Sunday, October 31, 2021

इश्क़ का रंग

इश्क़ का रंग भला ,
आखिर क्या होता होगा ,
किसी का इश्क़ सफेद ,
किसी का लाल होता होगा ।

रंग में किसी का इश्क़ ,
रंगीन भी होता होगा ,
कोई फीका पड़ने पर ,
नया रंग सजोता होगा ।

इश्क़ में बेरंग भला ,
कहां रंग का मतलब समझ पायेगा ,
मायूस हो चुके दिल को ,
कैसे रंगो से भर जायेगा ।

कोई किसी के दाग को ,
रंग समझ.. इश्क़ निभा रहा होगा ,
कोई उसी दाग वाले रंग को ,
दुनिया से छिपा रहा होगा ।

मेरे जिंदगी में इश्क़ बन कर ,
रंग भरने जबसे तुम आई हो ,
रंगो के इस इश्क़ में ,
अपने रंग में रंग लाई हो ।

देखो मेरे इश्क़ का रंग ,
आज से हरा हो गया ,
जिस पल तेरी निगाहों सा ,
तू भी मेरा हो गया ।।

इस पल का सच

तुम मुझे मेरे उस ख़्वाब सी ,
अब लगने लगी हो,
सच बन कर मेरी जिंदगी ,
खुशियों से भरने लगी हो ।

आज हर पल हर लम्हा,
जिसे मैं इस पल जी रहा हूं ,
होकर बस तुम्हारा ,
तुझमें ही खो रहा हूं ।

पहाड़ों का सुकून कहूं तुम्हें ,
या सर्द हवा की छूअन ,
देखो जिक्र आने भर से तुम्हारे ,
खिल उठता है मेरा मन ।

मैं इश्क़ के जिस सफरनामे से ,
इस वक्त गुजर रहा हू ,
तुम्हारी मौजूदगी को मोहब्बत ,
शायद समझने की भूल कर रहा हूं ।

आज कल मोहब्बत की बातें ,
तुम भी क्या खूब करने लगी हो ,
अपनी बेरंग तस्वीरों में ,
मोहब्बत के रंग भरने लगी हो ।

मैं तुमसा बनू या ना बनू ,
पर तुम मुझ जैसा बनने लगी हो ,
ख़्वाब को सच मान कर ,
मुझसे मोहब्बत करने लगी हो ।।

ख़्वाहिश

इश्क़ छोड़ कर जिसको ,
आज तक सब मिला हैं ,
देखो ना आज भी वो ,
किस तन्हाई से गुजर रहा हैं ।

हर शख्स में वो जिस शख्स को ,
अक्सर ढूंढती हैं ,
हर दफा किसी और शख्स से ,
जा कर जुड़ती है ।

मुकमल इश्क़ की कहानियां ,
दुनिया उसे खूब सुनाती है ,
पर वो खुद कहां ,
कभी इश्क़ को मुकम्मल पाती है ।

उलझन में उलझ कर ,
सवालों के पोटली भूल जाती हैं ,
हर दफा जब मिलने उससे ,
आख़िरी दफा समझ कर जाती है ।

मुस्कुराहट पर मरने वाले बहुत हैं ,
पर जीने वाला अब तक कहां मिला हैं ,
आज भी है जिंदगी में संग कोई ,
पर साथ निभाने वाला कहां है ।

उसकी खामोशी को पड़ कर ,
लब पर अल्फाज़ बिखर जाते हैं ,
न जाने बिन कुछ कहे अक्सर ,
लोग ऐसे ही जिंदगी से चले जाते हैं ।

गर सच नहीं तो ख़्वाब में सही ,
वो साथ किसी का चाहती हैं ,
हर दफा सच की ख्वाइश में ,
अपना ही ख़्वाब तोड़ आती है ।।

Friday, October 29, 2021

मैं बेहतर बनूंगा

मैं बेहतर बनूंगा ,
तुम्हारे उस गुजरे कल से ,
बीते हर उलझन वाले पल से ,
और गुजरती हर हलचल से ।

मैं बेहतर बनूंगा ,
तुमसे इश्क़ निभाने में ,
हल पल साथ आने में ,
हर लम्हें को सजाने में ।

मैं बेहतर बनूंगा ,
तुमको ऐसे ही उलझाने में ,
ऐसे ही कसम खिलाने में ,
जिंदगी भर साथ निभाने में ।

मैं बेहतर बनूंगा ,
तुम्हें तुमसे मिलवाने में ,
अपनी मोहबब्त जताने में ,
तुम्हारी पहचान बताने में ।

मैं बेहतर बनूंगा ,
गले का मंगलसूत्र बन कर ,
मांग का सिंदूर बन कर ,
जिंदगी भर जिस्म में रूह बन कर ।

मैं बेहतर बनूंगा इस दफा ,
सिर्फ तुमसे वफ़ा निभाने को ,
जिंदगी के हर पल को ,
खुशियों से भर जाने को ।

मैं बेहतर बनूंगा ,
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए ... समझी ।।

Thursday, October 28, 2021

सच कहूं तो

सच कहूं तो तुमसे ,
अभी कुछ कहा ही कहां है ,
पहली दफा लिखा हर शब्द ,
अभी तुमने जिया ही कहां है ।
 
सच कहूं तो तुमसे ,
कुछ भी तो नहीं छिपा हैं ,
पहली नजर का पहला असर ,
अब तक मुझ पर हो रहा हैं ।

सच कहूं तो तुमसे ,
अभी और भी बहुत कुछ कहना हैं ,
तेरे खिलखिलाहट का इंतजार ,
ना जाने कब तक करते रहना है ।

सच कहूं तो तुमसे ,
तुम्हारा जिक्र दिल को होने लगा है ,
पर दिल का क्या पता ,
शायद वो किसी और में खोने लगा है ।

सच कहूं तो तुमसे ,
हां सच में खुमारी चढ़ने लगी हैं ,
पास तो तुम आई नहीं कभी ,
पर अब दूरी बढ़ने लगी हैं ।

सच कहूं तो तुमसे ,
उलझन अब मेरी बढ़ने लगी है ,
तुम्हें उलझाने की कोशिश में ,
मेरी जिंदगी उलझने लगी है ।

सच कहूं तो .... आगे ,
कुछ कहने को बचा ही कहां हैं ,
शोर के इंतजार में बैठा मुसाफ़िर ,
अब खामोश होने लगा है ।।

Wednesday, October 27, 2021

महफिल की उलझन

और भी हैं महफिल में ,
जिसने दिल लगाते है हम ,
पर सच कहें तो सिर्फ आपको ,
दिल में बसाते हैं हम ।

