Sunday, April 28, 2019

ग़ुस्ताख़ दिल


खुली जो आँख इतनी रात अंधेरे ,
आँखो से छलक रहे थे आँसु मेरे ,
ख़्वाब टूट कर बिखर चुके थे ,
हमसे अब वो भी रूठ गये थे ।

दिल में लिए भार अब सताने लगे ,
लगा मालूम जबसे वो जाने लगे ,
करते थे बेइंतहा मोहब्बत जिससे ,
उसकी यादों को हम मिटाने लगे ।

तेरे गालों पर तिल , होंठों पर शराब ,
मुस्कुराती निगाहे , मेरी नियत ख़राब ,
वो ज़िंदगी आँखों से गुज़र कर जाने लगी ,
तेरी हँसी अब रुलाने लगी ।

मख़मल सा लगता था बिस्तर जो ,
बैग़ैर तेरे चुभने को आता है ,
होती नहीं मौजूदगी तेरी  ,
मायूस हो कर दिल फिर सो जाता है ।

तेरा हर एहसास , तेरी हर याद ,
हम ख़ुद में छिपा लेते ,
गर कह देती एक और दफ़ा ,
खुदा से भी तुझको चुरा लेते ।

ख़ैर एक और सुबह आने को है ,
ये रात , तेरी याद और ये लम्हे ,
सब बीत जाने को है ,
मोहब्बत एक दफ़ा फिर हो जाने को है ।।

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