिन कुछ कहे ,
आखिर क्या हड़बड़ी है ।

मेरा दिल , मेरे जज़्बात और मैं ,
आज भी तेरा ही हुए बैठे हैं ,
फर्क क्या पड़ता है ,
गर जिस्म वो छोड़ बैठे है ।

रूह में ही नहीं सिर्फ ,
मेरे हर हिस्से में तुम बसे हो ,
क्या बताऊं कैसे बताऊं ,
तुम सिर्फ मेरे हो चुके हो ।

मोहब्बत में हासिल करना नहीं ,
उसे जीना होता हैं ,
गुजर जाने पर भी ,
हर किसी का इश्क़ ,
कहां जिंदा होता है ।।



Dedicated to शहीद Vikram Batra Wife ❤️

शहीद

मेरे रक्त से परिपक्त जो ,
निर्मल बहती धारा है ,
देश की मिट्टी मेरी ,
ये वतन हमारा है ।

मैं रण में लड़ने को तैयार सदा ,
मां पर मर मिटने का वरदान मिला ,
देश की हिफजात मेरे हाथों में ,
किस्मत से मुझे ये सम्मान मिला ।

रक्त का आखिरी कतरा भी ,
मां तेरे लिए बहाऊंगा ,
मैं बलिदान देने ,
सदा तेरा बेटा बन कर आऊंगा ।

जंग में हार हो या जीत हो ,
गर मां का भरोसा अटूट हो ,
कौन भला शिकस्त दे पायेगा ,
हार कर भी तू जीत जाएगा ।

शाहिद होने का ,
अब मुझे कोई गम नहीं ,
मां की गोद से बेहतर ,
होगा क्या स्वर्ग कहीं ।

फर्ज़ निभाते हुए कभी ,
गर मैं थक जाऊंगा ,
बस मां की गोद में ,
जाकर सो जाऊंगा ।

रक्त का आखिरी कतरा भी ,
मां की रक्षा में बहाऊंगा ,
होगा सौभाग्य मेरा ,
गर शाहिद कहलाऊंगा ।।

Monday, August 16, 2021

तुम्हारा एहसास

आज दिल से ये कैसा एहसास टकराया ,
पहली दफा में ही जो उसका हो आया ,
कुछ तो अलग सी उनमें बात थी ,
गैरमौजूद हो कर भी वो मेरे साथ थीं ।

बिखरी सिर्फ जुल्फें नहीं ,
बिखरे अरमान भी थे ,
होंठो पर थी झूठी मुस्कान ,
जिससे हमें छोड़ सब अंजान भी थे ।

चंद पल की जिंदगी में ,
जिंदगी पल भर सी लगने लगी ,
फिज़ा जब इस महफिल की ,
तेरी खुशबू से महकने लगी ।

तुम शाम के उस सर्द हवा सी लगती हो ,
हर दफा जब मुझसे गुजरती हो ,
कुछ मचलता है दिल मेरा ,
ऐसा जुल्में सितम तुम हर रोज करती हो ।

तेरे हिस्से का गम नहीं ,
तेरे हिस्से की खुशियां लौटाने आया हु ,
छूट गया था जो कुछ अधूरा ,
पूरा करने आया हु ।

कहने को बचा ही नहीं कुछ ,
सब तो हम कह चुके है ,
एक ही तो था दिल पास मेरे ,
वो भी तुझे दे चुके हैं ।

Friday, August 13, 2021

पेशेवर

हर रोज़ तुझसे फरियाद लगाता था ,
तेरी झूठी कसमें खाता था ,
होकर भी आबाद बहुत ,
खुद को बर्बाद बताता था ।

कहता था बगैर तेरे ,
मैं जी नहीं पाऊंगा ,
मत जाओ ना छोड़ कर मुझे ,
मैं मर जाऊंगा ।

हम दोनों एक से तो लगते थे ,
दास्ताने मोहबब्त जब कहते थे ,
और ये खालीपन भी तो भरने लगा था ,
जबसे तू मेरे दिल में रहने लगा था ।

