Friday, February 5, 2016

साथ

जब थाम कर हाथ हम उनका , 
चले थे कुछ कदम दूर , 
मांग बैठे ज़िन्दगी भर का साथ , 
हमसे हमारे हज़ूर . 

छोड़ना पड़ा बीच राह मे साथ हमे , 
हाथ उनका ,
ज़िन्दगी से ज़िन्दगी का साथ कैसे निभाते , 
जब लिख चूका था खुदा कोई और उनके किस्मत मे , 
हम कहा से उन्हे अपना बनाते . 

बस जो छोड़ा साथ हमने ,
अनजान रहो पर उनका , 
कोई अपना ना जाने कहा से आ गया , 
थाम कर हाथ , साथ उन्हे , 
उनकी मंजिल की ओर ले गया .

देख जाते संघ उन्हे किसी अपने के , 
दिल को सुंकून मिल गया , 
छोड़ते ही हाथ उनका , उसकी खातिर ,
मेरा चहेरा मानो मुरझाया , 
और उनका खील गया .

हम भी चल पड़े थे , 
अनजान राहों पर फिर एक दफा , 
शायद कही मंजिल मिल जाए , 
खुदा ने रखा होगा कही ,
खाली हथेली हमारी खातिर भी , 
शायद इन्ही राहों पर वो हमे मिल जाए . 

#उम्मीदपेदुनियाकायम