सुनते हैं सबको और पढ़ते भी हैं ,
अल्फाज़ उनके पकड़ते भी हैं ,
पर आप पर निगाहें थम जाती हैं ,
हर दफा जब कुछ नया सजाती हैं ।

कभी बात में शोर करते लब ,
तो कभी खामोशी की मुस्कुराहट ,
कभी मेरे हिस्से के चंद अल्फाज ,
तो कभी उसकी अनदेखी शरारत ।

वो किसको जिक्र में लाकर ,
ऐसे तस्वीर बनाती हो ,
मानों मुर्दा पड़े किसी शरीर में ,
जान भर जाती हो ।

जीते हैं सिर्फ आप की कहानी में ,
मरने का हमें कोई शौक नहीं ,
अल्फाज़ बने गर तो बना लेना , 
उनको सजाने पर कोई रोक नहीं ।

रही बात महफ़िल से ,
अक्सर तुम्हारे जाने की ,
अधूरे सवालों की पोटली ,
यूंही छोड़ जाने की ।

तो भला तुमसे बेहतर कौन ,
इसका जवाब देगा ,
अगली तस्वीर में जो अपने ,
सारे जुल्मों के हिसाब लेगा ।।

Monday, October 25, 2021

फरेब इश्क़

और भी बचे हैं किस्से ,
जो मेरी जिंदगी में आयेंगे ,
तेरे आने से पहले हम ,
और भी सताए जाएंगे ।

इश्क़ का वादा कर के ,
दिल किसी और का कर के ,
सपने कुछ संग सजाएंगे ,
तोड़ कर वक्त के साथ चले जायेंगे ।

तुम्हारी तलाश में और कितना ,
हमें खुद को तलाशना हैं,
जिंदगी की चाहत में ,
खुद को कितना और बाटना है ।

तुम मेरा वो आखिरी इश्क़ बन कर ,
कब मुझसे इश्क़ निभाओगी ,
मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र ,
मेरे नाम का पहन कर आओगी ।

देखो हर गुजरते रात से ,
एक किस्सा जुड़ रहा हैं ,
छोड़ कर बीच रास्ते मुझे ,
वो अपने किसी के संग मुड़ रहा हैं ।

देकर वास्ता किसी दर्द का ,
दिल किसी और से लगा रहा ,
पास मेरे रहना का वादा कर के ,
किसी और के पास वो जा रहा ।

शिद्दत से मोहब्बत ,
हम तुमसे भी ऐसे ही निभायेंगे ,
इश्क़ का वादा ही नहीं ,
पूरी जिंदगी साथ रह कर दिखाएंगे ।

बस तुम आना जब कभी ,
आखिरी इश्क़ बन कर आना ,
जिंदगी के हर मर्ज की मेरे ,
दवा बन जाना ।।

Sunday, October 24, 2021

तौफा

तौफा क्या खूब दिया उसने आज ,
जब वो मेंहदी वाले हाथ लेकर आई ,
मोहब्बत के बारिश की उम्मीद में बैठी ,
आंसुओ की बारिश से भीग आई ।

सुबह का पहला ख्याल गर वो ,
तो लब पर उसका जिक्र क्यों नहीं आया ,
लगी थी मेंहदी जिसके नाम की ,
वो क्यों नहीं था कुछ कह पाया ।

बहुत से अरमां और ख्वाइश लेकर ,
पिघलते बर्फ़ में मेंहदी लगवा रही थी ,
इश्क़ के एक नए सफ़र में चलने को ,
अपने कदम वो बढ़ा रही थी ।

लगा जैसे कोई सवाल मन में उसके ,
बहुत जोर से आकर टकराया ,
जब मेंहदी लगी थी जिसके नाम से ,
वो खामोश लबों से मिलने आया ।

उसके हिस्से बस खुशियां ही तो ,
वो आज तक लेकर आई थी ,
ना जाने कौन से गुनाह की सजा ,
अपने हिस्से कर आई थी ।

इश्क़ में वो कितना बदनसीब होगा ,
जो उसके इश्क़ से अब तक दूर होगा ,
आज मजबूर वो है मोहब्बत में बेशक ,
देखना कल तू भी जरूर होगा ।।

खिलखिलाहट

सुन कर तुम को ,
अक्सर शाम होती थी ,
दिन में जिस सुकून की ,
हमें हर रोज़ दरकार होती थी ।

तुम वो सुकून बन कर ,
कितनों के हिस्से में आ रही हो ,
मुस्कराहट दे रही सबको अपनी ,
खिलखिलाहट सिर्फ मुझे दिए जा रही हो ।

वो पल कितना खूबसूरत होता होगा ,
जब तुम्हारा जिक्र भी उसे आता होगा ,
तुम्हारी खिलखिलाहट से ,
वो भी औरों की तरह मुस्कुराता होगा ।

मेरे हिस्से ना किया कोई मलाल नहीं ,
और तुमसे अब कोई सवाल नहीं ,
पर जवाब भी तुम्हें नहीं बताऊंगा ,
जब कभी पूछने तुमसे तुम्हारा हाल आऊंगा ।

ना रुक रहे अल्फाज़ खुद से ,
ना मैं उन्हें अब कभी सजा रहा ,
सुन कर तुम्हें और तुम्हारी कहानियां ,
खुद बखुद वो बनता जा रहा ।

तुम सच हो या कोई ख़्वाब हो ,
या मेरा वो छिपा कोई राज़ हो ,
हो कर भी सामने सबके तुम ,
ना जाने क्यों नही मेरे पास हो ।।

फीका इश्क़

इश्क़ में बर्बाद बहुत होते हैं ,
पर आबाद भी तो होते होंगे ,
मुझ जैसे चंद खुशनसीब और ,
तुझ जैसे बदनसीब भी तो होते होंगे ।

होते होंगे इश्क़ की नैया पार लगाने वाले ,
कुछ होते होंगे नाव डुबाने वाले ,
कोई पहली दफा दिल लगाता होगा ,
कोई एक और दफा तोड़ जाता होगा ।

जाता होगा जाने वाले छोड़ कर ,
बेवजह ही रिश्ता तोड़ कर ,
दिल वो भी किसी से लगाने को ,
जो ना मिला तुझसे वो पाने को ।

पाने को नहीं खोने को मिले थे ,
हर सुख चैन जो तुझे दे चुके थे ,
लगा जैसे जन्नत मिल गई हो ,
जो अब जहन्नुम बन रही हो ।

बन रही हैं कहानियां हर रोज़ ,
हर झूठ को छिपाने के लिए ,
हो कर इश्क़ में किसी और के ,
किसी और का बताने के लिए। 