रात में वो लंबी लंबी बातें ,
दिन में छोटी छोटी मुलाकाते ,
शाम की वो दो कप चाय ,
और हाले दिल क्या ही बताएं ।

तुम अब मुझमें हर पल हर लम्हा ,
कुछ ऐसे खोने लगी थी ,
दुनिया को छोड़ कर,
बस मेरी होने लगी थी ।

मैं बस तुम्हें इश्क में ,
बर्बाद करने आया था ,
टूटी तो तुम पहले से थी ,
इस बार बिखेरने आया था ।

मैं फिर चला किसी को ,
झूठी कहानी सुनाने ,
अपनी आबाद जिंदगी को ,
बर्बाद बताने ।

आया था ना मैं किसी रोज़ ,
आप के जिंदगी में भी ,
ऐसे इश्क़ निभाने को,
टूटे हुए दिल को,
बिखेर जाने को।

बेवफा बता कर इस बार तुझे ,
उससे वफा निभाऊंगा ,
मन भर जाने पर ,
तुझ जैसे उसे भी छोड़ जाऊंगा ।।

गैर

गर ना बहते आंखो से आंसू ,
उस अंधेरी रात में ,
अंजाने में हुए गुनाह की सजा ,
जो ना देते मिला करे हमें खाक में ।

शायद दिल में इश्क़ हमारे ,
अब तक जिंदा होता ,
ये दिल सिर्फ और सिर्फ ,
बस तेरा होता ।

रात में अंधेरे और सन्नाटे में ,
आंसू नहीं मेरे जज़्बात बह गए ,
जब तुम किसी बेगुनाह को ,
गुनेहगार कह गए ।

हां बेवफा हू मैं ,
क्योंकि अपनी धड़कन को छोड़ ,
तुम्हारे दिल की धडकन की सुनने लगा था ,
खुद से भी जादे तुझसे ,
अब मोहब्बत करने लगा था ।

खैर ... गैर बनाना तुमसे बेहतर ,
शायद ही किसी को आता होगा ,
हर दफा वफा देने वाले को ,
जब तू बेवफा बताता होगा ।

Thursday, August 12, 2021

रात की बात

बात एक राज़ की है ,
तेरे मेरे साथ की है ,
कुछ बिखरे जज़्बात और ,
उलझन से भरे रात की है ।

ना कोई रिश्ता है तेरा मेरा ,
ना ही है उसका कोई नाम ,
फिर भी लगते नहीं अजनबी ,
मिलते है जब हम हर शाम ।

तुम कहती हो बात दिल की ,
हम दिल में जिन्हें बसाते है ,
हर रात के अंधेरे में ,
इश्क़ की लौ दिल में जलाते है ।

बुझते नहीं अरमां दिन के उजाले में ,
तेरा सिर्फ मेरा हो जाने में ,
पर कुछ तो अक्सर छूट जाता है ,
बेवजह जब हर सुबह वो रूठ जाता है ।

फिर आती है शाम ,
रात की हो जाने को ,
मेरे इस बेनाम रिश्ते को ,
शिद्दत से निभाने को ।

वो आज कल ख्वाबों में ,
कुछ जादे ही आने लगी है ,
शायद मुझ सा इश्क़ ,
अब वो भी निभाने लगी है ।

Wednesday, August 11, 2021

होंठ

गर बात सिर्फ जज़्बात की होती ,
शायद ना इतनी वो खामोश होती ,
चंद लम्हें का ही नहीं होता साथ ,
पूरी जिंदगी वो मेरे साथ होती ।

लबों से उठ कर अल्फाज़ ,
होठों पे जब सज रहे थे ,
ना जाने कितनी दफा ,
हम जी कर भी मर रहे थे ।

कितना सुकून और ठहराव था ,
उनके उस हलचल में ,
डूब रहा था जान कर भी ,
इश्क़ के दलदल में ।

ना अब कोई स्पर्श बचा था ,
और ना ही वो मेरे सामने खड़ा था ,
था तो बस कुछ अधूरा छूट गया ,
शायद जबसे वो हमसे रूठ गया ।

