Thursday, July 21, 2022

तुम्हारी कहानी

ख्वाइशों में कैद जिंदगी जिसकी ,
ख़्वाब भी उसके अधूरे हैं ,
मिला सब कुछ बिखरा जिसको ,
फिर भी कहते हम पूरे हैं ।

उंगली थाम कर अपनी ,
जिसने चलना सीखा है ,
बचपन में खुद को ,
बड़ा होते देखा है ।

ना साथ मिला कभी ,
ना कोई साथी बन पाया ,
मतलब होते पूरा ,
हर किसी ने उसे गैर बनाया ।

आज भी घर की तलाश में ,
वो कैद हो जाते हैं,
किसी और पिछड़े में जाकर ,
अनजाने में फस जाते हैं ।

मंजिल की तलाश और घर ,
वक्त आने पर मिलेगा ,
किसी रोज़ कोई अजनबी ,
जब उसे अपना कहेगा ।

बाकी और भी जंग ,
अभी बाकी है ,
रखना भरोसा ,
तू खुद में काफी है ।।

1 comment:

Anonymous said...

Waah khubsurat ✨