काफी अरसे बाद कलम उठाई कुछ लिखने को पर पता नहीं क्यों कलम चलने को तैयार नहीं और तो और शब्दों ने मानो मुझसे तलाक ले लिया हो फिर भी इन बिसम परिस्थितियो मे एक छोटा सा प्रयास आप लोगो के बीच .
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तेरे इश्क मे हम क्या से क्या हो गए ,
तेरे ज़िन्दगी मे आते ही ,
हम अपनों से भी मीलों जुदा हो गए .
हम किस कदर थे तेरे इश्क मे दीवाने ,
ए एहसास मिलते ही तुझसे हम ,
हो गए अपनी ही दुनिया से बेगाने .
पता भी ना था हमे ,
ये एहसास किस हद तक साथ निभाएगी ,
कभी सोचा ना था ,
कुछ ही लम्हों मे वो ,
बिना कुछ कहे साथ छोड़ जाएगी .
एक वक़्त था जब तेरे इश्क मे ,
कुछ कर गुजरने की चाहत थी ,
संग तेरे रहेने से ,
ज़िन्दगी मे सुकून और राहत थी .
एक लम्हा ऐसा भी आया था ,
मानो हर शब्द मे तेरा नाम ,
और तो और
हर रूप मे तेरा ही चहेरा छाया था .
तेरे इश्क मे क्या से क्या हो गए ,
शब्द भी बेवफ़ा हो गए ,
कलम की स्याही भी रूठ गई ,
मानो लिखने की वजह ही छुट गई .
तेरे इश्क मे हम क्या से क्या हो गए ,
तेरे ज़िन्दगी मे आते ही ,
हम अपनों से भी मीलों जुदा हो गए .
( खुदा हाफ़िज़ )
Copyright © 2013 shashankvsingh.blogspot.in™, All Rights Reserved.
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तेरे इश्क मे हम क्या से क्या हो गए ,
तेरे ज़िन्दगी मे आते ही ,
हम अपनों से भी मीलों जुदा हो गए .
हम किस कदर थे तेरे इश्क मे दीवाने ,
ए एहसास मिलते ही तुझसे हम ,
हो गए अपनी ही दुनिया से बेगाने .
पता भी ना था हमे ,
ये एहसास किस हद तक साथ निभाएगी ,
कभी सोचा ना था ,
कुछ ही लम्हों मे वो ,
बिना कुछ कहे साथ छोड़ जाएगी .
एक वक़्त था जब तेरे इश्क मे ,
कुछ कर गुजरने की चाहत थी ,
संग तेरे रहेने से ,
ज़िन्दगी मे सुकून और राहत थी .
एक लम्हा ऐसा भी आया था ,
मानो हर शब्द मे तेरा नाम ,
और तो और
हर रूप मे तेरा ही चहेरा छाया था .
तेरे इश्क मे क्या से क्या हो गए ,
शब्द भी बेवफ़ा हो गए ,
कलम की स्याही भी रूठ गई ,
मानो लिखने की वजह ही छुट गई .
तेरे इश्क मे हम क्या से क्या हो गए ,
तेरे ज़िन्दगी मे आते ही ,
हम अपनों से भी मीलों जुदा हो गए .
( खुदा हाफ़िज़ )
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