बताने के लिए बचा ही क्या है ,
और छिपाना अब क्या बाकी है ,
मोहब्बत निभाना आसान नहीं होता ,
जब तक मिल ना जाए सच्चा साथी है ।

तेरी मेंहदी

उसके हाथों पर मेहंदी नहीं ,
हमारे इश्क़ की तस्वीर सजी हैं ,
बिछड़ने के बाद आज फिरसे ,
वो अपने महबूब से मिली है ।

कुछ खता हमसे हुई थी ,
और कुछ जुल्म वो भी कर गई ,
बिना जाने किसी सच को ,
एक पल में जब अलविदा कह गई ।

खत्म लगा जैसे मेरी जिंदगी से ,
सब एक पल में हो गया ,
जब मेरे लौटने पर इश्क़ में ,
वो दिल से निकल गया ।

लगा धड़कन मेरी अब ,
मेरा साथ छोड़ने को बेताब हैं ,
इश्क़ में मुझासा वो भी ,
उसकी मौजूदगी का मोहताज़ है ।

सजी है आज फिर वो ,
अपने हाथों पर इश्क़ रचा कर ,
अपने महबूब की तस्वीर ,
दुनिया से छिपा कर ।

रंग कितना गाढ़ा चढ़ेगा ,
या वो कुछ फीका पड़ेगा ,
ये तो आने वाला वक्त बतायेगा ,
मोहब्बत में जब वो खिलने को आयेगा ।

Friday, October 22, 2021

तेरी उलझन

हां इश्क़ सा अब कुछ ,
मुझे होने लगा है ,
पहले से भी ज़ादे ,
दिल मेरा तुझमें खोने लगा है ।

चंद रात से शुरू सफ़र ,
अब दिन के उजाले में ,
अपनी मौजदगी दिखाने लगा है ,
दिल से गुजर कर वो जाने लगा है ।

तुम्हारी खिलखिलाहट में नहीं ,
ना तुम्हारी मुस्कान में ,
छिपी हैं सारी कहानियां तुम्हारे ,
आंखो और उंगलियों के निशान में । 

लबों से दिल तक उतर कर ,
अल्फाज़ बन पन्नों पर सज कर ,
और कितने किस्से बनाओगी ,
कब सवालों की पोटली लाओगी ।

उस रात के इंतजार में ,
हर रात लंबी लगने लगी हैं ,
तु जबसे ख्वाब में मुझसे ,
चुपके चुपके मिलने लगी है ।

देखना चुरा ना ले जाए कोई ,
महफ़िल में आकर गैर ,
उलझना है मुझे इस उलझन में ,
किसी और से उलझे बगैर ।

Wednesday, October 20, 2021

एक झूठ

एक वक्त था जब मेरे लिखे ,
हर खत को वो पूरा पढ़ती थी ,
बिन कहे भी हर बात को ,
वो खूब समझती थी ।

हमने की कोशिश पूरी ,
शिद्दत से जिसे निभाने को ,
लम्हा लम्हा जोड़ कर ,
यादों का कारवां बनाने को । 

कुछ चांद तारों के बात ने हमको ,
कुछ ऐसे उलझाया था ,
खोने की कगार पर दिल ,
खुद ही मेरा चला आया था ।

लगने लगा हर सच जैसे ,
कोई झूठा सा ख़्वाब हो ,
मिल कर जो बिछड़ गया ,
वो कोई नायाब हो ।

वक्त बदला और सब बदला ,
बदल गया उसका मिजाज़ ,
और देखे कितने बदलेगा  ,
कल से वो आज ।

Tuesday, October 19, 2021

संगम

जिस सादगी से तुम ,
मुझसे इस कदर गुजर कर ,
इस महफ़िल से जा रही हो ,
ना जाने कितने दिलों को जला रही हो ।

कितना सुकून है साथ तुम्हारे ,
जैसे बैठा हु किसी शांत नदी किनारे ,
सब कुछ कितना निर्मल हैं ,
खूबसूरत जिसका हर एक पल है ।

शीतल सा ये संगम हमारा ,
रात में चांद की रौशनी का सहारा ,
दृढ़ निश्चय और विश्वास हैं ,
किसी खूबसूरत रिश्ते का आगाज़ है ।

एक रोज़ या हर रोज़ होंगी बातें,
ये तो आने वाला वक्त बताएगा ,
कौन कितनी शिद्दत से ,
अपने सुकून में उलझाएगा ।

कुछ पल और जुड़ गए हिस्से हमारे ,
जिसमें कुछ लम्हों की सौगात हैं ,
कुछ है खामोशी से बोले शब्द तुम्हारे ,
और चंद मेरे भी अल्फाज़ हैं ।

रात कभी वो आयेगी जब ,
कितने सवालों के हम पर वार होंगे ,
उलझने वाले उस रोज़ ,
हमें उलझाने को बेकरार होंगे ।।

Sunday, October 17, 2021

कबूलमनामा

तुमको सच मान लूं अगर ,
ख़्वाब बुरा मान जायेंगे ,
मालूम नहीं अगली दफा ,
फिर कभी वो लौट कर भी आयेंगे ।

ना मांगा हाथ मैंने तुमसे ,
ना ही कोई फरियाद लगाई ,
इस दफा कुछ जल्दी में थी तुम ,
सीधे बाहों में भर आई ।

तुम्हारी आंखो से आंसू फिरसे ,
बारिश बन कर मुझे भीगाने लगें ,
कुछ अलग ही अंदाज में तुम ,
मुझमें जब सिमट जाने लगें ।

किसी बात से तुम मुझसे ,
अपनी नज़रे चुरा रही थी ,
अनजाने में हुई खाता ,
जिसको तुम छिपा रही थी ।

तुम बोली ..

