Monday, October 24, 2022

झूठी मुस्कान

होठों पर झूठी मुस्कान लिए ,
दिल में जख्म ताज़ा है ,
अधूरा इश्क़ है तुम्हारा ,
या उसका वादा है ।

तुम आज़ाद परिंदा बन कर ,
किस कैद में बैठी हो ,
शोर है चारों तरफ़,
फिर भी खामोश ही रहती हो ।

कुछ सुना नहीं तुमने ,
कुछ अनसुना कर दिया ,
फरेब और फरेबी के दौड़ में ,
तुमने खुद को अजनबी कह दिया । 

छोड़ कर अधूरे रास्ते में तुम्हें,
उसने क्या गुनाह कर दिया ,
तुमने भी तो इश्क़ में ,
किसी और को खुदा कह दिया ।

क्या आज भी तुम ,
इस सच को झुठलाओगी ,
नम आंखों पे बिखरे काजल ,
अपने हाथों से छिपाओगी ।

ख़त्म करो इस कैद को ,
और आज़ाद हो जाओ ,
इश्क़ में बर्बाद नहीं,
किसी का इश्क़ बन जाओ ।।