होठों पर बसी मुस्कुराहट उसके ,
बस इकलौता उसका गहना था ,
ना चाह कर भी गहना ,
हमने उससे चुरा लिया ,
जब दिल उसका दुखा दिया ।

ना अब रंगो से ,
कभी भरती है मुस्कुराहट उसकी ,
और ना कभी वो खुद को,
सवारती है ,
होठों के बेरंग होने का ,
गुनेहगार सिर्फ मुझे मानती है ।

पर है हिस्से में मेरे भी कुछ बताने को ,
एक स्पर्श मुस्कुराहट पर छोड़ जाने को ,
पर क्या कभी वो लौट कर आयेगी ,
अंजाने में हुए गुनाहों को माफ कर जाएगी ।

गर हां तो लौट आओ ,
बस अभी इस पल ,
अब और इंतजार ,
मुश्किल लगता है ।


तेरे होठों पर बसती है दुनिया मेरी ,
और तेरी मुस्कुराहट से मोहबब्त है ,
आए तेरा स्पर्श ,
मेरी मौत से पहले ,
आखिरी मेरी बस यही चाहत है ।

झुमका

इत्तेफाक देखो वक्त का ,
एक और ख़ूबसूरत मज़ाक कर बैठा ,
अभी चंद रोज ही गुजरे थे ,
गुजरे तुम्हारे ,
किसी और से दिल लगा बैठा ।

ना कोई सूरत और ना कोई सीरत ,
लगता है फिर भी वो बेहद खूबसूरत ,
क्या कमाल का शोर होता है ,
हर दफा फिजाओं में ,
उड़ने को जब उसे कोई छोड़ देता है ।

मेरी नज़र से तुम्हारी नज़र को ,
मिलने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा ,
ना जाने ये खूबसूरत शोर ,
हमें और कितना और घायल करेगा ।

रूह तो अब उनकी हमें ,
थोड़ा पहचानने लगी थी ,
बिन देखे कभी निगाहों के ,
वो सब जानने लगीं थी ।

पहली दफा आज उनको देखा मैंने ,
बस उनके झुमके नज़र आए ,
इश्क़ में थे नहीं अब तक ,
पर दिल वही छोड़ आए ।

ताजमहल सी खूबसूरती जिसकी ,
और ठंडक भरी आहट थी ,
हर दफा गुजरते हवा के झोंके में ,
मानों सिर्फ इश्क़ करने की चाहत थी ।

रंग बदलते उनके और मौसम के ,
सब बदलने लगा था ,
कभी चांदी के संग काला ,
तो कभी जिस्म के रंग के संग ,
वो खिलने लगा था ।

सूरत , सीरत सब अपनी ,
खूबसूरती हार जायेंगे ,
जिस रोज़ झुमकों से ,
लड़ने वो जंग आयेंगे ।।

Tuesday, August 10, 2021

पहचान

तुम जो खामोश रहती हो ,
अक्सर कुछ ना कहती हो ,
हर सुबह शाम खुद से ,
बेवजह लड़ती रहती हो ।

क्यों नहीं खुद से ,
खुद जैसी मोहब्बत करती हो ,
आंखो से कहती जो बातें ,
उन्हें होठों से कहती हो ।

खुशियों को तलासने में ,
गम से खुद को कितना भर चुकी हो ,
अधूरेपन से खुद को ,
अधुरा कर चुकी हो ।

क्या कल की कोशिश ,
आज नहीं कर सकते है ,
चंद लम्हों में ही ,
वो पल जी सकते हैं ।

काश की वो लौट आए ,
लौट कर फिरसे गुजरे वक्त सा ,
हो जिसे चाहत अनगिनत खुशियों की ,
बिन कह उन शब्द सा ।

हो सके तो लौटा दो ,
वो कल जो खूबसूरत था ,
जहां सिर्फ सच्चे एहसास के ,
नहीं कोई और मूरत था ।।

Friday, August 6, 2021

बताना

हां मुझे तुमसे मोहब्बत है ,
क्या तुम्हें नहीं ,
बताना जरा सच सच ,
क्या ये सच नहीं ।