जान कर वो सच मेरा ,
मुझसे दूर तो नहीं तुम जाओगे ,
बड़ी मुश्किल से संभली हूं मैं ,
मुझे छोड़ तो नहीं आओगे ।

सब सच कहा हैं मैंने तुमसे ,
बस कुछ बताना रह गया हैं ,
कोई और भी है दिल में मेरे ,
मेरे अतीत से जो रह गया है ।

कुछ बातें कुछ मुलाकातें संग उसके ,
कुछ हद से बेहद मैं गुजर रही हु ,
तुमसे मिलते मिलते मैं उससे भी ,
कई दफा मिल रहीं हूं ।

मैं मुस्कुरा कर तुम्हें देखता रहा ,
की तभी ख़्वाब टूट गया ,
मालूम नहीं मैं रहा संग तुम्हारे ,
या फिर ये रिश्ता छूट गया ।

ख़ैर 

होंगे बहुत तुम्हारे हुस्न के दीवाने ,
हमें तुम्हारी सीरत पर मरना हैं ,
जिस्म की चाहत नहीं लिए बैठे ,
हमें तो बस रूह में रहना हैं ।।

सफ़र

अब जो थोड़ी थोड़ी बातें ,
हम दोनों करने लगे हैं ,
अपनी ही बनाए उलझन में ,
खुद ही फसने लगें हैं ।

रास्ता मेरे हर उलझन का ,
तुम कैसे निकाल पाओगी ,
गर गुजरते वक्त के साथ ,
खुद ही उलझना चाहोगी ।

एक सवाल और भी करना मुझसे ,
जब कभी अगली बार टकराना ,
रह गया बहुत कुछ अधूरा ,
तुमको जो है बताना ।

हो अगर तुम मेरे जिक्र में ,
कोई और जहन में कैसे आएगा ,
तस्वीर तुम्हारी आंखो में बसी ,
आईना कैसे किसी और को दिखाएगा ।

मिटा भी दोगी गर लिखा मेरा ,
या अपना कुछ कह कर हटाओगी ,
दिल में बसने लगे एहसासों से ,
कब तक तुम भाग पाओगी ।

चंद कदम के चाल से शुरू ,
सफ़र अब कुछ लंबा हो चला है ,
मेरे हर जज़्बात जबसे तुमने ,
अपनी लबों से पढ़ा है ।।

तुम

तुम महज़ कोई ख़्वाब हो ,
या मेरा सच बन कर आई हो ,
खुशियों के अनगिनत सौगात ,
जो संग लेकर आई हो ।

कुछ पल में ही कैसे भला ,
कोई जिंदगी बन जाता हैं ,
इश्क गर होना होता है ,
पल भर में हो जाता है ।

कुछ उखड़ी उखड़ी सी मुझसे ,
तुम आज क्यों लग रही हो ,
छोड़ने का इरादा है क्या मुझको ,
जो दूर चल रही हो ।

हाथ ना थामने का मुझे ,
कोई भी मलाल नहीं ,
रूठ जाऊ मैं इन बातों से ,
इतना भी खुदगर्ज .. बेहाल नहीं ।

एक जुल्म तुमने कल ,
अंजाने में कर दिया था ,
आंखो को अपने आंसुओ से ,
जब तुमने भर दिया था ।

खूबसूरत और भी मुस्कान ,
अब तुम्हारी लगने लगी हैं ,
जबसे आंखो के साथ ,
होठों पर बसने लगी है ।।

कसूर

कुछ पल के लिए मैं ,
अपने मंजिल से भटकने लगा था ,
छोड़ कर साथ तेरा ,
किसी और का होने लगा था ।

थामने को हाथ उसका ,
जब मैंने हाथ आगे बढ़ाया ,
बेहद ही सादगी से उसने ,
मुझे ना से मिलवाया ।

लगा तुम्हारी कोई दुआ ,
जैसे कबूल हो गई हो ,
मेरे दूर जाने की कोशिश,
फिरसे बेफिजूल रह गई हो ।

तुमसे कैसी ये दिल लगी हैं ,
जो दिल मेरा किसी और को ,
चुराने नहीं देती है ,
खींच कर अपनी ओर कर लेती है ।

खुली आंखे तो ख्याल ,
बस तुम्हारा ही मुझे आया ,
थामा कर हाथ क्यों नहीं तुमने ,
था मुझे पास बुलाया ।।

कुछ पल के लिए भी दूर जाना ,
अब तुमसे मंजूर नहीं  ,
दे देना हर सजा जुल्म की मेरे ,
गर लगे मेरा कसूर कभी ।।

Saturday, October 16, 2021

किस्सा

एक नन्ही सी गुड़िया ,
अब बड़ी हो चली थी ,
पालने से उठ कर ,
अब खड़ी हो चली थी ।

खूबसूरत बचपन और उसकी यादें ,
आज भी जिनसे वो मुस्कुराती है ,
जब कभी अपने आज को देख ,
अक्सर मायूस हो जाती है ।

सफ़र जिंदगी का आसन नहीं ,
मुश्किलों से भरा है ,
मंज़िल की तरफ रास्ता ,
अनगिनत काटों से भरा है। 

मांग में सिंदूर सजने पर ,
सबके हिस्से खुशियां आती है ,
उस जैसे चंद बदनसीब के हिस्से ,
सिर्फ जिल्लत और दर्द लाती हैं ।

हमसफ़र मान कर जिसका ,
उसने हाथ थामा था ,
एक वक्त के बाद उसने भी ,
कहां मुझे अपना माना था ।

इश्क़ की तलाश में उसका दिल ,
कई दफा अजनबियों से लगा ,
पर कहां कोई भी अजनबी ,
उसकी रूह में बस सका ।

उसके हिस्से की खुशियां देने ,
किसी रोज़ कोई शहजादा आएगा ,
अधूरी रह गई हर ख्वाइश जिसकी ,
सब पूरी कर जायेगा ।।

रौशनी

ख़ुद उलझ कर जिंदगी में ,
दूसरो के मसले सुलझाती है ,
गम से भरी जिंदगी के साथ भी ,
मुस्कुराना सिखाती है ।

सपने देखे उसने कई हज़ार ,
टूटे जाते हैं जो बार बार ,
फिर भी नए ख़्वाब सजाती है ,
हार कर भी जीत जाती है ।

अपनी मंज़िल अपनी दुनिया ,
अपना ही घर बनाती है ,
फर्ज मां बाप बच्चे सबका ,
खुद ही निभाती है ।

मुश्किल लगे सफ़र में ,
हमसफर कभी नहीं भाया ,
रह गई अपनो के पास ,
बन कर उनकी छाया ।

सवाल अनगिनत और चंद जवाब ,
अक्सर खामोशी से उससे मिलते हैं ,
चुपके चुपके आकार कर दिल में ,
पलकों से जो गिरते हैं ।

बदलते वक्त और तजुर्बे से ,
अब वो और सुलझने लगी है ,
बन कर अंधेरे में दीपक ,
औरों की जिंदगी रौशनी से भरने लगी है ।।

अजनबी जिंदगी

आज सुबह मैं मिला तुमसे ,
एक अजनबी बन कर ,
शाम को थी तुम साथ मेरे ,
मेरी जिंदगी बन कर ।

पता ही नहीं वक्त गुजरा कैसे ,
और हम दोनों भी थम गए ,
मंजिल का पता नहीं ,
बस हम राही बन गए ।

