तुम जाते जाते ,
क्या कुछ छोड़ कर ,
मेरे पास जाओगी ,
जब कभी आखिरी दफा,
अलविदा कहने आओगी ।
क्यों वो तुम्हारी ,
प्यारी सी मुस्कुराहट होगी ,
या होगी तुम्हारी खुमारी ,
या फिर इश्क़ में पड़ने वाली ,
लौट आयेगी मेरी बीमारी ।
या फिर होगा जिक्र तुम्हारा ,
तुम्हारी अनगिनत बातें होंगी ,
होगा पिटारा लम्हों का ,
कहानियां जिनमें तुम,
अक्सर छिपाती होगी ।
या फिर होगा वो मौसम ,
और बारिश की बूंदे ,
या फिर भीगा मन होगा ,
कल्पना से भी खूबसूरत ,
बीता हर एक पल होगा ।
या फिर होगा ,
अल्फाज़ का बिखरा रूप ,
पहेली सा स्वरूप ,
और तेरी मेरी कहानियां ,
दीवारों पर टंगी तेरी निशानियां ।
या फिर होगी वो रात ,
जो बेताब होगी ,
अधूरी जिसकी हर बात होगी ,
खामोशी में शोर की ,
तुम्हारी वो आखिरी सौगात होगी ।।
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