अब तक जहन मे बसी उसकी याद है ,
फिर अब कब मिलेंगे ,
बस इसका इंतज़ार है .
यु तो हर रोज़ अब ख्यालो मे ,
आ बस जाती है तू ,
दे कर वास्ता लौट आने का ,
वहां भी इंतज़ार कराती है .
होश मे आते ही ,
ख्यालो को अपने कोसने लग जाते ,
क्यों करता हु इंतज़ार तेरा ,
बस यही सोचने लग जाता .
तुझे मेरी आंखो मे खूबसूरती दिखती है ,
पर अपना हाल कैसे तुझे बताऊ ,
जब तू करती है मोहब्बत पिज़ा से ,
हाले दिल कैसे बर्गेर का सुनाऊ .
दिखा कर घड़ी मुझे ,
वक़्त का अहसास दिला गयी ,
जब तक कहता कुछ इंतज़ार की खातिर ,
खुद को कही छिपा गई .
नज़रे तलाशती रही उसे ,
शायद वो अपने वक़्त की खातिर लौट आये ,
पता नहीं था कुछ इस कदर दगा देंगी वो ,
कह कर इंतज़ार ,
ताउम्र इंतज़ार करना पड़ जाए ..
ना कभी वो लौटे उस इंतज़ार की खातिर ,
और हम इंतज़ार करते रह जाए ..