Sunday, April 17, 2016

अजनबी

अनजान राहों पर मिले थे कभी , 
सोचा ना था मिलेंगे फिर कभी ,
पर वक़्त ने आज मिला दिया , 
एक बार फिर ख़ुशी से दिल मुस्कुरा दिया । 

देखा जो पहली दफ़ा आँखों मे उसके , 
क्या ख़ूब जादू है , 
बोल कर 'हम' सिर्फ हमें , 
कर दिया इस दिल को बेक़ाबू है ।

झुकीं पलके , उठीं आँखें , 
होंठों पर मुस्कान , 
पर दिल मे दर्द काफी है , 
मुस्कुरा के अक्सर उन्हें वो छिपातीं है । 

बिन कुछ कहे उसके , 
मैं सब जान गया हु , 
थी अजनबी कुछ वक़्त पहलें तक ,
अब पहचान गया हूँ । 

दिल से ख़ूब हँसीं वो , 
आज अरसो के बाद , 
मिल गया शायद उसे ,
जिसे ढूँढती थी वो दिन रात ।

तू जो यु मुस्कुरा रहीं है , 
दिल को समझा रहीं है , 
मन को बहला रही है ,
लटों को घुमा रहीं है । 

मुझे है सब मालूम , 
कमबख़्त ये दिल है बड़ा मासूम । 

आओ चलों फिर तुम्हें , 
ख़यालों मे ले जातें है , 
आओ एक दफ़ा फिर , 
अजनबी बन जाते है ।

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