रात कटने से भी ना कटे ,
और दिन के आने का इंतजार ,
क्या खूबसूरत लग रहा ,
जब हो रहा दिल बेकरार ।

तेरी कही हर बात मुझसे ,
जुड़ी हर याद जिससे ,
सब कुछ हुबहू मेरे जहन में जिंदा है,
दिल का तो भरोसा नहीं ,
वो तो एक परिंदा है ।

फूल की वो कली हो तुम ,
जो अब खिलने को आ रही है ,
फिज़ा में घुल कर खुशबू जिसकी ,
मेरी जिंदगी को महका रही है ।

पल भर की खुशी कहूं तुम्हें ,
या जिंदगी भर की याद ,
गुजर कर भी जिंदा है मुझमें ,
हमारी वो खूबसूरत रात ।।

आंखो की भाषा

तेरी आंखों में देखने की इजाज़त नहीं ,
फिर भी देखने का जुल्म कर बैठा हु ,
जब से तेरे बिंदी को अपना  ,
इकलौता दिल दिए बैठा हु ।

नज़र तेरे बिंदी से जब गुजरी ,
निगाहों पे आकर थम गई ,
मानों खुबसूरती कायनात की ,
तेरे चेहरे पर ही आकर बस गई ।

तेरे खुले जुल्फ अब मुझे ,
बहुत उलझाने लगे हैं ,
बिखर कर जबसे तेरे ,
चेहरे को छिपाने लगे हैं ।

देख कर भी निगाहों को तुझे ,
अब चैन क्यों नहीं आ रहा ,
दूर जाने की कोशिश में मैं,
तेरे पास क्यों आ रहा ।

लबों पर ये कैसी खामोशी लिए ,
आज तुम ऐसे बैठी हो ,
मेरे कहानी का एक अहम हिस्सा ,
कुछ पल में ही बन बैठी हो ।

होंगे बहुत तुम्हारे हुस्न के दीवाने ,
हमें तुम्हारी सीरत पर मरना है ,
जिस्म की चाहत नहीं लिए बैठे ,
हमें तो बस रूह में रहना है ।।

Friday, October 15, 2021

खामोशी से ना

मेरे आते ही जब तुम ,
कहीं चले गए ,
बड़ी खामोशी से हमें ,
ना कह गए ।

वक्त का सितम मुझ पर ,
क्या खूब वक्त ढा रहा है ,
घर आते ही उसके मेरे  ,
वो चला जा रहा है ।

चलो अब कभी उसके घर ,
ऐसे हम नही जाएंगे ,
सुकून की तलाश में ,
घर अपना ही बनाएंगे ।

आना तुम कभी घर मेरे ,
अपनी ही तस्वीर पाओगे ,
वजह मेरे मुस्कराने की ,
अपनी आखों से देख पाओगे ।

माना की मजबूर हो तुम ,
शायद इस लिए दूर हो तुम ,
बिना कुछ वक्त दिए भी ,
मुझे मंजूर हो तुम ।

भला कैसे तुम ,
मुझे ऐसे छोड़ कर जाते हो , 
सुकून की तलाश में मुझे ,
अनचाही सी खामोशी दे जाते हो ।।

इश्क़ की वजह

इश्क़ में हो तुम किसी के ,
या किसी रिश्ते में बंधी हो ,
दिल में है भी कोई जगह ,
या पहले ही भर चुकी हो ।

पूछा नहीं कभी तुमसे ,
ना तुमने कभी मुझे बताया ,
हां तुम्हारे एक सवाल से ,
दिल थोड़ा था घबराया ।

ख्वाबों को छोड़ कर आज कल ,
तुम सब जगह आने लगी हो ,
नींद चुरा कर रातों की जबसे ,
तुम मेरी जाने लगी हो ।

तुम से कही हर बार चुपके से ,
दुनिया जान चुकी है ,
तुम्हें छोड़ कर सारी दुनिया ,
जिसे सच मान चुकी है ।

जान कर हाल-ए-दिल अगर ,
तुमसे इश्क़ हो तो भला ,
वो इश्क़ ही क्या होगा ,
फैसला जिसका तुम्हारा इश्क़ करेगा ।

मैंने दिल को रोका नहीं कभी ,
ना दिल को तेरे हां का इंतजार ,
इश्क़ गर एकतरफा भी हो ,
कहते तो उसे भी प्यार हैं ।।

Thursday, October 14, 2021

आप से तुम

आप से तुम ,
तुम से अब मेरी हो गई ,
एक पल में हुई मोहब्बत ,
मेरी जिंदगी बन गई ।

तुम्हारी मुस्कुराहट से शुरू ,
इश्क़ की कहानी हुई ,
आंखो में बसी तस्वीर तुम्हारी ,
दुनिया जिसकी दीवानी हुई ।

मैं चलने लगा सफ़र में ,
तेरे एक सवाल के बाद ,
कह दिया तू ही है जवाब ,
हर कलाम के साथ ।

तेरे आंखो की शरारत ,
तुझे और खूबसूरत बना रहीं थी ,
नज़रे बड़ी फुरसत से ,
हमसे आज तुम मिला रहीं थी ।

मैं निहार रहा तुझे अब भी ,
कोई ख़्वाब समझ कर ,
लौटा दो मेरा सच मुझे ,
अपना आफ़ताब समझ कर ।

और भी है सर्द गलियां ,
जिससे मुझे गुजर कर जाना है ,
रोक लो थाम कर हाथ मेरा ,
गर आखिरी यही ठिकाना है ।

कुछ नई सी शुरुआत ,
अब सफ़र का हिस्सा बन गई ,
एक पल में हो कर दूर वो ,
कोई किस्सा बन गई ।।

तेरी मुस्कान

तेरी हर अदा में ये ,
कुछ अलग सा जादू है ,
जितनी दफ़ा देखू तुम्हें ,
हो रहा दिल मेरा बेकाबू है ।

जु़ल्फ़ को चहरे से झटकना ,
नैनों का बेसुध हो कर मटकना ,
ख्याल कुछ खूबसूरत बुन रही थी ,
जब दुनिया तुम्हें सुन रही थी । 

तुम अपनी और भी अदाओं से ,
हमें घायल करती हो ,
हर दफ़ा शुक्रिया कहने का ,
जब जुल्म़ करती हो ।

इश्क़ भी तुम खुद से ,
क्या खूब करती हो ,
हर दफा जब आईने में ,
अपने महबूब से मिलती हो ।

क्या हर दफा़ तुम ऐसे ही ,
मुझे शिद्दत से मिलोगी ,
या फिर किसी हड़बड़ी में ,
मुझे नज़रअंदाज़ करोगी ।

