Thursday, October 12, 2023

दो ज़िंदगी और एक लाश

एक जिंदगी का लूट चुका सब,
एक जिंदगी आज़ाद हो गई,
दोनों की लाश से आखिर,
आखिरी मुलाकात हो गई ।

एक ने रोका बहुत दूर जाने से,
एक ने दूर किया जमाने से,
एक के मांग में सिंदूर भरा,
दूसरे के जीवन में था रंग चढ़ा ।

अब तक होने वाली आबाद ,
देखो अब बर्बाद हो गई,
अब तक होने वाली बर्बाद ,
आखिरकार आबाद हो गई ।।

दो जिंदगी के बीच पड़ी लाश,
बस तमाशा देख रही हैं ,
फरेबी और नकाबपोश से,
वो आज पहली बार मिल रही है।

जिसको सब दिया वो पीछे खड़ा ,
जिसका हक लिया वो लिपटा पड़ा,
अब भला और क्या खोने को है,
लाश तो राख होने को है ।

लिपटे लाश पर खुशबू उसकी,
शमा को महका रही हैं,
मानो संग लाश के,
आत्मा उसकी जा रही है ।

आज दोनों में फर्क ,
देखो बेहद बड़ा है,
एक हाथ जोड़े.. ,
दूसरा सब लुटाए लाश पर पड़ा है।

लाश को सिर्फ एक मलाल हैं,
और उसका एक सवाल है ,
कौन जुल्मी ज्यादा बड़ा है,
वो जो हाथ जोड़े खड़ा है,
या जो कफ़न में लिपटा पड़ा है ?!

जवाब मिलने से पहले ,
लाश राख हो गई,
दो जिंदगी के किस्सों को,
वो साथ ले गई ।।

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