Saturday, July 31, 2021
ताउम्र का एहसास
चंद अल्फाज़
Friday, July 30, 2021
किसी और से मोहबब्त
इजाज़त
इश्क़
नशा
उदास
Thursday, July 29, 2021
इज़हार
Tuesday, July 27, 2021
जिल्लत
बिछड़ना
तुम आ जाओ
जश्न
Sunday, July 25, 2021
ख़्वाब में तुम
आज पहली दफा मिल रहा था मैं ,
उनसे ख्वाबों में ,
उलझने लगा था ,
अपने ही पूछे सवालों में ।
मेरे लिए अब वो एक ख़्वाब सा,
बन कर रह गई थी ,
एक अरसा बीत गया था ,
जबसे वो खामोश रह रही थी ।
वो हुबहू तो बिलकुल वैसी थी ,
ख्यालों मे रहती जैसी थी ,
बस फर्क था उसकी आंखो के रंग में ,
और पराया कर जाने वाले ढंग में ।
आकर मेरे पास ,
वो कुछ पल सुकून से बैठी थी ,
ये बात ख्वाबों में भी ,
ख़्वाब के सच होने जैसी थी ।
पूछ बैठी एक और सवाल ,
मेरे थोड़ा और करीब आकर ,
दे दिया मैंने भी जवाब ,
गुजरते लम्हों में थोड़ा हिचकिचा कर ।
चांद तुम कब तक ऐसे ही ,
मेरा साथ निभाओगे ,
या उन अनगिनत तारों की तरह ,
गुजरते वक्त के साथ ,
मुझे भी छोड़ जाओगे ।
मैंने मुस्कुरा कर फिर से ,
उन्हें अपना हाले दिल सुनाया ,
जान कर मेरे जवाब को ,
वो भी थोड़ा मुस्कुराया ।
हर लम्हा हर एहसास ,
अब तक यूहीं जहन में ताजा है ,
बन बैठा तेरा और दीवाना ये दिल ,
जिस कदर मेरी मौजूदगी को ,
ख्वाबों में तुमने नवाजा है ।
तेरी खुशबू
तराज़ू
चूड़ियां
ज़ालिम
Tuesday, July 20, 2021
नादान दिल
पायल
Sunday, July 18, 2021
खिड़कियां
Saturday, July 17, 2021
नफ़रत
गैर-मौजूदगी
इश्क़ की वजह
फिरसे
अधूरापन
बर्बाद
Thursday, July 15, 2021
नजरंदाज
मलाल
Monday, July 12, 2021
इश्क़ होने लगा था
Saturday, July 10, 2021
कंधा
Star
Friday, July 9, 2021
खिलौना
बदनाम
इस पल
Thursday, July 8, 2021
अंत की शुरुआत
Wednesday, July 7, 2021
जिंदा लाश
हम रात में जागते हैं ,
काली रातों को रोशन करने ले लिए ,
अनगिनत मौजूद महफ़िल में ,
भूखों का पेट भरने के लिए ।
कभी गर भर पेट नहीं मिलता खाना ,
वो बहुत सताते हैं ,
मेरे बाद किसी और चौखट पर ,
जा कर भूख मिटाते है ।
किसी का हाल होता बुरा ,
कोई हमें बुरा हाल छोड़ जाते हैं ,
सोचती हूं पूंछू दुनिया वालों से ,
क्यों अपनो का पेट नहीं भर पाते हैं ।
हां मिलता है ना दाम मुझे ,
हर भूखे को खिलाने का ,
रक्त के आखिरी कतरे तक को ,
मुस्कुरा के बहाने का ।
पर आज कल ,
रौशनी में भी अंधेरा है ,
शायद सूरज को बादलों ने घेरा है ।
वरना भूखा जो रात को ,
अक्सर जगाता था ,
दिन में मुझे कभी ,
नहीं वो सताता था ।
अब अक्सर बेवक्त चला आता है ,
फर्क भी नहीं पड़ता उसे ,
गर खाने में वो ,
कोई जिंदा लाश खाता है ।
आखिर इतनी भूख ,
कहां से वो लाता है ,
क्या उसके हिस्से का भोजन ,
कोई और खाता है ,
जो आकर यहां वो भूख मिटाता है ।
क्या उसके हिस्से का भोजन ,
कोई और खाता है ll
इश्क़ - एक सफरनामा
मेरे सफरनामे का ,
एक और इश्क़ हो तुम ,
गर कहूं आखिरी तुम्हें ,
तो पहली नहीं हो तुम ।
हर बार ठहर कर जब ,
शिद्दत से इश्क़ में खोने लगते है ,
बन कर आता है कोई बुरा सपना ,
जिसके बाद फिरसे दूर होने लगते है ।
चांद तारों से करते बातें ,
बीती जो अनगिनत रातें ,
और पहाड़ों से ऊंचे ख्वाब ,
सब अच्छा था ... पर क्या सच्चा था?
हां तुमसे कही हर बात सच्ची थी ,
लौटी चहरे पर मुस्कान सच्ची थी ,
थे मेरे सच्चे आंसू भी ,
और था सच्चा तेरे इश्क का जादू भी ।
खाई कसमें जो तेरी थी ,
माना मोहब्बत को ही था खुदा ,
शायद थी कसमें ही झूठी ,
या था किस्मत में होना जुदा ।
यकीनन पेशेवर दिल तोड़ आशिक़ ,
हो चला है दिल मेरा ,
वरना कौन छोड़ कर यू जाता है ,
जिंदा मोहब्बत को कब्र में भला ।
रही बात तेरे हिस्से के कहानी की ,
वक्त आने पर वो भी बताएंगे ,
जब आखिरी होगी मोहबब्त मेरी ,
दुनिया को सुनाएंगे ।