कहा है क्या कभी किसी ने तुमसे ,
तुम्हारी मुस्कुराहाट कातिलाना है ,
जिंदगी की चाहत में हमारा भी ,
एक रोज़ कत्ल हो जाना है ।
 
समय ने ये क्या कर दिया  ,
एक पल में काया बदल दिया ,
मायूस हो चले इस जीवन को,
तुमने अपनी मुस्कुराहट से भर दिया ।।

एक पल

एक पल में ही तो ,
इश्क़ होता है ,
एक पल में ही तो ,
इश्क़ खोता है ।

एक पल में ही तो ,
जज़्बात निखर आते है ,
एक पल में ही तो ,
ख़्वाब बिखर जाते है ।

एक पल में ही तो ,
वो मेरी हो जाती है ,
एक पल में ही तो ,
दूरी बढ़ जाती है ।

एक पल में ही तो ,
जिंदगी स्वर्ग बन जाती है ,
एक पल में ही तो ,
नर्क से भी बत्तर हो जाती है ।

एक पल में ही तो ,
गैर भी अपने हो जाते हैं ,
एक पल में ही तो ,
अपने भी पराए कर जाते है ।

एक पल में ही तो ,
नज़रिया मिल जाता हैं ,
एक पल में ही तो ,
अपना अजनबी कहलाता हैं ।

एक पल में ही तो ,
उसका दाम होता है ,
एक पल में ही तो ,
वो नीलाम होता है ।

एक पल में ही तो ,
किसी की कोख में आता है ,
एक पल में ही तो ,
छोड़ कर जिस्म रूह बन जाता है ।

एक पल में ही तो ,
कुछ शुक्रिया कहते हैं ,
एक पल में ही तो ,
खुदगर्ज भी आप से गुजरते हैं ।

एक पल में ही तो ,
कुछ कहना होता है ,
एक पल में ही तो ,
बस सुनते रहना होता है ।

एक पल में ही तो ,
साथ उसका भाता है ,
एक पल में ही तो ,
छोड़ कर वो चला जाता है ।।

शुक्रिया मत कहना

चुपके चुपके आज कल ,
मैं तुझे निहारने लगा हू ,
बिना इजाज़त के भी ,
तेरा नाम पुकारने लगा हू ।

तुझसे दिल लगी अजब सी ,
और ये कैसी बेकरारी है ,
मुकमल इश्क़ मेरे हिस्से में ,
फिर भी क्यों चढ़ी तेरी खुमारी है ।

चांद की रौशनी बन कर ,
जगमगाने तू आई है ,
मेरे रात के अंधेरे को ,
रौशनी से भर आई है ।

कुछ तो बहुत अलग बात है ,
जो दिल मेरा इतना बेताब है ,
वरना गुजरते है बहुत महफिल से ,
जुड़ते क्यों नहीं मेरे सबसे जजाब्त हैं ।

मौजूदगी ऐसे ही महफ़िल में ,
तेरी बस बनी रहे हर रोज़ ,
मिल जाए शायद मेरी खुशी ,
मुझे भी किसी रोज़ ।

तुझसे कोई और फरियाद ,
अब मैं नहीं करूंगा ,
खामोश रहना मंजूर मुझे ,
बस शुक्रिया नहीं सुनूंगा ।।

लाज़मी

तुम्हारे लबों पर हंसी ,
और दिल में सवाल लाज़मी हैं ,
भला कैसे जान गए हम वो सब ,
जो छिपा अजनबियों से आज भी है ।

मानता हु मेरे गुस्ताखी की ,
कोई माफी नहीं होगी ,
लिखी हुई मेरी बात ,
अब काफी नहीं होगी ।

चलो एक फरमाइश तुमसे ,
मैं कर के ही जाता हू ,
ख्वाइशों की पोटली से ,
एक ख्वाइश ले आता हू ।

मुस्कुराहट जरा इस दफा ,
होठों पर दिल से लाना ,
हो सके तो लम्हों में ही सही ,
खुल के मुस्कुराना ।

किसी और गहने से पहले ,
मुस्कुराहट का श्रृंगार ,
उस पर क्या खुब जचेगा ,
गर वो कभी मुस्कुराहट से सजेगा ।।

Wednesday, October 13, 2021

गुस्ताखी

तेरे मुस्कराते चेहरे के पीछे ,
एक मायूस दिल बैठा है ,
धड़कता था जो जोर जोर से ,
आज कल खामोश बैठा है ।

तेरे झुमके , तेरा काजल ,
और बिखरी जुल्फें तेरी ,
सब कुछ बता रहे हैं ,
तेरा हाल-ए-दिल सुना रहे हैं ।

दिल लगाती जितनी शिद्दत से तुम ,
तोड़ता उसे वो उतनी जोर से ,
तू करती मोहब्बत उससे ,
वो करता किसी और से ।

तुम तलाश में जिंदगी के ,
दिल अक्सर लगाती हो ,
खुद के जख्मों पर मरहम की आस में ,
उन्हें और घायल कर जाती हो ।

वैसे भी दिल तेरा कहां कोई ,
ऐसे ही चुरा पाता है ,
जब तक पूरी तरह तेरे दिल में  ,
वो उतर नहीं जाता है ।

मुस्कुराते तस्वीर को तेरे ,
सब सच मान बैठे हैं ,
इस महफिल में इकलौते हम ,
जिसे झूठ मान बैठे हैं ।

है और भी गुस्ताखी मेरे हिस्से ,
करते जिसे हम जाएंगे ,
अगली दफा जब कोई और झूठी ,
तस्वीर वो लगाएंगे ।।

लौटी थी जिंदगी

तुम मिली मुझसे जब अरसे बाद ,
कुछ भी तो नहीं बदला था ,
सिवाए निगाहें और नज़रिए के ,
सब कुछ तो पहले जैसा था ।

मैंने सोचा नहीं था कभी ,
की हम ऐसे भी मिलेंगे ,
बर्बाद कर के एक दूसरे को ,
जिंदा रह सकेंगे ।

बिखरी जुल्फ आज भी  ,
आंखो को तुम्हारे छिपा रही  ,
अपनी उन नाजुक उंगलियों से ,
क्यों नहीं जिन्हें तुम हटा रही ।

मेरे रकीब के दिए ज़ख़्म ,
क्यों तुम छिपा रही हो ,
इश्क़ में आज भी हो मेरे ,
फिर क्यों नज़रे चुरा रही हो । 

थामने को हाथ तुम्हारा ,
मेरे हाथ आगे क्यों नहीं बढ़ रहे ,
देख कर आंखो मे लाचारी ,
हम बाहों में तुम्हें क्यों नहीं भर रहे ।

