जब थाम कर हाथ हम उनका ,
चले थे कुछ कदम दूर ,
मांग बैठे ज़िन्दगी भर का साथ ,
हमसे हमारे हज़ूर .
छोड़ना पड़ा बीच राह मे साथ हमे ,
हाथ उनका ,
ज़िन्दगी से ज़िन्दगी का साथ कैसे निभाते ,
जब लिख चूका था खुदा कोई और उनके किस्मत मे ,
हम कहा से उन्हे अपना बनाते .
बस जो छोड़ा साथ हमने ,
अनजान रहो पर उनका ,
कोई अपना ना जाने कहा से आ गया ,
थाम कर हाथ , साथ उन्हे ,
उनकी मंजिल की ओर ले गया .
देख जाते संघ उन्हे किसी अपने के ,
दिल को सुंकून मिल गया ,
छोड़ते ही हाथ उनका , उसकी खातिर ,
मेरा चहेरा मानो मुरझाया ,
और उनका खील गया .
हम भी चल पड़े थे ,
अनजान राहों पर फिर एक दफा ,
शायद कही मंजिल मिल जाए ,
खुदा ने रखा होगा कही ,
खाली हथेली हमारी खातिर भी ,
शायद इन्ही राहों पर वो हमे मिल जाए .
#उम्मीदपेदुनियाकायम