मौत को भी आना है एक रोज़ ,
हम को भी जाना है ,
जीले ज़िन्दगी मुस्कुराके ,
गम मे क्यों उसे बिताना है |
हर ओर ख़ुशी की तलाश मे ,
हम झट से हर लम्हे को समेट लाते ,
हम तो उनकी ही खातिर ,
गम मे भी मुस्कुराते |
था भरोसा खुद पर नहीं ,
या यु कहे उनपर खुद से जादा कही ,
पर एक झटके मे वो सब बिखरा गए ,
मौत और मेरे फासले को मिटा गए |
जो कभी मौत को हमने बुलाया ,
वो झट से चली आएँगी ,
टूटे रिश्ते और वादों को देख रही है खूब वो ,
अब उसके आने के बाद ही कही खबर जायेगी |
हमारे कल को आज ला कर ,
हमे वो कल मे ले गए ,
छीन कर ले गए एक झटके मे खुशिया हमारी ,
हम बस देखते रह गए |
था क़सूर सिर्फ इतना मेरा ,
हम कुछ नहीं थे छिपाते ,
सच चाहें हो कैसा भी ,
हम आ कर झट से थे उन्हें बताते ।
चल रहे थे ख़ुशियों के सड़क पर ,
वक़्त ने एक दफ़ा फिर हमें ढकेला है ,
छूटा है सिर्फ़ साथ ही नहीं अपनो का ,
सच ने भी हमसे मुँह फेरा है ।
चलो जो चले भी गए दुनिया से ,
दिल मे मलाल नहीं होगा ,
सच्चे तो हम अपनो कीं ख़ातिर हुए है ,
उम्मीद है फिर कभी सच्चे दिल वालों का ,
ये अंजाम नहीं होगा ,
हर तोड़ने वाले भरोसे वालों का ,
बस मेरा यहीं आख़िरी पैग़ाम होगा ..
मौत को भी आना है ... हमको भी जाना है ।
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