लौट कर आई है जिंदगी मेरी ,
फिर भी मौत मुझे मंजूर है ,
बार बार मेरे हिस्से ही क्यों सजा ,
आखिर मेरा क्या कसूर है ।

दफ्न कब्र में लाश मेरी ,
भला कौन ही दिल लगाएगा ,
लौट कर आया महबूब मेरा ,
फिर लौट जाएगा ।

हार गया मैं हर बाजी इश्क़ की ,
अब जीतना रास नहीं आता ,
लौट कर आने वाला  ,
आखिर दूर ही क्यों जाता ।।

Tuesday, October 12, 2021

ये भी जरूरी था

जरूरी था मेरे खत का खोना ,
तेरा किसी और का होना ,
हर रात इस मलाल से ,
अपनी पलकों को भिगोना ।

तेरे आने से जाने तक ,
हर बात मुझे याद हैं ,
तेरा जिक्र तेरे निशान ,
आज भी उतने ही साफ हैं ।

ना मैंने कभी इजहार किया ,
ना तूने कभी इनकार किया ,
जिस पल मैंने तुझसे लगाया दिल ,
तुने उस पल किसी और से प्यार किया ।

वक्त के साथ बदल गया सब ,
बस मेरा इश्क़ नहीं बदला ,
दिल का हुआ हाल कुछ ऐसा ,
सर्द मौसम में था जो पिघला ।

आज भी तेरी याद में ,
हम किस्से दुनिया को सुनाते है ,
दस्ता-ए-इश्क़ में तुझे हीरो ,
खुद को विलन बताते हैं ।

मेरी आखिरी तुझसे ,
बस इतनी सी फरियाद है ,
मत बाटना मेरी मोहब्बत ,
रह गई जो तेरे पास है ।।

Sunday, October 10, 2021

दगेबाज

दिल में कुछ हलचल तो है मेरे ,
पर ये मलाल कैसा हैं ,
इश्क़ गर जवाब है सबका ,
तो ये सवाल कैसा है ।

मेरे मर्ज की दवा ना सही ,
ज़ख्म भी तो मत बढ़ाओ ,
दुआ ना करो मेरे लिए ठीक  ,
बद्दुआ तो मत दे जाओ ।

तुमसे मिला था जिस हाल में मैं ,
वो हाल अब मेरा हो चला हैं ,
कत्ल तेरी मोहब्बत का हुआ था तब ,
अब तू मेरी मोहब्बत का कर चला है ।

तेरी आंखों में सिवाए आंसू के ,
कुछ भी तो नहीं बचा था ,
महबूब छोड़ कर जबसे तेरा ,
तुझसे दूर हो चला था ।

कह कर माथे पर सजाने को बिंदी ,
बस इकलौता जुल्म मैंने किया था ,
उस रोज़ तूने मेरा ये हक भी ,
मुझसे छीन लिया था ।

गम मुझे तेरे जाने का नहीं ,
मेरे रहने का मुझे सताता है ,
बेवक्त अक्सर बीच रास्तों में ,
छोड़ कर तू यूहीं चला जाता है ।

दगेबाज .. मोहब्बत में तुम ,
कब तक ऐसे ही सताओगे ,
मरहम देने वाले के हिस्से में ,
ज़ख्म छोड़ कर जाओगे ।।

Saturday, October 9, 2021

सिगरेट सा इश्क़


तू इश्क़ मुझसे गर कर ,
अपनी सिगरेट सा करना ,
जला कर मुझे राख ,
खुद को ख़त्म करना ।

हर कश में लगेगी जन्नत आत्मा,
जहनूम जिस्म बन रहा होगा ,
लबों पर रख कर मुझे तू ,
जब सुकून से पी रहा होगा ।

तलब मेरी कुछ इस कदर ,
तुझे बर्बाद करती जायेगी ,
मोहबब्त इतनी गहरी होने लगेगी ,
छोड़ नहीं तू जिसे पायेगी ।

मंजर तो और भी देखेगी ,
मुझसे इश्क़ निभाने जब आयेगी ,
लबों पर बसने गैरों के ,
जब खुद मुझे छोड़ कर आयेगी ।

बन कर जहर मैं इश्क़ का ,
फिर उनको भी सताऊंगा ,
लबों से उतर कर ,
दिल में बस जाऊंगा ।

बस शिकायत इतनी सी ,
मैं आज दुनिया से करता हू ,
भला मैं टूटने पर ही सबके ,
अक्सर क्यों लबों पे जलता हू ।

आसान नहीं होगा इश्क़ मुझसे ,
गर कभी इरादा बन जाए ,
ना करू मैं इश्क़ किसी से ,
गर उसका महबूब मिल जाए ।।

Friday, October 8, 2021

मधुरिमा

मधुरिमा की ये खूबसूरत सौगात ,
आज हम सब को खुशनसीब,
देखो बना रही है ,
दिल से गा कर जब दिल चुरा रही है ।

सुर में संगम है जिसके ,
साज भी मस्त मलंग है ,
हया के चादर ओढ़े ,
ये कौन खूबसूरत नज़्म है ।

अल्फाज़ बस बन कर तस्वीर ,
खुद पन्नों पर उतर आए ,
जिन लम्हों को तुमने ,
अपने संगीत से सजाए । 

दिल के बिखरे टुकड़े तुम्हारे ,
क्या खूब तुम जिन्हें छिपाती है ,
बेहद ही सादगी से अक्सर ,
धुन नया जिन्हें दे जाती हो ।

इश्क़ को मुकम्मल नहीं ,
तुन्हें उसे मुमकिन बनाना है ,
दर्द में कैसे मुस्कुराते हैं अक्सर ,
तुम्हें दुनिया को सीखना है ।

अब तक टुकड़ों में मिली खुशियां ,
और बिखरे तुम्हारे जज़्बात हैं ,
बस रखना भरोसा वक्त पर अपने ,
वो आज भी तुम्हारे साथ है ।।

सफेद लिबास

सफेद रंग से इश्क भी ,
बेहद कमाल होता होगा ,
भूरी आखों वाली उस लड़की को ,
आइना जब सफेद लिबास में देखता होगा ।

वो खुद को सजाती नहीं होगी ,
माथे पर बिंदी लगाती नही होगी ,
ना कभी होठों पर रंग चढ़ता होगा ,
ना ही कोई और रंग जचता होगा ।

बस सफेद सा इश्क़ उसका ,
सफेद लिबास में निखर कर आता होगा ,
एक पल में जाने वाला मुसाफ़िर ,
ताउम्र उसे देखने वही रुक जाता होगा ।

