Friday, January 5, 2024

सर्द हवाएं

सर्द हवाओं के झोका में,
ये कैसी गर्माहट है,
फिज़ा के बदले अंदाज़ से,
देखो कितनी राहत हैं।

चाय की हर चुस्की में,
लबों से जज़्बात पिघलने लगें,
इश्क़ में आज अरसों बाद,
चाय सा वो जलने लगें ।

गुजरने को जब वक्त गुजारा,
मानो दिल उस पर हार गए,
पिघलते जज्बातों के बाद,
भूल वो अपना ही संसार गए।

वो निहारता ही रहा राह,
उसके आने के इंतजार में,
पड़ा रहा जिंदा लाश सा,
बर्फीले पहाड़ में ।

गुजर कर सर्द हवाओं से,
जब वो कहीं और घर बसाने लगें,
मौजूद फिज़ा में खुशबू उसकी,
और भी उलझाने लगें।

आहिस्ता आहिस्ता तन ,
और मन भी सर्द पड़ने लगें,
छोड़ कर जिस्म अपना,
वो किसी और की जाना बनने लगें।

लेकिन 

इश्क़ के बर्फीले तूफान में,
शायद हम जैसे बहुत ही ख़ास होंगे,
हर रोज़ चाय की चुस्कियों के संग,
जो तूफान के बाद भी साथ होंगे ।

बर्फीले मौसम से इश्क़,
तुमने मुझे सिखा दिया,
सर्द पड़े इस दिल में,
जबसे अपना घर बसा लिया ।।

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