उठ कर बस अभी कुछ दूर ,
जब मै चला था ,
जा उसी पल कल से ,
मै मिला था ।।
आज भी निशा क़दमों के तेरे ,
नज़र बहुत ख़ूब आते है ,
जब भी उन रास्तों पर ,
हम निकल जाते है ।।
अब ना आती है ख़ुशबू शमा में ,
ना ही होता वो गुलज़ार ,
चंद गिरे पत्ते और ख़ामोश तितलियाँ ,
कर जाती दिले इजहार ।।
रुक जाते अब हार कर ,
बस जो तेरा ज़िक्र ना आता ,
खोने को बहुत है अब भी ,
जो ये दिल ना समझाता ।।
और जब गुफ़्तगू करने लगी ज़िंदगी ,
फिर एक बार ,
हुआ ज़िक्र उनका ,
जिसने कर दिया मोहब्बत को गुलज़ार ।।
लेकिन अब भी ..,
ज़िक्र जब भी तेरा आता है ,
इश्क़ करने को ,
ये दिल चला जाता है ..।।
www.shashankvsingh.blogspot.in
जब मै चला था ,
जा उसी पल कल से ,
मै मिला था ।।
आज भी निशा क़दमों के तेरे ,
नज़र बहुत ख़ूब आते है ,
जब भी उन रास्तों पर ,
हम निकल जाते है ।।
अब ना आती है ख़ुशबू शमा में ,
ना ही होता वो गुलज़ार ,
चंद गिरे पत्ते और ख़ामोश तितलियाँ ,
कर जाती दिले इजहार ।।
रुक जाते अब हार कर ,
बस जो तेरा ज़िक्र ना आता ,
खोने को बहुत है अब भी ,
जो ये दिल ना समझाता ।।
और जब गुफ़्तगू करने लगी ज़िंदगी ,
फिर एक बार ,
हुआ ज़िक्र उनका ,
जिसने कर दिया मोहब्बत को गुलज़ार ।।
लेकिन अब भी ..,
ज़िक्र जब भी तेरा आता है ,
इश्क़ करने को ,
ये दिल चला जाता है ..।।
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