Saturday, September 24, 2022

मेरा रकीब

अपनी वो मुस्कराहट ,
अब बस मुझे लौटा दो ,
एक और दफा इस मुसाफ़िर को ,
उसकी मंजिल तक पहुंचा दो । 

इस जंग में साथ तुम्हारे ,
मैं हर पल खड़ा रहूंगा ,
खुद को बेहतर बनाने की ,
एक आखिरी कोशिश करूंगा ।

मेरे शब्दों को चुरा कर मुझसे ,
तुम कौन से किस्से लिख रही हो ,
सब कुछ कर के मेरे हिस्से ,
अपने हिस्से क्या कर रही हो ।

इश्क़ में बर्बाद हो कर ,
भला किसे दुआ मिली हैं,
मुझे तो तेरे आने के बाद ,
लगा जैसे जिंदगी मिल गई है ।

क्या इश्क़ में मुझ जैसा ,
कोई और भी बदनसीब होगा ,
जिसकी मोहब्बत में ,
वो खुद ही रकीब होगा।

मधु की मोहब्बत

खामोशी में मेरे शोर को ,
अब सुनना छोड़ दो ,
अपने हिस्से के गम भी ,
तुम मेरी ओर मोड़ दो ।

मैं इश्क़ निभा कर तुमसे ,
हर रोज़ तुम्हें रुलाता हूं,
कर के जुल्म खुद से ,
गुनहगार तुम्हें बताता हूं ।

फिर भी साए की तरह ,
तुम मेरे साथ चलती हो ,
मेरी ख्वाइशों के आगे ,
अपने अरमान कुचलती हो ।

ना पता दिन का तुम्हें,
ना रात का इंतजार है ,
मेरी ही दुनिया में ,
बसा तुम्हारा संसार है ।

सब कुछ लुटा कर भी ,
तुम कैसे मुस्कुरा लेती हो ,
छिपा कर हर गम अपना ,
मुझसे इश्क़ निभा लेती हो ।

सच सच बताना ,
मुझसे भी बेहतर ,
कैसे मुझे पढ़ रही हो ,
खुद से भी ज्यादा ,
मुझसे मोहब्बत कर रही हो ।।