क्या ये सच नहीं ,
की तुम मेरे खुशियों की ताबीज़ हो ,
जिस्म से दूर होकर भी ,
रूह के सबसे करीब हो ।

रूह के करीब हो ,
पर क्या तुम मेरा नसीब हो ,
इस मोहब्बत को निभाने वाली ,
क्या तुम कोई रकीब हो ।

रकीब जानकर एहसासों के कंकड़ ,
जो दिल में चुभने को आते है ,
उन इश्क़ की गलियों से गुजरने पर ,
क्या तुम्हें मुझ जैसे ही सताते है ।

सताता हू मैं तुम्हें ,
या तुम मुझे सताती हो ,
मेरा होकर भी ,
अजनबी रह जाती हो ।

अजनबी बन कर भी ,
अपनी सी तो लगती हो ,
अक्सर जब अंजान रस्तों में ,
आ मुझसे मिलती हो। 

मिलोगी ना तुम उतनी ही शिद्द्दत से ,
जैसे मुझसे इश्क़ निभाती हो ,
अक्सर रातों में ,
मुझे उजालों से भर जाती हो ।।

Wednesday, August 4, 2021

तेरे बग़ैर

गर ख्वाबों सी तुम ,
होश में भी ,
इतना ही मेरे साथ होती ,
कितनी ख़ूबसूरत ये रात होती ।

तुमने छोड़ कर हाथ मेरा ,
खुद को मुझसे तोड़ दिया ,
एक अंजाने से जुल्म ने ,
मुझे तन्हा छोड़ दिया ।

माना की तुम उलझी हो ,
अपने ही जीत हार में ,
पूरा होकर भी रह गए ,
अधूरे उस प्यार में ।

पर मैं तो तुझमें आ उलझा हू ,
खुद को सुलझाने के लिए ,
तेरे चहरे की मुस्कुराहट से ,
मुस्कुराने के लिए ।

मेरे रूह को मुझ से भी बेहतर
अब तुम पहचानती हो ,
फिर भी ना जाने क्यों  ,
मेरी मोहबब्त को नहीं मानती हो !

तेरे बगैर हर जीत भी ,
शिकस्त सी लगती है ,
तेरी मौजदगी रूह को ,
जिंदगी सी लगती है ।

है इंतजार बस उतना सा तेरा ,
जितनी सी बची हैं सांसे ,
हो सके तो लौटा दो मुझे ,
मेरी वो खूबसूरत रातें ।

Tuesday, August 3, 2021

बैठी निगाहें

किसी को इश्क़ में ,
आप हां तो करेंगे ,
गर आप भी उससे ,
मोहब्बत करेंगे ।

पर क्या वो आप से ,
मुझ जैसी मोहब्बत करेंगे ,
एक तरफा ही सही ,
आप पर हर पल मरेंगे ।

कभी अधूरेपन के अंधेरे में ,
कोई रोशनी बन कर आयेगा ,
आप के दिल को ,
इश्क़ के उजाले से भर जायेगा ।

ना मेरी याद होगी ,
ना चांद की कोई बात होगी ,
आसमां में गैर मौजूदगी भी ,
हम दोनों की बेहद साफ होगी ।

क्या लौट कर आप आयेंगे कभी ,
या यूंही अधूरे रह जायेंगे सभी ,
आप सी मोहब्बत ,
क्या वो आप से निभायेंगे कभी ।

सवालों के जवाब तलाशता दिल ,
और आपके इंतजार में बैठी निगाहें ,
बताना जरूर गर कभी छूट जाए ,
थामी है आप ने जो बाहें ।

रोक लिया होता

तुमने रोका क्यों नहीं ,
मुझे टोका क्यों नहीं ,
एक आखिरी दफा !

क्या सच में मेरा दूर जाना ,
तुम्हें होगा मंजूर ,
जिस्म से दूर हो कर भी ,
रूह को होगा सुकून ?

