रात का अंधेरा ,
और आसमां पे जगमगाते तारे ,
बैठा है चमकने को चांद ,
जिसके सहारे ।
पहली नज़र पड़ी जो तुम पर ,
सब बदलने वाला था ,
मौजदगी से तुम्हारी ,
बेहद फर्क पड़ने वाला था ।
मैंने देखा था बोलते तुम्हारी आंखो को ,
आज पहली दफा लफ्जों से बोल रही थी ,
मानों बेहद सादगी से ,
मेरे उम्मीदों को तोड़ रही थी ।
अभी खुद को संभालने में लगा था ,
तुम सामने फिर एक दफा आ गई ,
अधूरी जो रह गई थी बातें ,
इस दफा तेरी मुस्कुराहट बता गई ।
तेरी सूरत पे लुटाऊ दिल ,
या सीरत पर कुर्बान खुद को कर जाऊ ,
होगी बेहद खुशनसीबी ,
गर तेरी मुस्कुराहट की वजह बन जाऊ ।
तेरा जिक्र जो ना हो मेरे जिक्र में ,
ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा ,
ठीक वैसे ही जैसे ,
धड़कनों के बगैर दिल होगा ।।