हर रोज़ फ़िज़ा में घुलते ख़ुशबू ,
अक्सर बदल से जाते है ,
कभी महकता है गुलाब , कभी चमेली ,
चलो मोहब्बत कर के आते है ।
मिलता है सुकून कभी बाँहों मे ,
कभी कंधो पे सो जाते है ,
अक्सर बदले सुकून के साथ ,
चलो मोहब्बत कर के आते है ।
रातों को जगना अब भी जारी है ,
कभी साथ तेरे कट जाते थे जो जल्दी ,
अब भारी लगते जाते है ,
चलो मोहब्बत कर के आते है ।
रूठ कर मान जाते कभी ,
कभी मान कर रूठ जाते है ,
इरादतन अंदाज़े दिल का क्या ,
चलो मोहब्बत कर के आते है ।
मिल जाता हर दफ़ा दिल सच्चा ,
बस साथ उसका झूठा हो जाता है ,
फिर तलाश में दिल के ,
चलो मोहब्बत कर के आते है ।
कभी सीरत का देते हवाला ,
कभी जिस्म जादू चला जाता है ,
सूरत तक जाने की फ़ुर्सत कहा ,
चलो मोहब्बत कर के आते है ।
पिछली दफ़ा से गहरा है मेरा प्यार ,
हर बार यही क्यू लगता है ,
बदलते दौर में जिस्म , जान और ज़िंदगी ,
नहीं लगता कोई एक सच्चा है ..!
ख़ैर छोड़ो आओ फिर तलाश में ,
इरादतन लग जाते है ,
वजह जो भी हो ,
चलो मोहब्बत कर के आते है ।।
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