Tuesday, October 29, 2013

शायद .. हम मिल चुके है

उस रोज़ जब तुम आई थी ,
पहली नज़र मे मुस्कुरायी थी ,
देख जिसे अरसो बाद ,
दिल ने ली अंगड़ाई थी .

निगाहो का निगाहो से खेल जब हुआ ,
न जाने क्यों लग रहा था ,
पहले भी इन निगाहो का ,
कही मेल है हुआ .

मै कुछ कहता , उससे पहले ,
तुमने खुद से परिचीत कराया ,
जान कर मेरा नाम ,
बड़ी ही हैरानी से ,
मेरे दिल की बात को ,
तुमने अपने लाब्जो से सजाया .

तुम पूछ बैठी वो ,
जो मै नहीं पूछ पाया ,
'' शायद हम मिल चुके है ''

सुन कर इस बात को ,
उस पल उस रात को ,
मैने यादो को हर और घुमाया ,
पर तेरे सवाल का जवाब नहीं मिल पाया .

और तो और ,
एक बात समझ नहीं आई  ,
मेरे दिल की बात ,
तुम अपने होठो पर कैसे लायी .

तुम्हारे आंखो मे एक जादू है ,
दिल पर खुद का काबू है ,
कर ली है बंद निगाहे मैने ,
कही देख तेरी निगाहो मे ,
हो न जाए दिल बेकाबू है .

देखती हो अक्सर जब मुझे ,
देखता हु मै भी तुम्हे ,
पर निगाहे छिपा लेता हु ,
तुम्हारे मुस्कान से मुस्कुरा देता हु .

रूठ कर मेरी बातो से ,
जब तुम चली गयी ,
देखा भी नहीं पलट कर ,
एक बार ही सही .

तेरे आने के इंतज़ार मे ,
राह हम ताकते रहे ,
आएँगी कभी तू लौट कर ,
यही सोच रात रात भर जागते रहे .

सोचा ना था ,
ये सफ़र इतना छोटा होगो ,
इतनी सी बात से ,
दिल उसका टुटा होगा ,
उसकी यादो से नाता मेरा छूटा होगा .

और तो और ,
उसके जाने के बाद ,
वक़्त भी हमसे रूठा होगा .

अब ना जाने फिर कब मिलेंगे ,
और अगर कभी मिल गए तो ,
अजनबी बन कर ,
फिर से वही कहेंगे ,
'' शायद हम मिल चुके है "

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डेडिकेटेड टू आल शॉर्ट टर्म लव स्टोरीज एंड ऑफ़कोर्स यू मिस नेहरू :p

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