स्वेत मन सा स्वेत सीरत जिसका ,
कितने दिलों को जलाती होगी ,
आईने की तस्वीर को जब ,
दुनिया से छिपाती होगी ।

आइना जब किसी की खूबसूरती से ,
खुद ही संवरता होगा ,
सफेद लिबास में वो शख्स ,
कितना खूबसूरत लगता होगा ।

ख्वाबों में बन कर परी नहीं ,
मेरे आखों की तस्वीर बन कर दिखाना ,
हो सके तो अलगी दफा ,
सफेद लिबास में ही मिलने आना ।।

Thursday, October 7, 2021

लिबास

देखा तुझे जो अरसे बाद ,
तेरे ज़ख्म नजर आए ,
मोहब्बत में था कंकाल छिपा ,
और क्या ही वो हाल-ए-दिल बताएं ।

ना अब तेरी मेरी वो बातें है ,
ना ही रातों से जुड़ी यादें है ,
बचा सिर्फ तेरा एहसास है ,
दूर हो कर भी जो मेरे पास है ।

इश्क़ का लिबास ओढ़ कर ,
ज़ख्म भला कैसे तुम छिपाती हो ,
तोड़ कर दिल अपना टुकड़ों में ,
मामूली से ज़ख्म जिन्हें बताती हो ।

चांद आज भी आसमान में ,
पलके बिछाए बैठा होगा ,
अपने उस एक तारे को ,
आकाश गंगा में ढूंढ रहा होगा ।

लौट कर आने को अब कहूंगा नहीं ,
क्योंकि तुमको मैं खो चुका हु ,
ना चाह कर भी दिल ,
किसी और को तुझ जैसे दे चुका हु ।

लिबास इश्क़ का हो मेरे ,
या हो तेरे टूटे दिल का , 
जब भी उतरने को आता है ,
ज़ख्म भला कहां छिप पाता है ।।

महबूब के सनम

कभी छोड़ा क्या इश्क़ में तुमने किसी को , 
किसी और से दिल लगाने के लिए ,
कहा है क्या छोड़ कर तुम्हें ,
उसका हो जाने के लिए ।

बड़ा ही दर्द भरा ये ज़ख्म होता है ,
जब मोहब्बत होकर भी ,
कोई आशिक़ अपनी मोहब्बत को ,
किसी और का होने को कह देता है ।

ना दिन के उजालों में रौशनी ,
ना रात के अंधेरे में जुगनू ,
ना ही धड़कनों का कहीं ,
शोर कोई सुनाई देता है ।

इश्क़ में बिखरने की दास्तां ,
और बिखरते रिश्तों के निशान ,
आज भी बहुत सताते हैं ,
इश्क़ में मीत से जब दूर हो जाते हैं ।

हर पल हर कदम पर ,
उसकी बात निकल ही आती है ,
इश्क़ के कहानियों की ,
बात जब भी शुरू हो जाती है ।

मेरे नींद से जुड़े जिसके ख़्वाब थे ,
मेरी खुशियों की सौगात जिसके पास थे ,
सब कुछ एक पल में देखो बिखर गया ,
इश्क़ जब उसे भी किसी और से हो गया ।

महफूज़ रहो तुम बाहों में उसके ,
जन्नत उसकी दुनिया बनाओ ,
इश्क़ में कुर्बानी मेरे हिस्से ,
तुम बस शिद्दत से इश्क़ निभाओ ।

मोहबब्त में कुर्बानी की ,
तुमने ये कैसी सजा दे डाली है ,
बना दी जिंदगी मेरी ,
लावारिस और बेचारी है ।।

Tuesday, October 5, 2021

तौबा

डर लगता है मुझको वादों से ,
क्या सच में जिन्हें निभा पाऊंगा ,
या चंद लम्हों की ख्वाइश लिए ,
तोड़ जिन्हें कही और उड़ जाऊंगा ।

पल भर की होगी खुशी ,
या गम की दास्तां मैं सुनाऊंगा ,
जब करने मोहब्बत का वादा ,
कभी तेरे पास आऊंगा । 

मुझे भरने हैं घाव अपने ,
तेरे जख्म की परवाह नहीं ,
इश्क़ में मुझ जैसा मामूली है ,
तू कोई खुदा नहीं ।

जब तक हासिल होता नहीं,
तुझे पाने की मन्नते मांगता हू ,
मिल जाती है जैसे ही मोहब्बत तेरी ,
गैर से दिल लगाता हू ।

इश्क़ में भूखा और प्यासा ,
सिर्फ आशिक ही नहीं सोता ,
कई दफा दगेबाज़ी मिलने का बाद ,
हाल महबूब का भी यही होता ।

बस ऐसे ही कुछ ख्याल ,
मेरा दिल तोड़ जाते हैं ,
हर दफा जब इश्क़ में ,
वादा करने का मन बनाते हैं ।।

तुम और सुकून

पहाड़ की ऊंचाइयों पर ,
जब तुम आकर मेरे गले लगे थे ,
सर्द पड़े उस मौसम में भी ,
बर्फ पहाड़ों से पिघल रहे थे ।

तुम्हारी आंखों में थी जन्नत ,
और कई खूबसूरत ख़्वाब ,
जीने लगे थे जो इस पल में ,
तुम उठा कर नकाब ।

तुम्हारे होठों पे मुस्कुरहाट ,
और पलकों की शरारत ,
जुल्फ भी तुम बिखेर रहे थे ,
जब मेरा होने को पास आ रहे थे ।

थाम कर हाथ मेरा जब ,
तुमने चलना शुरू किया ,
रोक कर कही बीच रास्ते ,
मेरे लबों को छू लिया  ।

खुले आसमां में ख्वाइश ,
जब अपनी वो पूरी कर रहे थे ,
अमावस की रात में भी ,
चांद को चमकता देख रहे थे ।

बढ़ते कदम घर की ओर ,
धड़कनों को बढ़ाने लगे था ,
अरसे बाद फिर इस दिल में ,
वो घर बसाने लगे थे ।

पहाड़ों पर बर्फ की चादर ,
अब पिघलने लगी है ,
सूरज की किरणों से ,
जबसे वो मिलने लगी है ।

तेरे साथ सा खूबसूरत ,
कोई और लम्हा क्या होगा ,
तेरी बाहों में सुकून ,
जिसमें पूरा जहां होगा ।

मिल गई खुशियां मुझे ,
और इश्क़ की सौगात ,
था मेरे हिस्से जो छूट गया ,
वो एक खूबसूरत रात ।।