Wednesday, June 30, 2021

मुस्कुराहट

रात का अंधेरा ,

और आसमां पे जगमगाते तारे ,

बैठा है चमकने को चांद ,

जिसके सहारे ।


पहली नज़र पड़ी जो तुम पर ,

सब बदलने वाला था ,

मौजदगी से तुम्हारी ,

बेहद फर्क पड़ने वाला था ।


मैंने देखा था बोलते तुम्हारी आंखो को ,

आज पहली दफा लफ्जों से बोल रही थी ,

मानों बेहद सादगी से ,

मेरे उम्मीदों को तोड़ रही थी ।


अभी खुद को संभालने में लगा था ,

तुम सामने फिर एक दफा आ गई ,

अधूरी जो रह गई थी बातें ,

इस दफा तेरी मुस्कुराहट बता गई ।


तेरी सूरत पे लुटाऊ दिल ,

या सीरत पर कुर्बान खुद को कर जाऊ ,

होगी बेहद खुशनसीबी ,

गर तेरी मुस्कुराहट की वजह बन जाऊ ।


तेरा जिक्र जो ना हो मेरे जिक्र में ,

ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा ,

ठीक वैसे ही जैसे ,

धड़कनों के बगैर दिल होगा ।।

Friday, June 18, 2021

इम्तिहां

चल उठ खड़ा हो साथी ,
अभी दौड़ बाकी है ,
हैं बहुत सी आने वाली मुश्किल ,
जिनसे लड़ना बाकी है ।

रख हौसला और खुद पर भरोसा ,
वक्त ये भी गुजर जायेगा ,
सब्र रख इस इम्तिहां का भी ,
नतीजा एक रोज़ आयेगा ।

माना की राहों में है ककड़ पड़े ,
पावों पर पड़े है छाले ,
आसमा में धूप भी जला रही ,
और आंखो से मिट रहे उजाले ।

डगमगाता हर पग मंजिल की ओर ,
रास्ता और गुमनाम सा लग रहा होगा ,
आखिरी उम्मीद समझ छोड़ मत देना कोशिश ,
क्योंकि आगे तजुर्बे का मंच सज रहा होगा ।

जख्म हो रहा और गहरा तो होने देना ,
खाली पेट अगर सोना पड़े तो सोने देना ,
बह रहे आंसू और रो रही हो रूह तो रोने देना ,
बस हारना नहीं खुद से और ना हौसला खोने देना ।

जिंदगी के इस दौड़ में ,
एक रोज़ ऐसा आयेगा ,
सोच इन बीते लम्हों को ,
तू मुस्कुराएगा .. 
बस रखना भरोसा और हौसला !!

Sunday, June 13, 2021

चिड़िया


कैद किसी पिंजड़े में ,
एक चिड़िया रहती थी ,
कोयल सी थी बोली जिसकी ,
पर कुछ ना कहती थी ।

उस कैद में भी खुद को ,
वो आज़ाद बताती थी ,
मुस्कराने की गर ना भी हो वजह ,
फिर भी मुस्कुराती थी ।

थे बहुत चाहने वाले उसके ,
पर कहां कोई रिश्ता निभा पाता था ,
कर के वादा खुले आसमां का ,
पिजड़े में कैद कर जाता था ।

उड़ने की ख्वाइश लिए ,
हर दफा वो फंख फैलती थी ,
बमुश्किल ही ,
कुछ दूर उड़ पाती थी ।

एक रोज़ हुआ कुछ ऐसा ,
पिंजड़े से वो आज़ाद हुई ,
ना कोई था अपना .. ना पराया ,
हर परिंदे से मुलाकात हुई ।

अब देखने को उसे ,
दुनिया को सर उठाना पड़ता है ,
सुनने को बोली जिसकी ,
पिंजड़े में जाना पड़ता है ।

ये आसमां ये धरती और ये नदियां ,
वो सबको अपना घर बताती है ,
पिंजड़े में शायद वो नहीं ..हम हैं ,
हर दफा खोल पंख जब उड़ जाती है ।

अब भी .. 

कैद कहीं कोई चिड़िया  ,
किसी पिंचड़े में दुनिया बसा रही होगी ,
हो सके तो खोल दो पिंचड़ा ,
शायद वो भी उड़ना चाह रही होगी ।।

Sunday, June 6, 2021

वो लड़की


है बहुत कुछ ,

जिसकी जिंदगी में अधूरा ,

उम्मीदों को रख कैद ,

खामोशी से जिन्हे करती है पूरा ।


सुर भी है और ताल भी ,

अल्फाजों का कमाल भी ,

धुन भी वो खूब बनाती है ,

क्या खूब दर्द छिपाती है ।


कल था उसका सुंदर ,

या आज में उलझन ,

सवाल अब भी उभर कर आते है ,

हर दफा जब वो आंसू छिपाते है ।


है अपनी ही धुन में मगन वो ,

जबसे आज में जीने लगी है ,

वो लड़की अब खुद से ,

मोहब्बत करने लगी है ।


ना फिक्र है उसे कल की ,

ना कल की बातों का बहाना ,

ना कल छिपा है उसका ,

जान कर क्या ही करेगा जमाना ।


बस रखना याद ..


अधूरे पन्नों को भरने में ,

वक्त लगेगा ,

लिखा जो तक़दीर में है तुम्हारे ,

वो जरूर मिलेगा ll