Sunday, June 5, 2016

दर्द

चारो तरफ शोर है ,
मेरी आवाज़ कमजोर है , 
कास कोई सुन पाता ,
मेरी आवाज़ को उन तक पहुंचाता . 

मैं लड़ रही हु मुस्कुरा के ,
पर गम छिपा नहीं पाती , 
ख़ामोशी का क्या है ,
इस शोर मे वो भी अक्सर छिप जाती . 

हर रोज़ चल पड़ती हु , 
ए दर्द तुझे छिपाने ,
बस होती है यही कोशिश ,
तू है साथ मेरे , ये कोई ना जाने .

पर क्या खूब खेल खेलती है ज़िन्दगी भी ,
क्या हम किसी को बताये ,
दर्द थे कम नहीं ज़िन्दगी मे ,
दो चार और ले आये .

है भरोसा आज भी ,
ये शोर एक रोज़ थम जाएगा ,
ऐ गम 
ज़िंदगी ने जो दिया है तुझे साथ मेरे , 
एक रोज़ वो भी छूट जाएगा .

ऐ दर्द फ़िक्र मत कर ,
तुझे बिता कल बनाउंगी ,
होगी फिर एक सबुह ,
तनहा अकेला छोड़ तुझे ,
अपनी ख़ुशी संग कही दूर चली जाउंगी .

अलविदा दर्द , 
लौट कर नहीं आउंगी ...

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