Friday, September 13, 2019

गुज़ारिश

ये जो ठंडी सी हवाओं में ,
पत्तों के छाओ में ,
चिड़ियों की चटचटाहट ,
और वो मेरी बाँहों में ।

रख कर सिर अपना कंधे पर मेरे ,
ख़्याल उनके बुन रही थी ,
क़रीब बैठी थी बेहद मेरे ,
पर साथ उनके चल रही थी ।

यू जो फेरते उँगलियों ,
बालों पर उसके ,
हवा ने रूख मोड़ दिया ,
सर्द हवाओं ने सिलसिला तोड़ दिया ।

देखती थी टकटकी लगाये ,
निगाहे जो हर वक़्त मुझे ,
आज वो नज़रें चुरा रही थी ,
कुछ तो वो छिपा रही थी ।

ना ही चेहरे पर वो नूर था ,
ना जाने मेरा क्या क़सूर था ,
धड़कते थे दिल में धड़कनो की तरह ,
जा रहा वो अब मुझसे दूर था ।

रोकने की कोशिश कर के ,
दिल नहीं दुखाना चाहता था ,
हो चुकी मोहब्बत किसी और की ,
हक़ नहीं जताना चाहता था ।

अब जा रही हो जो मेरे दिल से दूर ,
उनसे दूर कैसे जाओगी ,
गर छोड़ दिया उसने इस दफ़ा ,
कंधे पर रखने सिर किसके .. तुम आओगी ।

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