मैं तो मुसफिर रास्तों में ,
एक घर तलाश रहा था ,
इधर उधर भटक कर ,
तुझपर आ टिका था ।

तुमने बिखरने की सुनी कहनियां,
और लोगों से खुद को जोड़ बैठे ,
मेरे हिस्से के अधूरेपन को ,
अंजाने में छोड़ बैठे ।

क्या सच में कोई सवाल नहीं था ,
या मेरे जवाब ही काफी थे ,
अल्फाजों के सौदागर ,
तुम लाए क्यों सिर्फ खामोशी थे ।

गर रोक लिया होता मुझे ,
तो क्या ही बात होती ,
ना अधूरी कल की रात होती ,
शायद तू मेरे साथ होती ।

छोड़ कर जाऊ तुम्हें ,
जब सब बिखरा हुआ है ,
इतना भी खुदगर्ज नहीं ,
एकतरफा ही सही .. है तो मोहब्बत ,
निभाऊंगा हर फर्ज सभी ।

"वैसे भी मुझे उनके बगैर मरना नहीं ,
उनके साथ जीना है" ,
क्या फर्क पड़ता गर ,
मोहब्बत एक तरफा ही होना है ।।

Monday, August 2, 2021

Tears

It was late night ,
And all dark around ,
For the first time ,
When I found .

The silence was so loud ,
And I was into tears ,
I got the feeling of ,
losing you my dear .

Every drop of emotions ,
Were falling slowly ,
And i was losing ,
You and hope Gradually .

Every minute of wait ,
Was difficult to live ,
As I was full of emotions ,
And carrying one last ,
good bye to give .

Whenever i see you ,
in the dark nights ,
Smile comes on my face ,
Beats start doing the race .

And this will never change ,
Even if it sounds strange ,
I will fall for you forever ,
Even if you don't say ,
those star words ever .

I often see you before ,
I go to sleep ,
Holding hands ,
And walking on some lonely street .

I still wonder how ,
I shed These tears ,
You are in my heart ,
What to fear .

I won't let you go ,
Until the Beats don't stop ,
Let me start again ,
From where I stop .

खुशकिस्मत

वो फेर रहीं उंगलियां ,
जिस सिद्दत से ,
किसी के लिए छिपा ,
शायद उसमे कोई पैगाम होगा ।

होगा वो शख्स ,
बेहद खुशकिस्मत ,
दिल में उनके ,
जिसका नाम होगा ।

कुछ तो खूबसूरत ,
और भी पैगाम होगा ,
शायद जिक्र जिसका ,
किसी और शाम होगा ।

बताना हो गर फुर्सत कभी ,
उनके भी बारे में ,
कौन है वो शख्स ,
जो जानता है मेरे बारे में।

क्योंकि इश्क़ तो दिल से ,
दिल तक जाने वाला एहसास हैं ,
गर धड़क जाए तो अमर ,
वरना एकतरफा ही खास है ।

फेरती उंगलियों में छिपे ,
वो कौन से जज़्बात है ,
लग रही हुबहू उंगलियों उनके जैसी ,
हाथों में थामा हमने जिनका हाथ है ।।

Sunday, August 1, 2021

मेरे शब्द

मेरे शब्द महज़ अल्फाज़ नहीं ,
चिल्लाते मेरे एहसास हैं ,
जो समझो तो अच्छा ,
नहीं समझो तो भी दिल के पास हैं ।

महज़ एक रात से हुआ शुरू सफर ,
कितने दिन में बदल गया ,
सब कुछ तो था अधूरा ,
उसकी मौजूदगी से जो भर गया ।

मेरी धड़कन जो धड़कती है ,
कभी जोर जोर से ,
होता जिक्र सिर्फ तेरा ,
उस वक्त हर ओर से ।

ये शोर सबको सुनाई देता है ,
बस तुझे छोड़ कर ,
ना जाने कैसे कहूं ,
पलके झुका और दिल जोड़ कर ।

तेरे जिक्र भर से आज कल ,
सब कुछ खूबसूरत बन जाता है ,
देखो ये शब्दों का सौदागर भी ,
कैसे शब्द चुराता है ।