Saturday, November 4, 2017

शब्द .. जो आख़िरी होते

स्याही के आख़िरी बूँद से ,
कुछ ऐसा लिख जायेंगे ,
आख़िरी शब्द होंगे ज़रूर मेरे ,
पर कुछ गहरा कह जायेंगे ।

भीगी पलकों से गिर कर आँसू ,
लिखें शब्दों को धुँधला कर जाएँगे ,
साफ़ तो लिखा होगा मैंने ज़रूर ,
पर धुँधला नज़र आयेंगे ।

वो शब्द होंगे अगर आख़िरी ,
फिर तो तय हैं ,
रूह बन हम किसी और ,
दुनिया में चले जायेंगे ,
मुस्कुराता हुआ चहेरा ,
आप को मुस्कुराने के लिए छोड़ जायेंगे ।।

अब लगता हैं वक़्त तेरे मुस्कुराने का हैं ,
दूर मेरे जाने का हैं ,
आसमान में बन कर एक तारा ,
टिमटिमाने का हैं ।।

कभी जो ख़्वाबों में आयें ,
नींद को थाम लेना ,
कुछ वक़्त ही सही ,
साथ रह लेना ।

थक कर हार गया मैं ,
मुँह फेर ज़िंदगी से ,
सबको छोड़ कर जा रहाँ ,
थोड़ा रो , तो थोड़ा मुस्कुरा रहाँ ।।

दूर बहुत दूर ... अब मैं जा रहाँ ।।

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Thursday, November 2, 2017

तुम

अभी बस हम ख़ुशी से हटे थे ,
जा जब तुझसे मिले थे ,
सोचा ना था यादें से उनके निकल ,
तेरे हो चले थे ।।

ना तेरा मेरा कोई रिश्ता था ,
ना थी कोई पहेचान ,
थे कल तक जो अजनबी ,
अब नहीं थे अनजान ।।

तुम से मिलकर ... तुम से मिला था ,
अजनबी अब अनजान ना रहाँ था ,
हो रहीं थी बातें बेशुमार ,
होने लगीं थी मोहब्बत फिर एक बार ।।

तभी मधुशाला ने क्या खेल खिलाया ,
गड़ा मुर्दा जाग आया ,
देख जिसे , ख़ुद को तुमने ,
ज़िंदा लाश बनाया ।।

खो दिया तुम को मैंने ,
अब कहाँ तुम आओगी ,
वक़्त के साथ ,
एक हसीन याद बन जाओगी ।।

पर फ़र्क़ होगा थोड़ा ,
और को हम लिखकर सुनाते ,
तुम पर हम लिखते जाते ,
पड़ जिसे वो भी ‘तुम’ से मोहब्बत कर जाते ।।
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